आमतौर पर हर घर में धनिया का उपयोग किया जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम Coriandrum sativum है. भारत में इसकी खेती मुख्य रूप से हरी पत्तियों के लिए होती है. इसकी खेती आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्य में की जाती है.
धनिया की पत्तियों का उपयोग चटनी, करी, सूप, सॉस और मसाले के रूप में किया जाता है. इसके अलावा धनिया का उपयोग आयुर्वेद में भी किया जाता है. इसके इन्हीं गुणों के चलते खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है.
धनिया की खेती के लिए जलवायु और मिटटी (Climate And Soil For Cultivation Of Coriander)
धनिया की खेती (Coriander Cultivation) मुख्य रूप से पत्तियों के उद्देश्य से जाती है. इसे विशिष्ट मौसम में उगाना पड़ता है, ताकि अधिक उपज प्राप्त हो सके. इसका उत्पादन सूखे और ठंडे मौसम में उगाए जाने पर बेहतर मिलता है. सिंचित फसल के रूप में खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है.
धनिया की खेती के लिए भूमि की तैयारी (Preparation Of Land For Cultivation Of Coriander)
खेत को वर्षा ऋतु से पहले 3 से 4 बार जोत लेना चाहिए. इसके बाद खेत में क्यारियां और नहरें बनाई जाती हैं. सिंचित फसल के लिए भूमि की 2 या 3 बार जुताई की जाती है और फिर क्यारियां और नहरें बनाई जाती हैं.
धनिया की उन्नत किस्में (Improved Varieties Of Coriander)
स्वाति किस्म (Swati variety)
धनिया की इस किस्म को एपीएयू, गुंटूर द्वारा विकसित किया गया है. इस किस्म के फल पककर तैयार होने में 80-90 दिन का समय लेते हैं. इस किस्म से 885 किग्रा प्रति हेक्टेयर उपज मिल सकती है.
राजेंद्र स्वाति किस्म (Rajendra Swati Variety)
धनिया की यह किस्म 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है. धनिया की यह किस्म आरएयू द्वारा विकसित की गई है. इससे 1200-1400 किग्रा प्रति हेक्टेयर उपज मिलती है.
गुजरात कोरिनेडर-1 (Gujarat Corridor-1)
इस किस्म के बीज मोटे और हरे रंग के होते हैं. इसके पकने की अवधि 112 दिन की होती है. इससे 1100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर उपज मिल सकती है.
गुजरात धनिया-2 (Gujarat Coriander-2)
इस किस्म की पौध में अधिक शाखाएं पायी जाती हैं, तो वहीं इसकी पत्तियां बड़ी और छतरी के आकार की होती हैं. इस किस्म की पौध को पककर तैयार होने में 110 – 115 दिन का समय लगता है. इस किस्म की उपज 1500 किलो प्रति हेक्टेयर होती है.
साधना किस्म (Sadhna Variety)
धनिया की यह किस्म 95-105 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म की उपज 1000 किलो प्रति हेक्टेयर होती है
धनिया की खेती के लिए बीज बोने की प्रक्रिया (Sowing Seeds For Coriander Cultivation)
धनिया मूल रूप से भारत और आंध्र प्रदेश के उत्तर और मध्य भागों में रबी मौसम में उगाया जाता है. धनिया की बुवाई (Coriander sowing) अक्टूबर के मध्य और नवंबर के मध्य में की जा सकती है.
धनिया की खेती के लिए सिंचाई (Irrigation For Coriander Cultivation)
पहली सिंचाई बुवाई के 3 दिन बाद करें. इसके बाद मिट्टी में उपलब्ध नमी के आधार पर 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें.
धनिया की खेती के लिए कटाई और उपज (Harvesting and yield for coriander cultivation)
फसल आमतौर पर किस्मों और बढ़ते मौसम के आधार पर लगभग 90 से 110 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. फलों के पूरी तरह से पकने और हरे से भूरे रंग में बदलने के बाद कटाई पर विचार किया जाना चाहिए. कटाई की प्रक्रिया में पौधों को काट दिया जाता है या खींच लिया जाता है. इसके साथ ही खेत में छोटे-छोटे ढेरों में डाल दिया जाता है, ताकि वे डंडों से या हाथों से रगड़ सकें.
वहीँ, इसकी उपज की बात करें, तो बारानी फसल के रूप में धनिया की उपज औसतन 400 से 500 किग्रा / हेक्टेयर के बीच होती है, जबकि सिंचित फसल की उपज 600 से 1200 किग्रा / हेक्टेयर के बीच होती है.
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