देश में कई तरह के क्षेत्र हैं, जहां किसान स्थानीय जलवायु के अनुसार खेती करते हैं. इसमें कम सिंचाई वाले क्षेत्र भी शामिल हैं. अब सवाल उठता है कि कम सिंचाई वाले क्षेत्र में किसान किस फसल की खेती कर सकते हैं. अगर आप भी कम सिंचाई वाले क्षेत्र में किसानी करते हैं और किसी फसल की बुवाई करना चाहते हैं, तो बाजरा की खेती (Millet cultivation) उपयुक्त रहेगी. बाजरा का स्थान गेहूं, धान और मक्का के बाद आता है. यह फसल कम वर्षा वाले स्थानों के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है. बाजरा पशुओं का महत्वपूर्ण चारा है, इसलिए इसको देश में 11.33 मिलियन हेक्टेयर में उगाया जाता है। हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं. यूपी में भी इसकी खेती धीरे-धीरे इसकी खेती कम को गई थी, जो अब बढ़ रही है.
उपयुक्त जलवायु व मिट्टी
इसकी खेती गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में की जा सकती है. जहां 400 से 650 मिमी. वर्षा होती है. इस फसल को सभी प्रकार की भूमि पर उगाया जा सकता है, लेकिन जल जमाव की संवेदनशीलता के कारण बलुई, दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है. इसमें जल निकास अच्छा होता है. इसके परागण के समय बारिश होने पर पराग के धुलने और उत्पादन में कमी आने की संभावना रहती है. बाजरा के विकास के लिए 20 से 30 सेंटीग्रेट तापक्रम सर्वाधिक उचित है. यह अम्लीय मिट्टी के प्रति संवेदनशील होती है.
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खेत की तैयारी
सबसे पहले एक गहरी जुताई करनी चाहिए. इसके बाद 2 हल्की जुताई और पाटा लगाना चाहिए है. अच्छे अंकुरण के लिए खेतों में ढेला नहीं रहना चाहिए. इसके साथ ही खेत को समतल बना लें. खेत में जल निकासी बाधित न हो. अगर संभव हो, तो खेत की तैयारी के पहले दो ट्रैक्टर सड़ी गोबर की खाद प्रति एकड़ डालना चाहिए.
फसल की बुवाई
पौधे से पौधे की दूरी 12 से 15 सेंटीमीटर की होनी चाहिए, तो वहीं कतार से कतार की दूरी 45 से 50 सेमी. होना चाहिए.
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