नक्सलियों की गोलियों से गूंजने वाले बस्तर में अब कॉफी पैदा होने लगी है. अब हम जल्द ही बस्तर में पैदा हुई कॉफी का पूरी तरह से स्वाद ले सकेंगे. कृषि विवि के वैज्ञानिकों द्वारा बतौर प्रयोग तीन साल पहले बस्तर हॉर्टिकल्चर कॉलेज में लगवाए गए कॉफी के पौधे भी अब फलने लगे हैं. यहां पर कॉफी के सभी पौधे दक्षिण भारत से मंगवाए गए थे. यहां की कुख्यात दरभा इलाके के घने जंगलों में 2 एकड़ जमीन पर कॉफी के पौधे रोपे गए थे. अगले महीने और 20 एकड़ भूमि में रोपे जाएंगे.
छत्तीसगढ़ में बना कॉफी गार्डन
छत्तीसगढ़ के बस्तर में कॉफी का पहला बाग होगा. अभी देश में सबसे अधिक कॉफी आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में होती है. कॉफी को तमिलनाडु, केरल, नॉर्थ ईस्ट और ओडिशा के कुछ हिस्सों में उगाई जा रही है. देश में कॉफी बनाने वाली मशहूर मल्टीनेशनल कंपनी के अफसरों ने हाल में बस्तर का दौरा किया है. ग्रामीणों के मुताबिक कंपनी यहां कॉफी मेकिंग यूनिट लगाने की तैयारी में है, यहां के दरभा में ही 20 एकड़ में कॉफी लगाने को हरी झंड़ी मिल गई है. वैज्ञानिकों के सुझाव पर यहां दूसरी किस्म यानी कॉफिया रोबेस्टा की तीन वैराइटी भी लगाई जाएंगी.
इसीलिए मिली सफलता
छत्तीसगढ़ के बस्तर में अरेबिका की बोनी की गई है. इसका पौधा एक ऐसी भूमि पर लगता है जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई 500 मीटर हो. इसके लिए मार्च से जून के बीच में 25 से 30 मिमी बारिश भी होनी चाहिए. इसके अलावा इसके पौधों पर 60 फीसद छाया भी रहें. कॉफी बोर्ड इंडिया के सांइटिसट डॉ अजीत राउत ने बताया कि कॉफी का पेड़ तो कही पर भी उग जाता है लेकिन इसका कोई भी फल नहीं आता है. जगदलपुर कॉलेज में इसका फ्रूट आया है इसीलिए यहां संभावना ज्यादा है. दंतेवाडा के किरूंदल में भी कॉफी की पैदावार हो सकती है.
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