नैनो यूरिया यानि लिक्विड यूरिया की मांग देश में बढ़ती ही जा रही है. उपयोग में आसान और पैदावार बढ़ाने में मददगार होने के कारण किसान इस यूरिया की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. विश्व में पहली बार इफको द्वारा नैनो यूरिया बनाया गया है. इसे स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है. इफको द्वारा किए गए कई ट्रायलों की सफलता के बाद इसका उत्पादन किया जा रहा है . हाल ही में नैनो यूरिया को बनाने वाली सहकारी खाद कंपनी इफको ने उत्तराखंड के किसानों के लिए लिक्विड यूरिया की खेप भेजी है. यह खेप गुजरात के कलोल प्लांट से उत्तराखंड के लिए रवाना हुई. उत्तराखंड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने इसे वर्चुअल फ्लैग ऑफ किया.
इस अवसर पर कृषि मंत्री ने संबोधित भी किया. उन्होंने तरल नैनो यूरिया के उत्पादन को उत्तराखंड में कृषि के लिए वरदान स्वरुप बताया . उनके अनुसार नैनो यूरिया की खोज उत्तराखंड की मिट्टी, स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिहाज से महत्वपूर्ण है. विश्व में इफको द्वारा तरल नैनो यूरिया बिक्री के लिए पहला पेटेंट प्राप्त किया गया है.
सुबोध उनियाल के अनुसार यह प्रयास आत्मनिर्भर कृषि और आत्मनिर्भर उत्तराखंड की दिशा में कार्य करेगा. तरल रूप में 500 मिली नैनो यूरिया 45 किग्रा यूरिया के बराबर कार्य करेगा. इसकी 500 मिली की बोतल के परिवहन में आसानी होगी. इसके अलावा नैनो यूरिया (तरल) के उपयोग से उपज, बायोमास, मिट्टी के स्वास्थ्य और उत्पाद की पोषण गुणवत्ता में सुधार होता है. उत्तराखंड की विशेष भौगोलिक परिस्थितियों, आवागमन की सुविधा के लिए नैनो यूरिया उत्पाद कृषकों तक आसानी से पहुंच सकेगा.
इफको के विपणन निदेशक योगेंद्र कुमार के अनुसार, नैनो यूरिया किसानों में काफी लोकप्रिय हो रहा है. इस उत्पाद को किसानों को आनलाइन बिक्री के लिए भी उपलब्ध कराया गया है. पर्वतीय क्षेत्रों में नैनो यूरिया के परिवहन एवं भंडारण में आसानी होगी.
इफको इससे पहले महाराष्ट्र, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को नैनो यूरिया की खेप भेज चुका है . और ख़ास बात यह कि आधे घंटे के भीतर ही सारा स्टॉक बिक गया था. क्या विशेषताएं है नैनो यूरिया खाद की और भी बहुत कुछ जो आप जानना चाहते है नैनो यूरिया के बारे में , पढ़िएं इस लेख में
क्या है नैनो तरल यूरिया
कृषि वैज्ञानिकों एवं इंजीनियरों के सफल प्रयास के बाद नैनो तकनीक से यूरिया का निर्माण भारत सरकार के उपक्रम इफको द्वारा किया गया है. जिसके तहत नैनो यूरिया 500 मिली लीटर की बोतल में है. जिसकी कीमत 240 रुपये तय की गई है. एक बोरी यूरिया खाद की कीमत लगभग 266 रुपये है. नैनो तकनीक से बनाए गए तरल नैनो यूरिया की कीमत एक बोरी खाद से 10 फीसदी कम है.
इससे खेती की लागत में कमी आएगी. किसानों को आर्थिक रूप से भी फायदा होगा. नैनो यूरिया भूमिगत जल की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं डालेगी. इसके प्रयोग से पौधों को संतुलित पोषक तत्व मिलेगा क्योंकि यह लिक्विड में है इसका छिड़काव करते ही पौधों और मृदा में तुरंत इसकी खुराक मिल जाती है. कम लागत में अच्छी फसल की उपज करने की सोच रखने वाले किसानों के लिए नैनो तरल यूरिया अच्छा विकल्प हो सकता है .
