भारत में मक्का एक प्रमुख अनाज है, जिसे देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है. मक्के की उन्नत किस्में किसानों को बेहतर उत्पादन और मुनाफा दिलाने में मदद करती हैं. इन उन्नत किस्मों की खासियत यह है कि इन्हें विशेष रूप से विभिन्न जलवायु और कृषि क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है, जिससे किसानों को स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार अधिकतम उपज प्राप्त होती है. आज हम आपको मक्के की दो प्रमुख उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी देंगे, जो उत्पादन क्षमता के मामले में बेहतरीन साबित हो सकती हैं.
1. पूसा एच एम 4 उन्नत (संकर)
खेती के लिए उपयुक्त क्षेत्र
पूसा एच एम 4 उन्नत किस्म उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है, जिसमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मैदानी भाग शामिल हैं. इन क्षेत्रों में यह किस्म बेहतरीन उत्पादन क्षमता के लिए जानी जाती है.
उत्पादन की स्थिति
इस किस्म की खेती सिंचित क्षेत्रों में की जाती है, जहां पर्याप्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो. सिंचित परिस्थिति में इस किस्म से अधिकतम उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
उत्पादन क्षमता
पूसा एच एम 4 की औसत उपज 64.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि इसकी अधिकतम उपज 85.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंच सकती है. यह उपज दर कई पारंपरिक किस्मों से काफी अधिक है, जिससे किसानों को अधिक आय प्राप्त करने में मदद मिलती है.
तैयार होने की अवधि
इस किस्म की खास बात यह है कि यह केवल 87 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस त्वरित परिपक्वता के कारण किसान जल्दी फसल की कटाई कर सकते हैं और अगले सीजन के लिए भूमि तैयार कर सकते हैं.
2.पूसा एच एम 8 उन्नत (संकर)
खेती के लिए उपयुक्त क्षेत्र
पूसा एच एम 8 उन्नत किस्म प्रायद्वीपीय क्षेत्रों जैसे आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र के लिए उपयुक्त है. इन क्षेत्रों में यह किस्म अधिकतम उत्पादन देने के लिए जानी जाती है, खासकर जहां सिंचित कृषि हो.
उत्पादन की स्थिति
पूसा एच एम 8 की खेती भी सिंचित अवस्था में की जाती है. इन क्षेत्रों में सिंचाई की बेहतर सुविधा होने पर यह किस्म बेहतरीन परिणाम देती है.
उत्पादन क्षमता
इस किस्म की औसत उपज 62.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, लेकिन इसकी अधिकतम उपज 92.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है. यह किस्म उत्पादन क्षमता के मामले में एक बेहतरीन विकल्प है, खासकर उन किसानों के लिए जो अधिकतम लाभ प्राप्त करना चाहते हैं.
तैयार होने की अवधि
पूसा एच एम 8 किस्म की फसल 95 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इसकी उच्च उपज क्षमता और तेजी से पकने की अवधि इसे प्रायद्वीपीय क्षेत्रों के लिए एक आदर्श विकल्प बनाती है.
मक्के की उन्नत किस्में, जैसे पूसा एच एम 4 और पूसा एच एम 8, किसानों को अधिक पैदावार और बेहतर आर्थिक लाभ प्रदान करती हैं. इन किस्मों की उच्च उपज और सिंचित परिस्थिति में उनकी बेहतरीन उत्पादन क्षमता किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. यदि आप मक्के की खेती में अधिक उत्पादन चाहते हैं, तो इन उन्नत किस्मों को अपनाकर आप अपनी फसल की गुणवत्ता और उपज दोनों को बढ़ा सकते हैं.
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