Australian Teak Farming: बीते कई सालों में खेती में कई तरह के बदलाव देखने को मिले हैं. किसान अब पारंपरिक फसलों की जगह नगदी फसलों की खेती पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, ताकि उन्हें ज्यादा मुनाफा हो सके. हालांकि, फसल कोई भी हो, किसानों को मेहनत करनी ही पड़ती है. लेकिन, अगर हम आपको बताएं कि आप ज्यादा मेहनत किए बिना भी करोड़ों कमा सकते हैं, तो क्या आपको विश्वास होगा. लेकिन, ये बात बिल्कुल सच है. ऐसे में आगर आप भी खेती करते हैं और घर बैठे लाखों करोड़ों रुपये की कमाई करना चाहते हैं, तो आज हम आपको एक ऐसे पड़े के बारे में बताएंगे, जिससे आप करोड़ों की कमाई कर सकते हैं. इस पड़े की डिमांड सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है. इस पड़े की खास बात ये है की इसे कहीं भी उगाया जा सकता है. तो आइए आपको इस पड़े के बारे में विस्तार से बताते हैं.
इस पड़े से होगी करोड़ों की कमाई
दरअसल, हम बात कर रहे हैं अस्ट्रेलियन टीक या सागौन के पड़े की. इसे बबूल प्रजाति का उन्नत पौधा भी कहा जाता है. यह एक तरह से शीशम है, जो इमारती लकड़ी में प्रयोग किया जाता है. इतना ही नहीं पर्यावरण संरक्षण में भी यह पड़े अहम भूमिका निभाता है. अस्ट्रेलियन टीक मिट्टी को उर्वर बनाता है और मिट्टी के कटाव को भी रोकता है. इसकी जड़े पांच मीटर तक नाइट्रोजन फिक्सेशन करती हैं. ऐसे में अगर आप इसे अपने खेतों के आसपास लगाते हैं, तो इससे अन्य फसलों को पर्याप्त नाइट्रोजन सहित पोषक तत्व मिल जाएंगे. ये एक ऐसा पड़े है, जिसे ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती. ऐसे में इसकी सिंचाई के लिए आपको ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा.
ऑस्ट्रेलियन टीक की खासियत
ऑस्ट्रेलियन टीक की लकड़ी अपने मध्यम वजन, उचित ताकत, आयामी स्थिरता और स्थायित्व, आसान कार्यशीलता के कारण दरवाजे, खिड़की के फ्रेम और शटर, वैगन और गाड़ी, फर्नीचर, अलमारियां, जहाज, कृषि उपकरण, सजावटी फर्श और दीवार पैनलिंग के निर्माण के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है. इसी वजह से बाजार में इसकी खूब डिमांड रहती है. अगर आप भी इस पेड़ को उगाते हैं, तो इससे मोटा मुनाफा कमा सकते हैं.
पत्तियों का भी होता है इस्तेमाल
अस्ट्रेलियन टीक की लकड़ी ही नहीं, बल्कि पत्ते भी बड़े काम के हैं. स्वदेशी चिकित्सा में इसकी पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है. माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस यानी टीबी जैसी गंभीर बीमारी के संक्रमण को रोकने के लिए इसकी पत्तियों के रस का इस्तेमाल किया जाता है. माना जाता है कि फूल रक्तपित्त, ब्रोंकाइटिस और मूत्र स्त्राव जैसे विकारों के इलाज में ये काफी फायदेमंद रहता है. इसके अलावा अस्ट्रेलियन टीक की पत्तियां में पीला और लाल रंग भी पाया जाता है, जो रेशम, ऊन और कपास को रंगने के काम आता है.
कैसे करें खेती?
अगर आप भी अस्ट्रेलियन टीक की खेती करना चाहते हैं, तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा. सबसे पहले इसके बीजों को रात भर पानी में भिगो दें. बीज को एक छिद्रयुक्त बीज-उगाने वाले मिश्रण पर बोयें और हल्के से ढक दें. इसके बाद महीन धुंध स्प्रे से पानी दें. गर्म, छायादार या अर्ध-छायादार स्थान पर रखें. गर्म और नम रखें, और बढ़ते मिश्रण को सूखने या जल जमाव से बचाएं. ऑस्ट्रेलियाई सागौन गर्म और आर्द्र परिस्थितियों में अच्छी तरह से बढ़ता है. इसके लिए 27-36°C के बीच का तापमान सबसे उचित माना जाता है. कम वर्षा (1,200 और 2,500 मिमी के बीच) वाले क्षेत्रों में उगाए जाने वाला अस्ट्रेलियन टीक उच्च गुणवत्ता वाली लकड़ी प्रदान करता है. पूर्ण रूप से विकसित ऑस्ट्रेलियाई सागौन की ऊंचाई 45 से 65 फीट और व्यास 3 से 6 फीट के बीच हो सकता है.
कीतनी होगी कमाई?
ऑस्ट्रेलियन टीक प्लांट की कीमत 30 रुपये से लेकर 129 रुपये तक हो सकती है. ऑस्ट्रेलियन टीक के पौधे की कीमत, इसकी क्षेत्र और वैरायटी के आधार पर निर्भर करती है. औसतन इसका पौधा आपको 40 से 50 रुपये तक आसानी से मिल जाएगा. कमाई की बात करें तो उदाहरण के तौर पर अगर आप प्रति पौधे पर 40 रुपये का निवेश करते हैं और एक एकड़ भूमि में इसकी खेती करते हैं, तो 1000 पौधों के लिए आपको 40,000 रुपये का निवेश करना होगा. पड़े के बड़े होने पर आप इसकी लकड़ी को 10 से 16 हजार रुपये तक आसानी से बेच सकते हैं. क्योंकि, ऑस्ट्रेलियन टीक को बड़ा होने में 10 से 12 वर्षों का समय लगता है. इस हिसाब से अगर आप 40 हजार रुपये निवेश करते हैं, तो 10 साल बाद आप इसकी लकड़ी को बेचकर 90 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई कर सकते हैं.
Share your comments