आलू का इस्तेमाल आमतौर पर हर एक घर में किया जाता है, जिसके चलते इसकी मांग सालभर बनी रहती है. किसान भी लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए इसकी खेती सालभर करते हैं. आलू की खेती से किसान भाइयों को अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है.
अगर आप भी आलू की खेती से कम समय में डबल मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो इसके लिए आलू की अच्छी किस्मों के अलावा आप अपने खेत में देसी आलू की खेती करें.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आलू की देसी किस्म की देश ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सबसे अधिक मांग है. लेकिन जिन देशों में देसी आलू की खेती कम पैमाने पर होती है, उन्हें भारत का आलू निर्यात होता है. सरकारी आकड़ों के मुताबिक, भारत ने साल 2022-23 के समय लगभग 4.6 गुना ज्यादा देसी आलू का निर्यात किया था. ऐसे में यह देश के किसानों के लिए मुनाफे की खेती साबित हो सकती है. किसान देसी आलू का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें.
देसी आलू की खेती (Indigenous potato farming)
देसी आलू की खेती 60 से 90 दिनों के अंदर अच्छे से तैयार हो जाती है. किसानों को आलू की अगेती खेती के बाद गेहूं की पछेती खेती भी एक साथ कर सकते हैं. इसके लिए किसान भाइयों को सूर्या किस्म से बुवाई करनी चाहिए.
खेत में इस किस्म की बुवाई से फसल 75 से 90 दिनों के अंदर तैयार हो जाती है और साथ ही किसानों को प्रति हेक्टेयर फसल से लगभग 300 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त होता है. अगर आप इससे भी कम समय में आलू का उत्पादन प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप अपने खेत में कुफरी अशोक, कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी जवाहर किस्मों की बुवाई कर सकते हैं. यह सभी किस्म करीब-करीब 80 से 300 क्विंटल प्राप्त कर सकते हैं.
आलू की खेती के समय इन बातों का ध्यान रखें
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आलू की खेती से पहले किसानों को खेत की भूमि को समतल कर लेना चाहिए और फिर अच्छे से जल निकासी की व्यवस्था करें.
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इसके बाद देसी आलू के कंदों का अच्छे से चुनाव करें. क्योंकि इसके बीजों की मात्रा इस किस्म के कंदों पर निर्भर करती है.
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इसके प्रति एकड़ खेत से आप करीब 12 क्विंटल कंदों की बुवाई का काम सरलता से कर सकते हैं.
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देसी आलू की बुवाई के लिए यह समय उप्युक्त है. देखा जाए तो 15 से 20 अक्टूबर का समय अच्छा होता है.
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ध्यान रहे कि बुवाई करने से पहले कटे हुए कंदों का उपचार सही तरीके से करें. ताकि फसल में किसी भी तरह के रोग-कीट न लग सके.
कीट-रोग से बचाने के लिए कंदों को 0.25 प्रतिशत इंडोफिल एम 45 के घोल में 5-10 मिनट तक अच्छे से डुबोकर रखें और फिर इसे सुखा दें. इसके बाद की खेत में बुवाई करना शुरू करें.
कंदों का सही से उपचार करने के बाद किसानों को इसे 14-16 घंटों तक अच्छे छायादार स्थान पर छोड़ दें. ताकि इसमें दवा की सही से कोटिंग हो सके और फसल अच्छे से फल-फूल सके.
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