देश के किसान अभी रबी फसलों की खेती करने में व्यस्त हैं. वही, कुछ किसान उन फसलों की खेती करना चाहते हैं जो कम लागत में ज्यादा पैदावार दें. ऐसे में किसान अगर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) के तहत विकसित की गई आलू की किस्म 'कुफरी गंगा' (Kufri Ganga) को अपनाएं, तो वे इस किस्म से कम समय में अच्छी उपज पा सकते हैं. वहीं, आलू एक ऐसी फसल है जिसकी मांग 12 महीने रहती है. यदि किसान इस किस्म की बुवाई करते हैं, तो वे एक हेक्टेयर में 300 क्विंटल तक उपज हासिल कर सकते हैं.
क्यों खास है ‘कुफरी गंगा’?
'कुफरी गंगा' किस्म बहुत ही खास है, जिसकी खेती हर किसान करना चाहता है. इस किस्म की खासियत है कि यह रोग-प्रतिरोधी होने के साथ-साथ गर्म क्षेत्रों में भी अच्छा प्रदर्शन करती है. किसान अगर आलू की इस किस्म की खेती करते हैं, तो वे अधिकतम उपज के साथ-साथ बेहतर ग्रेड के आलू प्राप्त कर सकते हैं. इसके अलावा, इस किस्म के कंद मध्यम आकार के, सफेद गूदेदार और चिकने होते हैं, जो बाजार में अधिक पसंद किए जाते हैं.
किन राज्यों में करें खेती
उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों के लिए यह आलू की किस्म उत्तम मानी गई है. अगर यहां के किसान इस किस्म की बुवाई करते हैं, तो वे अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकते हैं, क्योंकि आलू की मांग हर मौसम में बराबर रहती है. इसकी डिमांड कभी खत्म नहीं होती और इन क्षेत्रों में यह किस्म देती है बंपर उपज –
-
उत्तर प्रदेश
-
बिहार
-
हरियाणा
-
पंजाब
-
मध्य प्रदेश
'कुफरी गंगा' किस्म की विशेषताएं
-
अवधि – 'कुफरी गंगा' आलू की इस किस्म को तैयार होने में बहुत कम समय लगता है. करीब 75 से 80 दिनों में यह किस्म कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
-
उत्पादन – यह कम समय में पकने वाली किस्म है, जिसकी पैदावार लगभग एक हेक्टेयर में 250 से 300 क्विंटल तक होती है.
-
रोग प्रतिरोधक – इस किस्म की खूबी है कि यह सामान्य रोगों जैसे झुलसा और स्कैब रोगों के प्रति सहनशील है, जिसका किसानों को बड़ा फायदा हो सकता है.
-
सिंचाई – आलू की इस किस्म को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती. यह कम सिंचाई में भी किसानों को अच्छी पैदावार देती है.
किसानों को होगा कितना लाभ?
'कुफरी गंगा' आलू की किस्म किसानों को कम खर्च में ज्यादा मुनाफा देने वाला अच्छा विकल्प है. बाजार में आलू के दाम मौसम के अनुसार बदलते रहते हैं, जो सामान्यतः ₹10 से ₹18 प्रति किलो तक होते हैं. इसी आधार पर कुल आय ₹2.5 लाख से ₹6 लाख प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है. वहीं, कुल लागत लगभग ₹60,000 से ₹1,00,000 आती है. इस प्रकार, किसानों को एक हेक्टेयर में लगभग ₹1.5 लाख से ₹5 लाख तक का लाभ प्राप्त हो सकता है.
Share your comments