भारत में कृषि का नाता बहुत पुराना है. किसान वर्षों से खेती करते आ रहे हैं, किसानों को बढ़ावा देने के लिए भी सरकार भी कई योजनाएं लेकर आ रही है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में सुधार हो तथा किसानों की आय दोगुनी हो जाएं. इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने कैक्टस की खेती से किसानों की आय बढ़ाने का फैसला लिया है.
भूमि की उर्वरकता में होगा सुधार
भारत के अधिकतर हिस्सों खासकर कर के रेगिस्तान में कैक्टस की पैदावार बहुत अधिक होती है. विशेषज्ञों की मानें तो कैक्टस एक जेरोफाइटिक पौधा है
जो कि बेहद धीमी गति के साथ बढ़ता है, मगर यह लंबे वक्त तक अपने निर्धारित लक्ष्य पूरा करने में सफल होता है. कैक्टस का यह पौधा भूमि की उर्वरक क्षमता में सुधार करता है.
तेल के निर्यात में आएगी कमी
भारत सरकार कैक्टस के खेती को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है, कैक्टस से बायो तेल का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे विदेशों पर तेल की निर्भारता में कमी आएगी तथा देश के किसानों की आय बढ़ेगी. इसी को देखते हुए इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च काउंसिल और इंटरनेशानल एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर की सहायाता से मध्य प्रदेश में एक परियोजना स्थापित की गई है, यहां पर कैक्टस के पौधों की खेती परती वाली भूमि पर की जाएगी.
पानी का अच्छा स्रोत
कैक्टस को पानी को एक अच्छा स्रोत माना जाता है, चुंकी कैक्टस रेगिस्तान में होता है, इसकी खेती के लिए पानी की आवश्यरता ना के बराबर होती है. गर्मियों में कैक्टस को पशुओं को खिलाकर उन्हें गर्मी से बचाया जा सकता है.
देखी जा रही अन्य देशों की स्थिति
सरकार विदेशी भूमि पर कैक्टस की खेती का बड़ी बारिकी से विशलेषण कर रही है, जिसके लिए चिली, मोरक्को, मैक्सिको और ब्राजील समेत अन्य देशों की स्थिति पर नजर रखी जा रही है. ताकि भारत में कैक्टस की खेती में किसानों को सहायता मिले.
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कैक्टस से बन रहा चमड़ा
देश कैक्टस के पौधे से चमड़ा बनाने का कार्य भी चल रहा है. चमड़े से वस्तुएं आम जन के साथ- साथ पर्यावरण के लिए अनुकूल हैं. वैसे तो चमड़ा बनाने के लिए जानवरों की खाल का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए वह बहुत महंगा बिकता है. लेकिन अब कैक्टस से चमड़ा बनाने से लोगों को कम दामों पर चमड़े से बने बैग, जैकेट, बैल्ट, जूते आदि मिलेंगे.
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