ई-फसल आधारित स्मार्ट फार्मिंग (ई-सीबीएसएफ) एक इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) उपकरण है, जो अपने वैज्ञानिक तकनीकी से मौसम और मिट्टी की स्थिति का जायजा करता है और उसमें सही और उचित फसल पैदा करने की जानकारी मुहैया कराता है. इस तकनीक को आईसीएआर-सीटीसीआरआई, तिरुवनंतपुरम के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. संतोष मिथरा द्वारा विकसित किया गया था. इस उपकरण के माध्यम से खेती में अच्छी उपज पैदा करने और खेत की फसलों की नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम और पानी जैसी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है.
ई-फसल आधारित स्मार्ट खेती के लाभ
इस युग में कृषि में प्रौद्योगिकी की बहुत जरुरत होती है. यह तकनीक प्रदूषण कम कर सकती है और जलवायु को स्वस्थ भी बनाए रखने में मदद करती है. इसकी मदद से सही समय पर पौधों की वृद्धि के साथ उसका फर्टिगेशन कर उर्वरक और पानी की सही मात्रा प्रदान की जा सकती है. यह तरीका पारंपरिक खेती की तुलना में बहुत ही फायदेमंद है.
ई-सीबीएसएफ के उपयोग का तरीका
यह ई-क्रॉप फर्टिगेशन तकनीक अपनी एआई तकनीक से माध्यम से आवश्यकताओं को टेक्स्ट संदेश के माध्यम से स्मार्ट फर्टिगेशन सिस्टम को भेजता है. सिस्टम संदेशों को डिकोड करता है और संदेश में मात्रा के अनुसार संबंधित कंटेनर से नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम और पानी को पौधों को प्रदान करता है.
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फिर यह इन सभी तत्वों को मिश्रण कक्ष में भेजता है, जहां पोषक तत्वों को पानी के साथ मिलाया जाता है और ड्रिप स्प्रिंकलर के माध्यम से फसलों तक पहुंचाया जाता है. इस तकनीक का सबसे अच्छा फायदा यह है कि इसे आप मोबाइल उपकरण के माध्यम से दुनिया के किसी जगह से भी संचालित कर सकते हैं. इस तकनीक को कसावा, शकरकंद और केले जैसी तमाम फसलों पर उपयोग किया जा सकता है. यह पारंपरिक खेती की तुलना में 50% अधिक उपज देता है.
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