हिमाचल प्रदेश में परंपरागत फसलों को बचाने के लिए जीरो बजट में प्राकृतिक खेती की परियोजना के अगले ही चरण में बीज ग्राम परियोजना 2020 तक शुरू हो जाएगी. इसके लिए जीरो बजट हेतु पूरा खाका तैयार कर लिया गया है. योजना के तहत प्राकृतिक खेती कर रहे सभी सफल किसानों के माध्यम से बीज ग्राम परियोजना के द्वारा पुराने और परंपरागत फसलों से बचाने के लिए हर तरह के संभव प्रयास किए जाएंगे. यहां पर बीज ग्राम परियोजना के द्वारा प्रदेश के विभिन्न तरह के क्षेत्रों में पुरानी फसलें, कोदरा, लाल चावल, धान और मक्का आदि को उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
सभी जिलों में ग्राम बीज बनेगा
हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों में ग्राम बीज के बनाने का कार्य किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों में बीज ग्राम को बनाने का कार्य किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके अंतर्गत अनाज, कोदरा, धान, चावल और मक्के की खेती को बढ़ावा देने के लिए अगले चरण में परियोजना को शुरू किया जाएगा. प्रदेश के कई हिस्सों में चावल, मक्का और धान आदि की परंपरागत फसलें पाई जाती थी जिससे फसल धीरे-धीरे इन फसलों के बीज लुप्त हो रही है. उन्होंने कहा कि जीर बजट प्राकृतिक खेती करके सफल हो रहे है. सभी किसानों के माध्यम से अगले चरण में बीज ग्राम बनाने की कोशिश करेंगे.
ट्रीटेड बीज आने से खत्म हो रहे बीज
वर्ष 2020 में बीज ग्राम के जरिए परंपरागत कई किस्मों की फसलों को उगाने के लिए काम करना शुरू कर देंगे. उन्होंने कहा कि पुराने समय में लोग इन परंपरागत फसलों के बीज को तैयार करने का बनाने की परंपरा काफी लंबे समय से रही है लेकिन पिछले कई वर्षों से ट्रीटेड बीज आने से पारंपरिक बीज तेजी से खत्म हो रहे है.
पांरपरिक बीजों में ज्यादा पौष्टिकता
हिमाचल प्रदेश में पुरानी परंपरागत फसलों के संरक्षण की ज्यादा जरूरत होने लगी है. क्योंकि, उनके परंपरागत फसलों में तैयार हुई सभी बीजों में पौष्टिकता ज्यादा थी. वह रासायनिक फसलों से जहर रूपी अनाज का उपयोग खाने में कर रहे है. प्रदेश में जहर मुक्त खेती और पोषण युक्त खेती को करने के लिए जीरो बजट प्राकृतिक खेती परियोजना से प्रदेश के हजारों किसान तेजी से फायदा उठा रहे है. c
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