कम उपयोग और लागत, उत्पादकता में वृद्धि-Reduced usage and cost, increased productivity
औसतन, भारत में एक किसान प्रति फसल मौसम में एक एकड़ में यूरिया के दो बैग लगाता है, जिसकी मात्रा फसल के अनुसार थोड़ी भिन्न होती है, लेकिन इफको द्वारा किए जा रहे दावों के अनुसार, क्षेत्र परीक्षणों से पता चला है कि नैनो यूरिया की 500 मिलीलीटर की बोतल पारंपरिक यूरिया के एक बैग की जगह ले सकती है क्योंकि इसमें 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन है, जो पारंपरिक यूरिया के एक बैग द्वारा प्रदान किए जाने वाले नाइट्रोजन पोषक तत्व के बराबर है. इसका मतलब है कि नैनो तरल यूरिया का इस्तेमाल करने पर, एक बोरी खाद की जगह सिर्फ आधे लीटर लिक्विड से काम चल जाएगा.
नैनो तरल यूरिया की विशेषताएं-Features of Nano Liquid Urea
इनपुट और भंडारण लागत में कटौती करके किसानों की आय में पर्याप्त वृद्धि के अलावा, नैनो यूरिया तरल का उद्देश्य पारंपरिक यूरिया के मुकाबले फसल की उपज और उत्पादकता में वृद्धि करना भी है. नैनो यूरिया (nano urea) भूमिगत जल (under ground water) की गुणवत्ता सुधारने में भी मददगार साबित होगा. इसे ग्लोबल वार्मिंग (global warming) कम करने में भी मदद मिलेगी.
1. नैनो यूरिया तरल खाद की एक छोटी बोतल १ किलो की एक बोरी से भी ज्यादा असरदार साबित होगी.
2. यह अधिक उच्च क्षमता वाला खाद है.
3. यह पर्यावण को बिना नुकसान पहुंचाए पौधे को पूर्णरूप से पोषण प्रदान करेगा.
4. परंपरागत नाइट्रोजन यूरिया का बेहतर विकल्प है.
5. यह मिट्टी, जल और पर्यावरण प्रदूषण को कम करता है.
6. इससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होगा.
7. इसके उपयोग से उत्पादन में लागत कम लगेगी.
8. यह मिट्टी में यूरिया की अधिक मात्रा को कम करेगा.
9. इसके उपयोग से पौध को पर्याप्त मात्रा में नाइट्रोजन मिलेगी.
10. यह सब्सिडी वाले यूरिया से भी सस्ता है.
इस तरह काम करता है तरल यूरिया –Action of using nano urea in plants
तरल नैनो यूरिया आधा लीटर की बोतल में आता है और इसे पानी के साथ मिलाकर खेतों में स्प्रे किया जाता है. नैनो यूरिया, आम यूरिया के दानों की तुलना में बहुत सूक्ष्म है, लेकिन यह बेहद प्रभावशाली हैं. इसका छिड़काव पौधों की पत्तियों पर किया जाता है. पत्तियों पर छिड़काव के बाद नैनो यूरिया के कण स्टोमेटा एवं अन्य संरचनाओं के माध्यम से आसानी से पत्तियों में प्रवेश कर कोशिकाओं द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं. ये कण बड़ी आसानी से पौधे की आवश्यकतानुसार अन्य भागों में वितरित हो जाते हैं. पौधे के उपयोग के बाद बची हुई नाइट्रोजन रिक्तिकाओं में जमा हो जाती है और आवश्यकतानुसार पौधों को उपलब्ध होती रहती है.
यह पत्तियों में मौजूद स्टोमेटा में आंतरिक क्रिया द्वारा जरूरी प्रोटीन, अमिनो एसिड के रूप में ग्रहण कर लिया जाता है. इसका पहला छिड़काव पौधों के बढ़ने के समय और दूसरा छिड़काव पौधों में फूल आने के समय किया जाना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि नैनो लिक्विड यूरिया की 400 एम एल की एक बोतल से एक बैग यूरिया की कमी को पूरा किया जा सकता है.
छिटकवां विधि में यूरिया पौधों की जड़ पर पड़ती है. जबकि इसमें सीधे पत्तियों पर स्प्रे होगा. इसलिए यह ज्यादा असरदार होगी. फसल विकास की प्रमुख अवस्थाओं में नैनो यूरिया का पत्तियों पर छिड़काव करने से नाइट्रोजन की आवश्यकता प्रभावी तरीके से पूरी होती है. यह अपने नैनो कणों (यूरिया के एक दाने का पचपन हजारवां भाग) के कारण अधिक प्रभावशाली एवं उपयोगी है. इसकी अवशोषण क्षमता 80 प्रतिशत से भी अधिक पाई गई है, जो कि सामान्य यूरिया की तुलना में अधिक है. इसलिए पौधे की नाइट्रोजन मांग को पूरा करने के लिए नैनो यूरिया की आवश्यकता कम मात्रा में होती है.
