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कल का दिन पूरे देश के लिए अहम होने वाला है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश के किस सेक्टर को क्या नया देंगी, इसकी घोषणा कल होगी. लेकिन फिलहाल आशाओं, उम्मीदों और अटकलों का दौर जारी है. चलिए आपको बताते हैं कि खाद्य उत्पादन और सुरक्षा की दृष्टि से ये बजट क्यों महत्वपूर्ण है.
खाद्य सुरक्षा में अबतक का सफर
खाद्य उत्पादन में तो भारत पहले की अपेक्षा बहुत आगे निकल गया है लेकिन अभी भी खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में हमारे हाथ खाली ही हैं. कृषि प्रधान देश होने के बाद भी भारत की 30 फीसदी जनता गरीबी रेखा से नीचे है. संयुक्त राष्ट्र की मानें तो भारत में हर साल कुपोषण के कारण दस लाख से अधिक बच्चों की मौत हो जाती है. दर्दनाक यह है कि मरने वालों में अधिकतर की उम्र पांच साल से कम होती है. राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों की हालत दयनीय है. ध्यान रहे कि यह मौत प्राकृतिक नहीं बल्कि सरकारी लापरवाही का परिणाम है.
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कृषि और नीति सुधार
खाद्य उत्पादन और सुरक्षा का सबसे बड़ा आधार कृषि है लेकिन दुर्भाग्य है कि अबतक की हर सरकार ने इसी क्षेत्र की उपेक्षा की है. मीडिया भी महंगाई पर तो हल्ला करती है, लेकिन कृषि को लेकर कभी संवेदनशील दिखाई नहीं देती. एक रिपोर्ट के मुताबिक अच्छे उत्पादन के बाद भी कोल्ड स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट सुविधा के अभाव में हर साल करीब 44 हजार करोड़ रुपए की फल और सब्जियां बर्बाद हो जाती हैं.
घटती ज़मीन और सरकारी योजनाऐं
खाद्य उत्पादन की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक घटती हुई उपजाऊ ज़मीन है. जनसंख्या वृद्धि इसका प्रमुख कारण है. जो जनसंख्या 1970 में 55 करोड़ थी वह 2030 में 146 करोड़ होने की उम्मीद है. जबकि हमारी खाद्य ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कृषि भूमि 1.40 करोड़ हेक्टेयर ही है.
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कच्चे माल पर बढ़ सकता है शुल्क
2020-2021 के बजट में सरकार अगर चाहे तो खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (Food Processing) को राहत देते हुए बड़ी घोषणा कर सकती है. ध्यान रहे कि पांच खरब का लक्ष्य खाद्य उद्योग से प्राप्त करने का रखा गया है. इसलिए उम्मीद की जा रही है कि आयात वाले कच्चे माल पर शुल्क बढ़ सकता है. वर्तमान में फल और सब्जियों के पल्प और कंसन्ट्रेट के लिए हमारी निर्भरता बड़ी कंपनियों की तरफ ही है.
खाद्य उद्योग की मांग
खाद्य उद्योग ने आयात शुल्क में 20 फीसदी राहत की मांग करते हुए जीएसटी की दोबारा समीक्षा करने की अपील की है.
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