धान की खेती करने वाले किसानों को डबल मुनाफ कमाने का मौका मिल सकता है. इसके लिए उन्हें खास तरह से धान की खेती करनी होगी. इस खास तरह की खेती को फिश-राइस फार्मिंग (Fish-Rice Farming) कहते हैं. इस तरह की खेती में धान के साथ-साथ मछली पालन भी कर सकते हैं.
कहने का अर्थ यह है कि इससे किसानों को धान के दाम तो मिलेंगे ही, साथ में उन्हें मछली की बिक्री से भी लाभ मिलेगा. खास बात है कि धान के खेत में मछली पालने से इसकी पैदावार भी अच्छी होगी.
इस तरह की खेती प्रायः चीन, बांग्लादेश, मलेशिया, कोरिया, इंडोनेशिया, फिलिपिंस, थाईलैंड में होती है. अब भारत के भी कई इलाकों में फिश-राइस फार्मिंग की मदद से किसान दोगुनी कमाई कर रहे हैं.
क्या है फिश-राइस फार्मिंग सिस्टम? (What is fish-rice farming system?)
इस तरह की खेती में धान की फसल में जमा पानी में मछली पालन का भी काम होता है. किसान चाहें तो धान से पहले ही मछली का कल्चर तैयार कर सकते हैं. मछलियों का उत्पादन खेती के तरीके, मछली की प्रजाति और उसके प्रबंधन पर भी निर्भर करता है.
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क्यों बेहतर है फिश-राइस सिस्टम?
इस तरह की खेती में एक ही खेत में मछली व दूसरे जलजीवों को एक साथ उपजाया जाता है. आमतौर पर इससे धान की उत्पादन पर भी कोई असर नहीं पड़ता है. एक ही खेत मे धान उगाने और मछली पालने से धान के पौधों में लगने वाली कई बीमारियों से भी मुक्ति मिल जाती है.
निचली जमीन के खेत हैं उपयुक्त
इस तरह की खेती के लिए निचली ज़मीन वाले खेत का चुनाव किया जाता है. इस तरह के खेत में आसानी से पानी इकट्ठा रहता है. साथ ही खेत को तैयार करने के लिए जैविक खाद बेहतर है.
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