राजस्थान के जोधपुर में कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अनुसंधान केंद्र पर भविष्य की सुपर फूड कही जाने वाली फसलों पर रिसर्च किया जा रहा है. इसमें पिछले 2 वर्षों से मौक्सिकों की चिया पर चल रहे रिसर्च में पौधे की ज्यामित, बुवाई का सही समय ज्ञात करने में सही रूप से सफलता मिली है. दरअसल 16वीं शताब्दी में तुलसी प्रजाति के इस पौधे की साउथ मैक्सिकों में पहचान की गई थी. फिलहाल कर्नाटक में निजी कंपनियों से इसकी खेती करवाई जा रही है.
अक्टूबर -नबंवर है बुवाई का सही समय
चिया एक तरह से रबी की फसल है. इसकी बुवाई आने वाले अक्टूबर और नबंवर में की जा सकती है. खेत में बीज बुवाई के समय कतार से कतार की दूरी 7 से 8 मीटर रखी जाती है. चिया का पौधा करीब पौने दो मीटर तक लंबा होता है. साथ ही इसकी पत्ती 4 से 8 सेमी लंबी और 3 से 5 सेमी लंबी होती है. इसका बीज 1 एमएम आकार का होता है. इसके बीज का रंग भूरा, सफेद, ग्रे, और काला होता है. यह 100 से 150 दिनों की फसल होती है. इसी समय इसकी ठीक से बुवाई होती है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इसकी खेती सभी तरह की भूमि में आसानी से की जा सकती है. सरकार भी इसके साथ-साथ किनवा की खॆती के लिए तेजी से प्रोत्साहित करेगी.
शरीर में पानी की मात्रा बनाए रखें
चिया सीडस में उच्च गुणवत्ता वाला फाइबर पाया जाता है. यह शरीर में पानी की मात्रा को बनाए रखने के लिए और शरीर की अंदरूनी ताकत को बनाए रखने में काफी सहायक सिद्ध होती है. इनमें प्रोटीन, फाइबर, औमेगा ये तीनों ही भरपूर मात्रा में पाए जाते है. इसके अलावा ओमेगा , कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम, फास्फरेस पोटेशियम, सोडियम और जिंक भी भरपूर मात्रा में पाए जाते है. चिया शरीर के अंदर मोटापे को घटाने र कोलेस्ट्रोल लेवल को कम करने में कारगार सिद्ध होता है. वैज्ञानिकों के अनुसार चिया के बीजों में ओमेगा 3 ऑयल हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है. बता दें कि इसका बीज कई जगह ऑनलाइन बीज भी मिल रहा है.
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