करेला एक ऐसी सब्ज़ी है जो अपने कड़वेपन और कुदरती गुणों के कारण जानी जाती हैं. यह स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद सब्जी हैं. इसे कई नामों से जाना जाता है जैसे- कारवेल्लक, कारवेल्लिका, करेल, करेली तथा करेला आदि.
आज हम आपको अपने इस लेख में करेले की उन्नत खेती सही तरीके से कैसे की जाए, जिससे पैदावार ज्यादा हो उसके बारे में बताएंगे. तो आइए जानते है करेले की खेती के बारे में...
करेले की खेती का सही समय (Bitter gourd cultivation time)
करेले की खेती हमारे देश में प्राचीन काल से की जा रही हैं. यह एक ऐसी सब्जी है जो किसी भी मौसम में उगाई जा सकती हैं.
करेले की खेती के लिए सही भूमि एवं जलवायु (Right soil and climate for bitter gourd cultivation)
करेले की खेती लगभग सभी प्रकार की भूमि पर की जा सकती हैं. लेकिन इसकी अच्छी पैदावार के लिए दोमट मिट्टी ही सही मानी जाती हैं. इसकी खेती के लिए ठाम एवं आर्द्र जलवायु की आवश्यकता पड़ती
करेले की किस्में (Bitter gourd varieties)
करेले की कई प्रकार की किस्में मौजूद हैं-
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पूसा 2 मौसमी
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कोयम्बूर लौंग
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अर्का हरित
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कल्याण पुर बारह मासी
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हिसार सेलेक्शन
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सी 16
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पूसा विशेष
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फैजाबादी बारह मासी
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आर.एच.बी.बी.जी. 4
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के.बी.जी.16
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पूसा संकर 1
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पी.वी.आई.जी. 1
करेले की बीज मात्रा और समय (Bitter gourd seed quantity and timing)
करेले के 5 से 7 किलो ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के लिए काफी है एक स्थान पर से 2 से 3 बीज 2.5-5. मि. की गहराई पर बोने चाहिए. बीज को बोने से पहले 24 घंटे तक पानी में भिगो लें. ऐसा करने से अंकुरण जल्दी और अच्छा से होता है. इसकी बुवाई 15 फरवरी से 30 फरवरी (ग्रीष्म ऋतु) तथा 15 जुलाई से 30 जुलाई (वर्षा ऋतु) की जाती है.
बीज की बुवाई 2 प्रकार से की जा सकती है (Sowing of seeds can be done in 2 ways)
(1) सीधे बीज रोपण द्वारा
(2) पौध रोपण द्वारा
करेले के लिए खाद (Bitter gourd fertilizer)
करेले की अच्छी पैदावार पाने के लिए जैविक खाद और कम्पोस्ट खाद का होना आवश्यक है. खेत की तैयारी करते समय खेतों में 40 से 50 क्विंटल गोबर की खाद खेत में डालें. फिर 125 किग्रा. अमोनियम सल्फेट या किसान खाद, 150 किलोग्राम सुपरफॉस्फेट व 50 किग्रा. म्युरेट ऑफ पोटाश तथा फॉलीडाल चूर्ण 3 फीसद 15 किग्रा का मिश्रण 500 ग्राम प्रति गड्ढे की दर से बीज बोने से पहले मिला ले.
फिर 125 किग्रा अमोनियम सल्फेट या अन्य खाद फूल आने के समय पौधों के पास मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाए. फिर फसल में 25 से 30 दिन बाद नीम का काढ़ा को गौमूत्र के साथ मिलाकर अच्छी तरह से मिश्रण बना कर खेतों में छिडकाव करें. ऐसे ही हर 15 से 20 दिन के अंतर में छिडकाव करते रहें. फल तोड़ने के 10 से 15 दिन पहले रासायनिक युक्त दवाओं का प्रयोग बंद कर दें.
करेले की फसल सिंचाई (Bitter gourd crop irrigation)
करेले की अच्छी उपज पाने के लिए सिंचाई बहुत आवश्यक हैं. इस फसल की सिंचाई वर्षा पर भी आधारित हैं. इसकी समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें. जब भी खेतो में नमी की कमी होने लगे तभी खेतों की सिंचाई करें. इसके साथ ही खरपतवारो को खेत से बाहर निकालते रहें. जिससे फल और फूल दोनों की पैदावार ज्यादा मात्रा में हो सकें.
करेले की फसल तुड़ाई (Bitter gourd harvest)
तुड़ाई हमेशा फसल के नरम होने पर हि की जानी चाहिए ज़्यादा दिन फसल को रखने पर वह सख्त हो जाती हैं. और बाजार में जाने के बाद लोग उससे खरीदना भी पसंद नहीं करते आमतौर पर फल बोने के 70-90 दिन बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं. फसल की तुड़ाई हफ्ते में 2 से 3 बार की जानी चाहिए.
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