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Organic Black Pepper: जैविक रूप से इस प्रकार करें काली मिर्च की खेती, मिलेगा बंपर उत्पादन

भारत में काली मिर्च की खेती बड़े पैमाने में की जाती है, काली मिर्च निर्यात बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. यदि आप जैविक रूप से काली मिर्च की खेती की जाए तो यकीनन आपको बंपर लाभ मिलेगा.

निशा थापा
काली मिर्च की खेती की संपूर्ण जानकारी
काली मिर्च की खेती की संपूर्ण जानकारी

काली मिर्च को मसालों का राजा कहा जाता है. काली मिर्च का पौधा बेलदार होता है, जो बारहमासी फल देता है. काली मिर्च भारत के पश्चिमी घाटों के उष्णकटिबंधीय जंगलों की मुख्य फसल है, जिसका उत्पादन भारत में बड़े पैमाने में किया जाता है. नोर्थ ईस्ट के राज्यों में काली मिर्च का उत्पादन काफी अधिक मात्रा में किया जा रहा है. सरकारी आंकड़ों पर नजर डाले तो भारत में सालाना 1.36 लाख हेक्टेयर जमीन पर लगभग 32 हजार टन काली मिर्च उत्पादित की जाती है, जिसमें सबसे अधिक केरल (94 फीसदी) कर्नाटक (5 फीसदी) और तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और उत्तर पूर्वी राज्यों में किया जाता है. भारत सालाना 240 करोड़ रुपए विदेशी मुद्रा 41000 टन काली मिर्च के निर्यात से अर्जित कर रहा है. ऐसे में यदि आप काली मिर्च की खेती कर मुनाफा कमाना चाहते हैं तो यह कदम आपके लिए लाभदायक साबित हो सकता है.

काली मिर्च की उन्नत किस्मों

  • पन्नियूर 1, पन्नियूर 2, पन्नियूर 3, पन्नियूर 4, पन्नियूर 5, पन्नियुर 6, पन्नियुर 7, पन्नियुर 8, पन्नियूर 9, पन्नियूर 10

  • पन्नियूर 1- कम ऊंचाई और कम छायादार क्षेत्रों के लिए.

  • पन्नियूर 5- सुपारी की फसल के लिए इंटरक्रॉपिंग.

  • पन्नियुर 8 - फाइटोफ्थोरा फुट रॉट और सूखे के प्रति सहिष्णु क्षेत्र.

  • पन्नियुर 9 - खुली और पहाड़ी इलाकों में अच्छा प्रदर्शन करता है, फाइटोफ्थोरा फुट रोट, सूखे और ठंडे, उच्च गुणवत्ता वाले क्षेत्र के लिए सहिष्णु.

  • अर्काकूर्ग एक्सेल विजय

  • श्रीकारा, सुभाकारा, पंचमी, पौर्णमी, आईआईएसआर थेवम, आईआईएसआर मालाबार एक्सेल, आईआईएसआर गिरिमुंडा, आईआईएसआर शक्ति, पीएलडी-2, कैराली,

  • केरल में करीमुंडा सबसे लोकप्रिय किस्म है.

काली मिर्च की खेती के लिए मिट्टी

काली मिर्च मुख्य रूप से वर्षा आधारित फसल के रूप में उगाई जाती है. काली मिर्च को भारी वर्षा (150 - 250 सेमी) उच्च आर्द्रता और गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है. ह्यूमस सामग्री से भरपूर नई मिट्टी पर सबसे अच्छा पनपता है और फसल को 1500 मीटर तक की ऊंचाई पर उगाया जा सकता है.

काली मिर्च की खेती के बुवाई का महीना

काली मिर्च एक बारहमासी फसल है, जिसे जून से लेकर दिसंबर तक उगाय जाए तो अच्छा उत्पादन मिलता रहता है.

काली मिर्च की रोपाई

काली मिर्च की खेती के लिए कलम विधि अपनाई जाती है, जिसमें सबसे पहले पौधों को इस प्रकार से रोपित किया जाना चाहिए कि पश्चिम और दक्षिण की ओर की ढलानों से बचा जा सके. पौधों को रोपने के लिए  50 सेमी x 50 सेमी x 50 सेमी आकार के गड्ढों को दोनों दिशाओं में 2 से 3 मीटर की दूरी पर खोदें. जिसके बाद गोबर की खाद को मिट्टी के साथ मिलाकर गड्ढों को भर दें और अपने कलम किए हुए पौधों को रोपित कर दें.

