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Tulsi Cultivation: तुलसी के सेवन के लाभ व सर्दियों में इसकी देखभाल के उपाय

तुलसी (वानस्पतिक नाम: ओसीमम सैंक्टम) आयुर्वेद में इस्तेमाल होने वाली व भारत में उत्पन्न हुई एक पवित्र औषधीय जड़ी बूटी है. भारतीय संस्कृति में पवित्र तुलसी को देवी का स्थान प्राप्त है व इसे सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. तुलसी को एक अनुकूलनशील जड़ी बूटी माना जाता है जो कॉर्टिसोल के स्तर को कम करके शरीर को तनाव से लड़ने में मदद करती है और ऊर्जा को बढ़ावा देती है.

KJ Staff
Basil Benefits
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तुलसी (वानस्पतिक नाम: ओसीमम सैंक्टम) आयुर्वेद में इस्तेमाल होने वाली व भारत में उत्पन्न हुई एक पवित्र औषधीय जड़ी बूटी है. भारतीय संस्कृति में पवित्र तुलसी को देवी का स्थान प्राप्त है व इसे सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. तुलसी को एक अनुकूलनशील जड़ी बूटी माना जाता है जो कॉर्टिसोल के स्तर को कम करके शरीर को तनाव से लड़ने में मदद करती है और ऊर्जा को बढ़ावा देती है.

आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी तुलसी का उपयोग आमतौर पर चिंता, तनाव और थकान को दूर करने के लिए किया जाता है और हर्बल योगों में इसका इस्तेमाल दमा और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों, माइग्रेन या किसी भी प्रकार के सिरदर्द, कील-मुहासों, सर्दी, फ्लू आदि के इलाज में मददगार साबित हो सकता है, क्योंकि तुलसी में कई लाभकारी घटक पाए जाते हैं.

तुलसी में ल्यूटिन नाम का एक एंटीऑक्सिडेंट होता है जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है. इसके साथ ही लौंग के तेल की तरह तुलसी में दर्द-निवारक गुणों वाला घटक यूजेनॉल पाया जाता है. तुलसी में दो ऐसे यौगिक तत्त्व भी होते हैं जो न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन और डोपामाइन को संतुलित करते हैं. तुलसी का सेवन हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के साथ-साथ कैंसर को मात देता है, रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है, बालों का असमय झड़ना व सफेद होना कम करता है, वजन घटाने में मदद करता है व रोग-प्रतिरोधी तंत्र को मजबूत बनाता है.

सुबह खाली पेट दूध में तुलसी के पत्तों को उबाल कर या सीधे रूप से भी तुलसी के पत्तों का सेवन किया जा सकता है. इसके अलावा नींबू के रस और तुलसी के पत्तों वाले पानी का सेवन विटामिन-सी की दैनिक खुराक की पूर्ती करता है तथा अन्य पोषक तत्वों के अवशोषण को भी बढ़ावा देता है.

सर्दियों में तुलसी की देखभाल कैसे करें? (How to take care of basil in winter?)

तुलसी की खेती के लिए गर्मियों का समय काफी उपयुक्त रहता है, क्योंकि यह एक उष्णकटिबंधीय पौधा है व इसे अंकुरित करने के लिए गर्म तापमान की आवश्यकता होती है. तुलसी के पौधे ठंड के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं तथा अत्यधिक ठण्ड के कारण सूख जाते हैं.

  • सर्दी के दिनों में तुलसी को अधिक पानी की जरूरत नहीं होती इसलिए 4-6 दिन के अंतराल में ही पानी देना चाहिए लेकिन ध्यान रखें कि इस पौधे के लिए मिट्टी को लगातार नम रखा जाना चाहिए व मिट्टी चिपचिपी नहीं होनी चाहिए.

  • सर्दियों के मौसम में जहां तक संभव हो सके तुलसी के पौधे को घर के अंदर ही स्थान देना चाहिए और सर्दियाँ खत्म होने के कई हफ्तों बाद ही तुलसी को बाहर रखना चाहिए. लेकिन घर के अंदर तुलसी लगाते समय ये जरूर सुनिश्चित करें कि प्रतिदिन कम से कम 4-6 घंटे के लिए पौधे को पर्याप्त धूप मिल पाए.

  • इसके अलावा सर्दियों में तुलसी को कोल्ड फ्रेम में रखना भी एक अच्छा विकल्प है जिससे लम्बे समय तक पौधे को गर्माहट मिलती रहे.

  • सप्ताह में एक दिन जड़ों के पास मिटटी की गुड़ाई भी कर सकते हैं व सरसों की खली को भी मिटटी में मिला सकते हैं.

  • तुलसी में ठंडा पानी न डालें, हो सके तो गुनगुना पानी डाल सकते हैं.

  • तुलसी की सूखी मंजरियों को हटा देना चाहिए ताकि पौधों का पूर्ण रूप से विकास हो सके.

सर्दी में तुलसी पर कीटों का प्रकोप भी बढ़ जाता है जिसके लिए नीम के तेल का जैविक स्प्रे इस्तेमाल किया जा सकता है जो आसानी से उपलब्ध है. इसे घर पर भी पानी में नीम के ताजा पत्तों को उबालकर बनाया जा सकता है. इसके साथ ही अपने रसोई घर में उपलब्ध मिर्च-लहसुन का मिश्रण बना सकते हैं और इसका इस्तेमाल पानी में मिलाकर कर सकते हैं लेकिन तुलसी या किसी भी अन्य औषधीय पौधे पर रसायनों के छिड़काव करने से यथासंभव बचना चाहिए क्योंकि रसायनों के छिड़काव वाली दवा के सेवन के कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं.

लेखक: नमिता सोनी और कुशल राज

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा

English Summary: Benefits of consuming basil and ways to take care of it in winter Published on: 24 November 2021, 05:42 PM IST

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