आलू दुनिया में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसलों में से एक है. और भारत में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में इसका सबसे ज्यादा उत्पादन किया जाता है. वहीं आज के वक्त में आलू की खेती करके किसान अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. जहां वैज्ञानिकों द्वारा आलू की नई नई किस्मों को विकसित करने के लिए शोध किए जा रहे हैं तो वहीं किसान भी अपने अपने स्तर पर इसकी खेती में नवाचार कर लाभ कमा रहे हैं.. लेकिन आलू की अच्छी पैदावार के लिए फसल में पोषक तत्वों का प्रबंधन जरूरी है.
इस बात के महत्व को किसानों तक पहुंचाने के लिए कोरोमंडल इंटरनेशनल लिमिटेड के सहयोग से 29 सितंबर 2023 को कृषि जागरण के फेसबुक प्लेटफॉर्म पर एक खास लाइव वेबिनार का आयोजन किया गया था. जिसमें कोरोमंडल इंटरनेशनल लिमिटेड से वरिष्ठ कृषि विज्ञानी एवं फसल विशेषज्ञ श्री गौरव पांडेय जी और आईसीएआर-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान रीजनल स्टेशन मोदीपुरम, मेरठ के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. संजय रावल जी शामिल हुए. जिन्होंने कार्यक्रम में आलू की बेहतर पैदावार के लिए पौधों की जरूरत और खपत पर किसानों को जागरूक किया
इतनी होती है पैदावार
इस कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए आलू की फसल के महत्व और खेती के बारे में डॉ. संजय रावल जी ने किसानों को जानकारी देते हुए कहा कि आलू एक बहुत ही महत्वपूर्ण फसल है, ये धान, गेहूं और मक्का के बाद चौथी सबसे महत्वपूर्ण फसल है. आजादी के वक्त जहां देश में करीब 50 लाख टन आलू की पैदावार होती थी. वहीं अब 5 करोड़ टन से भी ज्यादा आलू की पैदावार देश में की जा रही है. इसके अलावा प्रोसेसिंग करके भी किसान आलू से खूब मुनाफा कमा रहे हैं..
इसके बाद कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए कोरोमंडल इंटरनेशनल लिमिटेड से कृषि विशेषज्ञ गौरव पांडेय जी ने किसानों को आलू के लिए जरूरी पोषक तत्वों की जानकारी देते हुए बताया कि हमारी फसल का 50-60 प्रतिशत उत्पादन फसल के पोषक तत्व प्रबंधन पर ही निर्भर करता है. इसके आगे उन्होंने फसलों में पोषण प्रबंधन के लिए 4R के नियम को विस्तार से समझाते हुए बताया कि इनमें पहले आर से तात्पर्य है राइट फर्टिलाइजर, दूसरा आर राइट क्वाटिंटी को दर्शाता है वहीं तीसरा आर राइट टाइम, व चौथा आर राइट प्लेस के लिए दिया गया है. इसके बाद उन्होंने आलू की खेती में समिन्वत पोषण प्रबंधन के बारे में किसानों को विस्तार से जानकारी दी.
ऐसे करें खाद का इस्तेमाल
इसके आगे डॉ. संजय ने किसानों को आलू की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी को उचित पोषक तत्वों की आपूर्ति कैसे की जा सकती है इसके बारे में जानकारी देते हुए कहा कि जो भी हमारे यहां वेस्ट है उससे कंपोस्ट या फार्म यार्ड मिन्योर या फिर कंपोस्ट बनाकर खाद के तौर पर उसका इस्तेमाल फसलों में करें और डीएपी व यूरिया के अनियममित प्रोयग पर रोक लगाएं.. क्योंकि इनके ज्यादा इस्तेमाल से मिट्टी में सुक्ष्म तत्वों की कमी हो जाती है.
वहीं इसके आगे कृषि विशेषज्ञ गौरव जी ने किसानों को कुछ उपाय बताएं जिनके उपयोग से किसान मिट्टी में रासायनिक गुणों के असंतुलन को नियंत्रित कर सकते हैं. उन्होनें कहा कि किसान अक्सर एक दूसरे को देखकर होड़ में किसी भी खाद या उर्वरक का इस्तेमाल अपने खेतों में करने लगते हैं. मगर इससे मिट्टी की संरचना पर गहरा प्रभाव पड़ता है. और फसल का उत्पादन कम हो जाता है. इसलिए हमें सबसे पहले अपनी मृदा की जांच करानी चाहिए, जिससे हमें पता चलेगा कि मिट्टी में कौन से पोषक तत्वों की कमी और किसकी अधिकता है. उस हिसाब से हम फसल का पोषक तत्व प्रबंधन करेंगे.
इसके आगे उन्होंने चित्रों को दिखाते हुए कोरोमंडल इंटरनेशनल लिमिटेड की खाद ग्रो प्लस के बारे में जानकारी दी व इसके फायदों से किसानों को अवगत कराया.. इसके इस्तेमाल से किसान अपनी आलू की फसल का बेहतर तरीके से पोषक तत्व प्रबंधन कर सकेंगे.
वहीं डॉ. संजय ने आलू की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन के तहत उर्वरकों का कितनी मात्रा में और कब कब उपयोग किया जाना चाहिए इस बारे में किसानों व कृषि जागरण के दर्शकों को जानकारी देते हुए कहा कि अगर हम बीज के लिए आलू का उत्पादन कर रहे हैं तो प्रति हेक्टेयर 150-175 किलो नाइट्रोजन, 80 किलो फॉस्फोरस व 100 किलो पोटाशियम हमें देना है. क्योंकि ये फसल केवल 80-90 दिनों की होती है.. वहीं इसके आगे भी उन्होंने आलू की कई किस्मों के बारे में जानकारी देते हुए किसानों को पोषक तत्व प्रबंधन के महत्व से अवगत कराया. और इसके बाद डॉ. अमित जी ने मिट्टी में जैविक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए किसानों को जरूरी सलाह दी. साथ ही कुछ दर्शकों द्वारा लाइव के दौरान पूछे गए सवालों के भी जवाब दिए.
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