काली मिर्च के लिए खाद

किसी फसल के अच्छे उत्पादन के लिए जरूरी है कि आप पौधों में खाद डालते रहें, यदि खाद पूर्ण रूप से जैविक है तो इससे आपको, आपकी फसल को और लोगों बहुत फायदा पहुंचता है. काली मिर्च के पौधों को खाद देने के लिए मानसून की शुरूआत से ठीक पहले गोबर की खाद को @ 10 किग्रा/बेल पर छिड़काव करें.

काली मिर्च की फसल में सिंचाई

काली मिर्च की खेती के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है. मानसूनी दिनों में तो पौधों को पानी मिलता रहता है, इसके अलावा आपको दिसंबर से मई के दौरान 10 दिनों के अंतराल पर पूरी फसल पर सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सिंचाई जरूर करनी चाहिए.

काली मिर्च की खेती की निराई-गुड़ाई

काली मिर्च की बुवाई करने के बाद जब पौधों पनपने लगें तो जून-जुलाई और अक्टूबर-नवंबर महीने के दौरान काली मिर्च की निराई-गुड़ाई जरूर करनी चाहिए. इसके बाद खराब बेलों व पत्तों को बाकी पौधों से अलग कर के नष्ट कर दें.

पौधों का संरक्षण

पोलू बीटल और लीफ कैटरपिलर जैसे कीट को काली मिर्च के पौधों से बचाने के लिए जुलाई और अक्टूबर पौधों में गाय पंचगव्य का छिड़काव जरूर करें.

काली मिर्च की कटाई

काली मिर्च की बेलें आमतौर पर तीसरे या चौथे साल से उपज देने लगती हैं. बेलों में मई-जून में फूल आते हैं. फूल आने से लेकर पकने तक 6 से 8 महीने का समय लगता है. मैदानी इलाकों में नवंबर से फरवरी तक और पहाड़ों में जनवरी से मार्च तक कटाई की जाती है. जब स्पाइक्स पर एक या दो जामुन चमकीले या लाल हो जाते हैं, तो पूरे स्पाइक को तोड़ दिया जाता है. जामुन को हाथों के बीच रगड़ कर या पैरों के नीचे रौंद कर कांटों से अलग किया जाता है. अलग होने के बाद, जामुन को 7 से 10 दिनों के लिए धूप में सुखाया जाता है जब तक कि बाहरी त्वचा काली और सिकुड़ी हुई और झुर्रियों वाली न हो जाए. फिर आकार के हिसाब से काली मिर्च को विभाजित किया जाता है, यानि की छोटे दानों को एक साथ और बड़ों को एक साथ रखा जाता है.

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काली मिर्च की उपज क्षमता

काली मिर्च की उपज क्षमता लगभग 2 से 3 किग्रा/बेल/वर्ष होती है. यदि आपने अपने खेत में 200 पौधें भी लगाएं हैं, तो आपको सालाना अच्छी अपज व आमदनी मिलती रहेगी. बाजार में काली मिर्च की मांग बहुत अधिक है, देश के साथ-साथ विदेशों में काली मिर्च की मांग बहुत अधिक है. काली मिर्च का उपयोग खाने के साथ चाय व काढ़े के रूप में किया जाता है. इतना ही नहीं इसे आप अपने घर के गमले में उगा सकते हैं.

कृषि में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग, असम 3 से 5 फरवरी, 2023 तक पहला ऑर्गेनिक नॉर्थ ईस्ट एक्सपो आयोजित कर रहा है. एक्सपो का आयोजन सिक्किम स्टेट कोऑपरेटिव सप्लाई एंड मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (SIMFED) द्वारा किया जाएगा.

नोट- यह जानकारी तमिलनाडु एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के बेव पोर्टल से ली गई है.

English Summary: Cultivate black pepper organically in this way, you will get bumper production Published on: 08 January 2023, 11:58 AM IST

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