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खुम्ब भवन में अजैविक समस्याएं उनका कारण व समाधान

खुम्ब में कई प्रकार की बीमारियां व कीड़ों का प्रकोप होता है. खुम्ब भवन में इनके साथ-साथ कुछ ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है जो कि किसी फफूंद व कीट से संबंधित न होकर वातावरण अथवा किसी अजैविक कारण से होती है. जिनके कारण खुम्ब की पैदावार में कमी आ जाती है. इन समस्याओं के लक्षण व उनके निवारण के सुझाव निम्नलिखित है :-

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खुम्ब में कई प्रकार की बीमारियां व कीड़ों का प्रकोप होता है. खुम्ब भवन में इनके साथ-साथ कुछ ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है जो कि किसी फफूंद व कीट से संबंधित न होकर वातावरण अथवा किसी अजैविक कारण से होती है. जिनके कारण खुम्ब की पैदावार में कमी आ जाती है. इन समस्याओं के लक्षण व उनके निवारण के सुझाव निम्नलिखित है :-

1). स्ट्रोमा

इस समस्या में खुम्ब जाला केसिंग के ऊपर सफेद रूई की तरह फैल जाता है. जिससे पिन हैड बनने में कठिनाई आती है. यह समस्या कमरे में कार्बन डाइऑक्साइड की अधिकता व भवन का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर आती है. केसिंग मिश्रण में गोबर की खाद पूरी तरह से गली सड़ी न होने के कारण भी यह समस्या आ सकती है. केसिंग मिश्रण की सतह पतली होने से भी यह समस्या आ सकती है .

निवारण

  • कमरे का तापमान 14 से 18 डिग्री सेल्सियस तथा कमरे में ताजी हवा का आगमन बढ़ा दें.

  • जाला केसिंग मिट्टी के ऊपर आने से नई केसिंग मिट्टी से ढक देना चाहिए.

  • गोबर की खाद से केसिंग करने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि गोबर की खाद कम से कम डेढ़ साल पुरानी हो अन्यथा इसमें जला हुआ धान का छिलका अवश्य मिला लें.

2). खुम्बों का फट जाना

खुम्बों का समय से पहले खुल जाना, टोपियों का खुरदरा होना तथा तना खोखला रहना जैसी  समस्याएं आती है. यह समस्या खुम्ब भवन में कम नमी व शुष्क हवा के कारण होती है. यह समस्या खुम्ब उत्पादन वाले कमरों में खिड़कियां, रोशनदान अथवा दरवाजों के समीप ज्यादा होती है .

निवारण

  • खुम्ब भवन में लगातार 80 से 90% नमी बनाए रखें. नमी बनाने के लिए फर्श, दीवारों व खिडकियों पर पानी का छिडकाव करें .

  • खुम्ब भवन में जहां सीधी हवा आती हो वहां पर गीली बोरियां व परदे गीले रखने चाहिए .

3). रोज कोंब

इस समस्या के कारण खुम्ब की टोपियों का आकार बिगड़ जाता है. गिल और पटलिकाएं जो खुम्ब की टोपी खुलने के पश्चात दिखाई देती है टोपी खुलने से पहले ही टोपी की सतह फाड़कर ऊपर की ओर निकल आते हैं.

निवारण

  • खुम्ब भवन में कोयले की अंगीठी लैंप या दीपक से गर्म ने करें. एसा करने से खुम्ब की टोपी समय से पहले हि खुल जाएगी .

4). खुम्बों का पीला पड़ना व पिन हैडों का मरना 

पिन हैड निकलते ही मर जाते हैं तथा गलकर नष्ट हो जाते हैं. यह समस्या कमरे में 20 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान, तेज गति से पानी छिड़कना, पानी की ज्यादा क्लोरीन व फॉर्मलीन का प्रयोग करने से होता है.

निवारण

  • खुम्ब भवन का तापमान 14 से 18 डिग्री सेल्सियस बनाए रखें.

  • पानी का छिड़काव नोजल से करें .

  • ब्लीचिंग पाउडर 2 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें.

  • फफूंदनाशक व कीड़ेमार दवाई का अनावश्यक प्रयोग ना करें.

5). खुम्ब की टोपियों का छोटा रहना व तनों का लम्बा फूल जाना

कई बार खुम्ब भवन में टोपियां छोटी तथा लम्बी व फूल जाने की समस्या आ जाती है. यह समस्या कार्बनडाइऑक्साइड ज्यादा व पानी की कमी के कारण हो जाती है .

निवारण

  • कंपोस्ट व केसिंग मिश्रण में अगर पानी की कमी नजर आए तो पानी का छिड़काव कर उसकी कमी को पूरा करें.

  • कमरे में ताजी हवा का आगमन व गंदी हवा के निकास का प्रबंध करें .

6). खुम्ब का लाल होना

यह समस्या खुम्ब को धोते समय हो जाती है जोकि कंपोस्ट व केसिंग के पानी में अधिक मात्रा से होती है .

निवारण

पानी का जनवरी के महीने में कम से कम छिड़काव करें.

7). गिल का सख्त होना

खुम्ब भवन का तापमान कम या ज्यादा होने से समस्या उत्पन्न हो जाती है .

निवारण

कमरे का तापमान 14 से 18 डिग्री सेल्सियस व नमी 85 से 90% बनाए रखें

लेखक:
राकेश कुमार चुघ, सरिता एवं मनमोहन सिंह          
पादप रोग विभाग       
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार

English Summary: Abiotic problems in Khumb Bhavan, their cause and solution Published on: 25 January 2021, 06:17 PM IST

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