यदि आप पपीते की खेती करते हैं तो यह खबर आपके लिए आवश्यक है. आपके पपीते की फसल में "पीला सीरा" बीमारी है और इसकी वजह से आपको भारी नुकसान हो रहा है तो इसके लिए एक रामबाण इलाज है. इसके लिए पपीते के फ़सल के साथ मक्के की फसल लगानी होगी. यदि आप ऐसा करते हैं तो पपीते का उत्पादन दो गुना हो जायेगा. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. जीडी साहू ने इसके लिए एक विधि तैयार की है.
डॉ. साहू का मानना है कि यदि आप पपीते की खेती कर रहे हैं तो उसमें होने वाली बीमारियों के प्रति आपको सजग रहने की जरूरत है. आपको पपीते के खेत में दवाई डालने की जरूरत नहीं है. दवाई के स्थान पर खेत में पहली और अंतिम कतार में भुट्टे की फसल लगा दें. इससे पपीते की पत्तियों का अंकुरण भी होगा और उत्पादन भी दो गुना तक बढ़ जायेगा.
पीला सीरा बीमारी
आम तौर पर यह बीमारी पपीते के पौधे में पाई जाती है. इस बीमारी से पौधे के लगभग सभी पत्ते पीले होकर गिर जाते हैं और इसके कारण पौधे अपना भोजन नहीं बना पाते हैं. नतीजतन पौधों का विकास रूक जाता है. जिसकी वजह से फसल में अच्छी पैदावार नहीं होती है. यह बीमारी पौधों में इतनी तेजी से बढ़ती है कि चार से पांच दिन के भीतर ही पूरी की पूरी फसल बर्बाद हो जाती है.
भुट्टे की फसल लगाने से उसकी पत्तियों से निकलने वाली गंध पीला सीरा रोग के कीटाणुओं को फसल तक पहुंचने से रोकती है. ऐसे में पपीते की फसल में पहली और अंतिम पंक्ति पर भुट्टा लगाने पर पीला सीरा रोग पपीते के पौधे तक नहीं पहुंचता. पपीते की पत्तियां सुरक्षित रहती हैं.
डॉ. साहू ने बताया कि यदि पपीते का रकबा आधा एकड़ तक हो तो भुट्टे की फसल को पहली और आख़िरी कतार में लगाएं. यदि रकबा 10 एकड़ व उससे ज्यादा हो तो भुट्टे को बीच की कतार में लगाना आवशयक होगा. इसके अलावा सदैव हर पपीते की फसल की पहली और अंतिम पंक्ति में भुट्टा सबसे ज्यादा जरूरी हैं.
प्रभाकर मिश्र, कृषि जागरण
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