गौरतलब है कि उप्र सरकार का वर्ष 2017-18 के लिए 4,28,629 करोड़ रु. का बजट था। उसमें से 2,67,782 करोड़ रु.यानी 62 फ़ीसदी खर्च किया गया। यानी 1,60,847 करोड़ रु. (38 प्रतिशत) खर्च नहीं किया गया।
राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे की को गलत बताते हुए जनता के बीच जाती हैं और खुद को तमाम परेशानियों के समाधान के रूप में पेश करके वोट लेती हैं। भारतीय जनता पार्टी ने भी समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस की कमियों का सहारा लेकर उत्तर प्रदेश की जनता का मत हासिल किया और सरकार बनाई। लेकिन सरकार बनाने के बाद से लगातार ऐसी घटनाएं हो रहीं हैं जिनमें जनता को कुछ अलग ही होता दिख रहा है। मसलन, गोरखपुर सरकारी अस्पताल में बच्चों की मृत्यु, अपनी पुत्री के बलात्कार के खिलाफ न्याय मांगते हुए पिता की पुलिस हिरासत में मृत्यु, सहारनपुर में चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’के ऊपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानूनलगना, वगैरह। ऐसे अनेकों मामले हैं। इन मामलों से जनता में आक्रोश है। इन समस्यायों से निज़ात पाने के लिए सत्ता पक्ष ने जिन्ना के जिन को उछाला है।
जनता का काम है कि जिन समस्यायों के समाधान के लिए उसने जिस पार्टी को वोट दिया है, उसके कामों का ऑडिट करे।ये लेख ऐसा ही एक प्रयास है।ऊतर प्रदेश के वित्त विभाग की वेबसाइट पर सरकार के बजट आवंटन और खर्च का विवरण है।इन आंकड़ों को विभागवार और विभिन्न कार्यक्रमों के अनुसार सूची-बद्ध करें तो जान सकते हैं कि कौन-सी योजना में सरकार की क्या उपलब्धि है। गौरतलब है कि उप्र सरकार का वर्ष2017-18 के लिए 4,28,629 करोड़ रु.का बजट था। उसमें से 2,67,782करोड़ रु.यानी62 फ़ीसदीखर्च किया गया। यानी1,60,847 करोड़ रु. (38 प्रतिशत) खर्च नहीं किया गया। कुछ मुख्य क्षेत्रों के आवंटन और खर्च का की क्या स्थिति रही, इस पर एक नज़र डालते हैं।
स्वास्थ्य
2017में गोरखपुर में स्वास्थ्य सुविधाओं के आभाव में बहुत से बच्चों की मृत्यु हो गई।यह बात अख़बारों में आई कि कंपनियों को भुगतान नहीं किए जाने के कारण स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाओं जैसे ऑक्सीजन आदि की आपूर्ति नहीं हुई।इससे संबंधित विवाद में बिना गए यह देखा जा सकता है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में कितना खर्च हुआ।इस क्षेत्र में कुल 6 विभाग हैं जिनके लिए 18,011करोड़ रु. आवंटित थे। उसमें से 15,370करोड़ रु. खर्च हुए।यानी 2,641करोड़ रु. खर्च नहीं हुए।इसका विवरण इस प्रकार हैः
साल 2017-18में स्वास्थ्य क्षेत्र के 6 विभागों के लिए आवंटन और खर्च (करोड़ रु. में) |
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विभाग कानाम |
आवंटित बजट |
खर्च |
बची धनराशि |
चिकित्सा विभाग (चिकित्सा, शिक्षा एवं प्रशिक्षण) |
3950.8 |
3684.76 |
266.04 |
चिकित्सा विभाग (एलोपैथी चिकित्सा) |
6618.79 |
5523.69 |
1095.1 |
चिकित्सा विभाग (आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा) |
1000.34 |
770.85 |
229.49 |
चिकित्सा विभाग (होम्योपैथी चिकित्सा) |
405.46 |
346.32 |
59.14 |
चिकित्सा विभाग (परिवार कल्याण) |
5346.51 |
4463.45 |
883.06 |
चिकित्सा विभाग (सार्वजनिक स्वास्थ्य) |
689.56 |
580.95 |
108.61 |
कुल |
18011.46 |
15370.02 |
2641.44 |
वन विभाग:
वन विभाग के लिए कुल 980.28 करोड़ रु. आवंटित थे, जिसमें से मात्र 579.79करोड़ रु. यानी59 प्रतिशत खर्च हुए। 400.49करोड़ रु. यानी41 फ़ीसदी आवंटित रकम खर्च नहीं हुई।
कृषि विभाग:
