फसलों की ज्यादा उपज प्राप्त करने के लिए रबी सीजन एक प्रमुख ऋतु है. इस ऋतु में जहां एक ओर गेंहू, पीली सरसों, कुसुम, मक्का, चना, मटर, मसूर, राजमा, गोभी, पालक, बंदगोभी, आलू, मूली, गाजर, जौ और सरसों आदि फसलों की खेती होती है. तो वहीं, दूसरी ओर पशुओं की चारे के लिए बरसीम और जई की खेती होती है.
रबी सीजन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस सीजन में भारी वर्षा, आँधी-तूफान, सुनामी, भूस्खलन, सूखा, बाढ़ जैसे प्राकृतिक आपदा का खतरा भी बहुत कम होता है. इतना ही नहीं, इस सीजन के फसल से कम लागत में अधिक से अधिक एवं उच्च गुणवत्ता युक्त उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. ऐसे में जो किसान भाई ज्यादा उपज प्राप्त करना चाहते हैं, वो किसान भाई जनवरी माह में निम्नलिखित कृषि कार्यों को जरूर करें-
गेहूं - गेहूं में दूसरी सिंचाई बुवाई के 40-45 दिन बाद कल्ले निकलते समय और तीसरी सिंचाई बुवाई के 60-65 दिन बाद गांठ बनने की अवस्था पर करें.
जौ - जौ में दूसरी सिंचाई, बुवाई के 55-60 दिन बाद गांठ बनने की अवस्था पर करें.
चना- फूल आने के पहले एक सिंचाई अवश्य करें.
मटर - मटर में बुकनी रोग (पाउडरी मिल्ड्यू) जिसमें पत्तियों, तनों तथा फलियों पर सफेद चूर्ण सा फैल जाता है, की रोकथाम के लिए अनुशंसित कीटनाशक का छिड़काव करें.
राई-सरसों
राई-सरसों में दाना भरने की अवस्था में दूसरी सिंचाई करें.
माहू कीट पत्ती, तना व फली सहित सम्पूर्ण पौधे से रस चूसता है. इसके नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टेयर डाइमेथोएट 30% ई.सी. की 1.0 लीटर मात्रा 650 - 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
शीतकालीन मक्का
खेत में दूसरी निराई-गुड़ाई, बुवाई के 40-45 दिन बाद करके खरपतवार निकाल दें.
मक्का में दूसरी सिंचाई बुवाई के 55-60 दिन बाद व तीसरी सिंचाई बुवाई के 75-80 दिन बाद करनी चाहिए.
शरदकालीन गन्ना
आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें.
गन्ना को विभिन्न प्रकार के तनाछेदक कीटों से बचाने के लिए प्रति हेक्टेयर 30 किग्रा कार्बोफ्युरॉन 3% सी0 जी0 का प्रयोग करें.
बरसीम- कटाई व सिंचाई 20-25 दिन के अंतराल पर करें. प्रत्येक कटाई के बाद भी सिंचाई करें.
सब्जियों की खेती
आलू, टमाटर तथा मिर्च में पिछेती झुलसा से बचाव हेतु अनुशंसित कीटनाशक का छिड़काव करें.
मटर में फूल आते समय हल्की सिंचाई करें. आवश्यकतानुसार दूसरी सिंचाई फलियां बनते समय करनी चाहिए.
गोभीवर्गीय सब्जियों की फसल में सिंचाई, गुड़ाई तथा मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें.
टमाटर की ग्रीष्मकालीन फसल के लिए रोपाई कर दें.
जायद में मिर्च तथा भिण्डी की फसल के लिए खेत की तैयारी शुरू कर दें.
फलों की खेती
बागों की निराई-गुड़ाई एवं सफाई का कार्य करें.
आम के नवरोपित एवं अमरूद, पपीता एवं लीची के बागों की सिंचाई करें.
आंवला के बाग में गुड़ाई करें एवं थाले बनायें.
पुष्प व सगन्ध पौधे
गुलाब में समय-समय पर सिंचाई एवं निराई गुड़ाई करें तथा आवश्यकतानुसार बंडिंग व इसके जमीन में लगाने का कार्य कर लें.
मेंथा के सकर्स की रोपाई कर दें. एक हेक्टेयर के लिए 2.5-5.0 क्विंटल सकर्स आवश्यक होगा.
पशुपालन/दुग्ध विकास
पशुओं को ठंड से बचायें.
पशुशाला में बिछाली को सूखा रखें.
पशुओं के भोजन में दाने की मात्रा बढ़ा दें.
खुरपका, मुँहपका रोग से बचाव के लिए टीका अवश्य लगवायें.
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