नैनो यूरिया तरल खाद का हो रहा कई राज्यों में इस्तेमाल-Nano urea liquid fertilizer is being used in many states-
11 हजार से अधिक स्थानों, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) के तहत 20 आईसीएआर संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केन्द्रों में फसलों पर किये गये बहु-स्थानीय और बहु-फसली परीक्षणों के आधार पर, इफको नैनो यूरिया तरल को उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ, 1985) में शामिल कर लिया गया है. पूरे देश में 94 फसलों पर हुए परीक्षणों में फसलों की उपज में औसतन 8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है .
परिणामों से पता चला कि नैनो यूरिया फसल की उपज बढ़ाने के साथ-साथ पोषण गुणवत्ता में भी बहुत उपयोगी है. इफको के कई वैज्ञानिको द्वारा जैविक खाद नैनो के सफल परीक्षण के लिए जलवायु व मौसम के अनुसार सभी फसलों में ट्रायल की जा चुकी है.
इसके लिए देशभर के विभिन्न राज्यों में तथा राजस्थान के सीकर, झुंझुनू सहित कई जिलों में नैनो खाद की रबी व खरीफ की फसलों में ट्रायल की जा चुकी है . राजस्थान के कई जिलों में बाजरा, सब्जी तथा खरीफ की अन्य फसलों की खेती में उपयोग किया जा रहा है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के 20 से अधिक रिसर्च सेंटरों में 94 फसलों पर ट्रायल किए गए. इससे फसलों की उपज में औसतन 8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.
यूरिया की तुलना में कितना बेहतर है नैनो तरल यूरिया
यूरिया (urea) के अधिक प्रयोग के कई नुकसान हैं. इससे पर्यावरण प्रदूषित (polluted) होता है, मृदा स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता है और पौधों में बीमारी और कीट का खतरा अधिक बढ़ जाता है. इसके अलावा फसल (crops) देर से पकती है और उत्पादन कम होता है. नैनो यूरिया तरल फसलों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है तथा फसलों को गिरने से बचाता है. इफको (IFFCO) नैनो यूरिया किसानों के लिए सस्ता है. यह किसानों की आय (Income) बढ़ाने में मददगार होगा. इफको नैनो यूरिया तरल की 500 मि.ली. की एक बोतल सामान्य यूरिया के कम से कम एक बैग के बराबर होगी. आकार छोटा होने के कारण इसे पॉकेट में भी रखा जा सकता है, जिससे परिवहन और भंडारण लागत में भी काफी कमी आएगी.
इफको के अनुसार, इसके प्रयोग से पौधों को संतुलित मात्रा में पोषक तत्त्व प्राप्त होंगे एवं मिट्टी में यूरिया के प्रयोग की ज्यादा जरुरत नही होगी, क्यूंकि यूरिया के अधिक उपयोग से पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है, पौध में कीट का खतरा बढ़ने की आशंका रहती है एवं फसल भी देर से पकती है और फसल का उत्पादन भी कम होता है. नैनो यूरिया तरल फसलों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है तथा फसलों को गिरने से बचाता है .
नया नैनो यूरिया तरल बेहतर पोषण गुणवत्ता के साथ फसलों के उत्पादन में वृद्धि करेगा. इस नए उत्पादन से पर्यावरण प्रदूषण को कम करने की उम्मीद की जा रही है.
किसान भाइयों, नैनो तरल यूरिया फसल, किसान और पर्यावरण के लिए पूरी तरह सुरक्षित है. विभिन्न प्रयोगों से ये भी साबित हुआ है कि नैनो यूरिया के प्रयोग से किसान 2000 रुपये प्रति एकड़ का अतिरिक्त मुनाफा कमा सकते है. इसका उपयोग अनाज, दलहन, तिलहन, सब्जियों, फलों, घास जैसी सभी प्रकार की फसलों के लिए किया जा सकता है.
नैनो तरल यूरिया इफको के ई-कॉमर्स प्लेटफार्म www.iffcobazar.in. के अतिरिक्त मुख्य रूप से सहकारी बिक्री केन्द्रों और अन्य विपणन माध्यमों से किसान प्राप्त कर सकते है.
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