बसंतकालीन गन्ने की बुवाई के लिए सबसे सही समय फरवरी का महीना होता है. देश के कई किसान इस समय गन्ने की बुवाई करते हैं. यह एक मुख्य नकदी फसल है. इसकी खेती से किसानों की अच्छी आमदनी होती है, इसलिए आज का किसान गन्ना फसल की तरफ बढ़ रहा है. गन्ना फसल चीनी और गुड़ का श्रोत माना जाता है, जिसकी बुवाई शरदकाल (सितंबर-अक्तूबर) और बसंतकाल, (फरवरी-मार्च) दोनों ही समय में की जाती है.
इसकी खासियत है कि यह प्राकृतिक आपदाओं, ओलावृष्टि, पाला, अतिवृष्टि और सूखे जैसी विपरीत परिस्थितियों को सहन करने की क्षमता रखता है. आज हम इस लेख में बसंतकालीन गन्ने की बुवाई की पूरी जानकारी देने वाले हैं.
गन्ना फसल के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी (Suitable climate and soil for sugarcane crop)
गन्ना फसल के लिए उष्ण कटिबन्धीय जलवायु की ज़रूरत पड़ती है. इसकी बढ़वार के समय गर्म, नम और अधिक वर्षा का होना बहुत अच्छा माना जाता है. इसकी खेती बलुई दोमट, दोमट और भारी मिट्टी में की जा सकती है. इसके अलावा उचित जल निकास वाली जैव पदार्थ और पोषक तत्वों से भारी मिट्टियों में भी गन्ने की खेती कर सकते हैं.
गन्ना फसल के लिए खेत की तैयारी (Field preparation for sugarcane crop)
गन्ने की पेड़ी लेने के कारण इसकी फसल 2 से 3 साल तक खेत में रहती है, इसलिए खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए. खेत से पिछली फसल के अवशेष हटा लें. इसके बाद जुताई करके जैविक खाद मिट्टी में मिलाएं. पहली गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से होनी चाहिए. इसके बाद 2 से 3 बार देसी हल और कल्टीवेटर से जुताई करें. अब पाटा चलाकर मिट्टी को भुरभुरा और खेत समतल बनाएं.
गन्ने की उन्नत किस्में (Improved varieties of sugarcane)
आपको अपने क्षेत्र के अनुसार किस्मों का चयन करना चाहिए, क्योंकि इसकी अच्छी पैदावार में 40 से 50 प्रतिशत योगदान उन्नत किस्मों का होता है.
गन्ने की बुआई और रोपाई का समय (Sowing and planting time of sugarcane)
गन्ना फसल की बुवाई करते समय तापमान 25 से 32 डिग्री सेल्सियस उपयुक्त माना जाता है, जो साल में दो बार, यानि अक्टूबर-नवम्बर और फरवरी-मार्च में रहता है. इन दोनों ही समय पर गन्ना बोया जा सकता है.
गन्ने के बीज और मिट्टी का उपचार (Sugarcane Seeds and Soil Treatment)
बीजों को बीमारियों से बचाने के लिए उपचारित करने के बाद बुवाई करनी चाहिए. इसके लिए आर्द्र-ऊष्ण वायु यंत्र में गन्ने को 54 डिग्री से. पर करीब ढाई घण्टे तक उपचारित करते हैं. इस तरह बीज, लाल सड़न, उक्ठा, कंडुवा, पेड़ीकुंठन और घासीय प्ररोह के प्रकोप से बचता है.
गन्ने की बुवाई (sugarcane sowing)
इसकी खेती सूखी या पलेवा की हुई गीली, दोनों प्रकार की भूमि पर होती है. सूखी भूमि में गन्ने के टुकड़े डालने के तुरन्त बाद सिंचाई की जाती है, तो वहीं गीली बुवाई में पहले पानी नालियों या खाइयों में छोड़ दिया जाता है. इसके बाद बुवाई की जाती है. गन्ने की खेती कई उन्नत विधियों पर निर्भर होती है.
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कूँड़ में गन्ना बोना
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समतल खेत में गन्ना बोना
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नालियों में गन्ना बोना (ट्रेंच विधि)
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गन्ना बोने की दूरवर्ती रोपण विधि (स्पेस ट्रांस्प्लान्टिंग)
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गन्ना बोने की दोहरी पंक्ति विधि
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पौध रोपण विधि
गन्ने के लिए संतुलित पोषक तत्व (Balanced Nutrients for Sugarcane)
गन्ने की फसल को तैयार होने में लंबा समय लगता है, इसलिए भूमि अधिक मात्रा में पोषक तत्वों का अवशोषण करती है. इसकी अच्छी उपज के लिए खाद और उर्वरकों को संतुलित मात्रा में देते रहना चाहिए, तो वहीं खेत की अंतिम जुताई से पहले लगभग 10 से 12 टन प्रति हेक्टेयर अच्छी सड़ी गोबर की खाद भूमि में मिला देना चाहिए.
गन्ने की सिंचाई और जल निकासी (Sugarcane irrigation and drainage)
गन्ने की फसल के लिए लगभग 200 से 300 सेमी. पानी की आवश्यकता पड़ती है. सबसे ज़्यादा पानी की मांग बुवाई के लगभग 60 से 250 दिनों तक रहती है. इसकी फसल की सिंचाई में 5 से 7 सेमी. पानी देना चाहिए. गर्मियों में लगभग 10 दिन और शीतकाल में लगभग 15 से 20 के अंतर पर सिंचाई कर देनी चाहिए. इसके अलावा बारिश के समय उचित जल-निकास का प्रबन्ध होना चाहिए.
गन्ने के पौधों पर मिट्टी चढ़ाना (Earthing up sugarcane plants)
गन्ने को गिरने से बचाने के लिए दो बार गुड़ाई करके पौधों पर मिट्टी चढ़ा देना चाहिए. इस काम को अप्रैल-मई और जून में करना चाहिए. इससे मिट्टी में वायु संचार, नमी धारण करने की क्षमता, खरपतवार नियंत्रण और कल्ले विकास में प्रोत्साहन मिलता है.
गन्ना फसल की कटाई (Sugarcane harvest)
गन्ने की फसल लगभग 10 से 12 महीने में पककर तैयार हो जाती है. जब गन्ने से धातु जैसी आवाज और मोड़ने पर गाँठें आसानी से टूटने लगें, तो इसकी कटाई करने का उतिच समय होता है. ध्यान दें कि गन्ने को सबसे निचली गाँठ से, जमीन की सतह में गंड़ासे से काटना चाहिए. फसल की कटाई के 24 घंटे के भीतर गन्ने की पेराई कर लें और कारखाने भिजवा दें.
गन्ने की उपज से आमदनी (Income from sugarcane production)
बसंतकालीन गन्ने की उपज मिट्टी, जलवायु, किस्म और रखरखाव पर निर्भर करती है. वैसे गन्ने की फसल से लगभग 800 से 1000 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन मिल जाता है. गन्ने से चीनी, रस, राब, सुक्रोज़, शीरा मिलता है इसलिए किसानों को गन्ने की फसल से बहुत अच्छा मुनाफ़ा होता है.
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