आदमचीनी एक प्रकार का चावल है जिसका सबसे ज्यादा पैदावार उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में होता है. यह चावल सफेद रंग का व इसका दाना चीनी के आकार का होता है. आदमचीनी अपने मीठे स्वाद एवं उम्दा खुशबू के लिए जाना जाता है. आदमचीनी चावल को जीआई टैग भी प्राप्त है, जिसकी वजह से इसे एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र की पहचान मिली है. साथ ही साथ इसके उत्पादन और स्वाद में भी विशिष्ट विशेषताएं हैं. आदमचीनी चावल की खेती चंदौली जिले के विभिन्न क्षेत्रों में की जाती है, जिसमें रामनगर, राजपुर, जौनपुर, और चंदौली शहर शामिल है. आइये जानते है आदमचीनी चावल के बारे में...
आदमचीनी के लिए उपजाऊ मिट्टी जरुरी
आदमचीनी चावल की बुआई आमतौर पर जून-जुलाई में होती है और अक्टूबर-नवंबर में इसके फसल को काटा जाता है. आदमचीनी चावल को उगाने के लिए उपजाऊ मिट्टी और पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है. मिर्जापुर और चंदोली में इसकी खेती काफी ही बड़े पैमाने पर हो रही है. वर्तमान में इसकी किमत 140 रुपये प्रति किलो है. साथ ही साथ किसानों में धान की इस किस्म की खेती करने को लेकर काफी उत्सुकता रहती है. जब से इस चावल को जीआई टैग मिला है तब से इस क्षेत्र के किसानों में खुशी की लहर है.
आदमचीनी चावल की कुछ विशेषताएं
आदमचीनी चावल एक खुश्बूदार चावल है. इसे पकाने पर इसकी सुगंध काफी दुर तक फैलती है. इस चावल को पकाने की विधि कुछ अलग नहीं है बल्कि सामान्य चावल को जैसे पकाया जाता है ठीक इसी पक्रिया से आदमचीनी चावल को भी पकाया जाता है. इस चावल को करीब 10 मिनट तक खूब अधिक रगड़- रगड़ कर धोते रहना चाहिए जब पूरी तरह साफ हो जाए फिर पकाना चाहिए. ऐसा करने से इस चावल की सुगंध काफी दूर तक फैलती रहती.
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आदमचीनी की खेती से किसानों का फायदा ही फायदा
आदमचीनी चावल की खेती से किसानों को फायदा ही फायदा है. इसकी खेती मूल्यरुप से विंध्य पर्वत के निचले हिस्से में खूब होती है. वहां की जलवायु, मिट्टी इस फसल को बाकियों से काफी अलग बनाती है. जिसकी वजह से आदमचीनी को एक नई पहचान मिली हैं. मिर्जापुर और चंदौली जिले के 70 से 100 किसान करीब 70 हेक्टेयर में आदमचीनी की खेती कर रहे हैं. जबकि चंदौली जिले के रामनगर, राजपुर, जौनपुर में आदमचीनी की खेती बड़े पैमाने पर होती है.
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