
भारत में रबी सीजन को खेती के लिहाज से सबसे लाभकारी समय माना जाता है. इस दौरान किसान गेहूं जैसी मुख्य फसलों की खेती कर अधिक उपज और मुनाफा कमा सकते हैं. खासतौर पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और दिल्ली जैसे राज्यों के किसान रबी की फसलों पर निर्भर रहते हैं.
इसी को ध्यान में रखते हुए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और उससे जुड़े संस्थानों ने गेहूं की 10 नई किस्में जारी की हैं, जो अधिक उपज देने वाली, रोग प्रतिरोधी और कम समय में तैयार होने वाली हैं. इन किस्मों की खेती कर किसान अपनी आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं.
नई किस्में: उच्च उत्पादन और कम लागत की गारंटी
जारी की गई गेहूं की 10 नई किस्मों में DBW 296 (करण ऐश्वर्या), DBW 327 (करण शिवानी), DBW 332 (करण आदित्य), DBW 303 (करण वैष्णवी), DBW 187 (करण वंदना), DBW 222 (करण नरेन्द्र), WH 1270, PBW 771, HD 3226 और HI 1620 शामिल हैं. ये सभी किस्में अलग-अलग जलवायु, मिट्टी और सिंचाई की स्थितियों के अनुसार अनुकूलित की गई हैं.
बीमारियों से सुरक्षा और सिंचाई की कम ज़रूरत
इन किस्मों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये पीले, भूरे और काले रतुआ जैसे प्रमुख रोगों के प्रति प्रतिरोधी हैं. इससे किसान कीटनाशकों पर अतिरिक्त खर्च से बच सकते हैं. इसके अलावा, कई किस्में ऐसी हैं जो सूखे और गर्मी को भी सहन कर सकती हैं, जिससे कम सिंचाई में भी अच्छा उत्पादन मिल सकता है. यह उन किसानों के लिए बहुत उपयोगी है, जिनके पास सिंचाई के सीमित साधन हैं.
जल्दी बुवाई और कम अवधि में फसल तैयार
करण आदित्य और करण वैष्णवी जैसी किस्मों की अगेती बुवाई 20 अक्टूबर से शुरू की जा सकती है. वहीं करण वंदना और PBW 771 जैसी किस्में केवल 120 से 155 दिनों में फसल तैयार कर देती हैं. इससे किसानों को जल्दी उत्पादन मिल जाता है और वे दूसरी फसल की भी योजना बना सकते हैं.
बेहतर उपज के साथ ज़्यादा आमदनी
इन नई किस्मों से किसानों को औसतन 70 से 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज मिल सकती है. कुछ विशेष परिस्थितियों में पैदावार 95 क्विंटल तक भी पहुंच सकती है. यह पारंपरिक किस्मों की तुलना में कहीं अधिक है. अधिक उपज का सीधा असर किसान की आमदनी पर पड़ता है, जिससे उसका जीवन स्तर सुधर सकता है.
मूल्यवर्धन की संभावना और बाजार में मांग
चूंकि इन किस्मों का उत्पादन अधिक है और अनाज की गुणवत्ता भी बेहतर है, इसलिए बाजार में इसकी मांग अधिक रहती है. गेहूं की कुछ किस्में जैसे HD 3226 और HI 1620 मोटे दाने वाली हैं, जिन्हें एक्सपोर्ट मार्केट में भी अच्छी कीमत मिल सकती है. ऐसे में किसानों को न केवल घरेलू बाजार बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार से भी लाभ मिल सकता है.
विभिन्न राज्यों के लिए अनुकूल किस्में
इन किस्मों को विशेष रूप से उन राज्यों के लिए विकसित किया गया है, जहां रबी सीजन में बड़े पैमाने पर गेहूं की खेती होती है. जैसे:
-
पंजाब, हरियाणा, दिल्ली: DBW 296, WH 1270, PBW 771
-
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड: DBW 332, HD 3226, HI 1620
-
राजस्थान और हिमाचल: DBW 327, DBW 222
-
जम्मू-कश्मीर और तराई क्षेत्र: DBW 187, WH 1270
इससे किसानों को अपने क्षेत्र की मिट्टी और जलवायु के अनुसार उपयुक्त किस्म चुनने में आसानी होगी.
उन्नत तकनीक से मिल सकता है और भी ज्यादा फायदा
इन किस्मों की खेती के साथ यदि किसान उचित बुवाई समय, संतुलित उर्वरक, जल प्रबंधन और खरपतवार नियंत्रण जैसी वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाएं, तो उन्हें और अधिक उत्पादन मिल सकता है. इससे खेती एक लाभकारी व्यवसाय बन सकती है.
Share your comments