इस क्षेत्र में कम से कम 9 विभाग हैं, जिनके लिए कुल 69,447करोड़ रु.आवंटित थे।उसमें 46,795करोड़ रु. यानी67 प्रतिशतखर्च हुए। 22,652करोड़ रु. यानी33 प्रतिशत रकम खर्च नहीं हुई।विभागवार विवरण इस प्रकार है:
वर्ष 2017-18में कृषि क्षेत्र के 9 विभागों के लिए आवंटन और खर्च (करोड़ रु. में) |
|||
विभाग कानाम |
आवंटित बजट |
खर्च |
बची धनराशि |
कृषि तथा अन्य संबंधित विभाग (औद्यानिक एवं रेशम विकास) |
462.75 |
393.38 |
69.37 |
कृषि तथा अन्य संबंधितविभाग (कृषि) |
36687.07 |
21743.6 |
14943.47 |
कृषि तथा अन्य संबंधित विभाग (भूमि विकास एवं जल संसाधन) |
314.56 |
233.26 |
81.3 |
कृषि तथा अन्य संबंधित विभाग (ग्राम्य विकास) |
16260.41 |
10321.01 |
5939.4 |
कृषि तथा अन्य संबंधित विभाग (पंचायती राज) |
13503.5 |
12210.75 |
1292.75 |
कृषि तथा अन्य संबंधित विभाग ((पशुधन) |
1452.35 |
1181.42 |
270.93 |
कृषि तथा अन्य संबंधित विभाग (दुग्धशाला विकास) |
269.72 |
265.61 |
4.11 |
कृषि तथा अन्य संबंधित विभाग (मत्स्य) |
116.98 |
83.79 |
33.19 |
कृषि तथा अन्य संबंधित विभाग (सहकारिता) |
379.41 |
362 |
17.41 |
कुल |
69,446.75 |
46,794.82 |
22,651.93 |
शिक्षा:
इस क्षेत्र में मुख्यतया तीन विभाग हैं, जिनके लिए 62,639करोड़ रु.आवंटित किए गए थे।इसमें से 46,738करोड़ रु. यानी75% हिस्सा खर्च हुआ।यानी15,901करोड़ रु. खर्च नहीं हुए।विभागवार आवंटन और खर्च का विवरण इस प्रकार हैः
वर्ष 2017-18 में शिक्षा क्षेत्र के 3 विभागों के लिए आवंटन और खर्च (करोड़ रु. में) |
|||
विभाग कानाम |
आवंटित बजट |
खर्च |
बची धनराशि |
शिक्षा विभाग (प्राथमिक शिक्षा) |
50593.84 |
36069.74 |
14524.1 |
शिक्षा विभाग (माध्यमिक शिक्षा) |
9389.44 |
8538.29 |
851.15 |
शिक्षा विभाग (उच्च शिक्षा) |
2655.81 |
2129.65 |
526.16 |
कुल |
62639.09 |
46737.68 |
15901.41 |
अनुसूचित जाति/ जन-जातिएवं पिछड़ा वर्ग:
इन वर्गों के लिए मुख्यतया 4 विभाग ‘नोडल विभाग’ के तौर पर कार्य करते हैं, जो इनके लिए योजनाएं और और बजट निर्धारित करते हैं।इन चारों विभागों में कुल 32,282करोड़ रु.आवंटित हुए, जिसमें से 23,604करोड़ रु. यानी73 प्रतिशतखर्च हुए और 8,678करोड़ रु. यानी27 फीसदी खर्च नहीं हुए। सबसे कम खर्च अनुसूचित जनजाति (61%) के लिए हुआ और उसके बाद अनुसूचित जाति जिसके लिए 70% धनराशि ही खर्च हो पाई।विवरण इस प्रकार है :
वर्ष 2017-18 में अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए आवंटन और खर्च (करोड़ रु. में)
|
|||
विभाग कानाम |
आवंटित बजट |
खर्च |
बची धनराशि |
समाज कल्याण विभाग (विकलांग एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण) |
2536.75 |
2234.09 |
302.66 |
समाज कल्याण विभाग(समाज कल्याण एवं अनुसूचित जातियों का कल्याण) |
4410.65 |
3710.4 |
700.25 |
समाज कल्याण विभाग (जनजाति कल्याण) |
577.77 |
352.11 |
225.66 |
समाज कल्याण विभाग(अनुसूचित जातियों के लिए विशेष घटक योजना) |
24756.79 |
17307.63 |
7449.16 |
कुल |
32281.96 |
23604.23 |
8677.73 |
विस्तृत विवरण इन सभी वर्गों के लिए एक जैसे हैं। मसलन,
शिक्षा
अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए ग्रांट संख्या 83 में 24,763करोड़ रु.आवंटित किए गए थे, जिसमें से मात्र 17,295करोड़ रु. खर्च हुए। यानी7,467करोड़ रु. लैप्स हो गए।इस ग्रांट में बहुत सी योजनाएं/ स्कीम हैं, जिसमें से एक स्कीम है- सर्व शिक्षा अभियान (केंद्र 60% / राज्य 40%)। उसमें 3,403करोड़ रु. आवंटित थे।इसमें से 1,458करोड़ रु. खर्च हुए।1,945करोड़ रु. खर्च नहीं किए गए।सर्व शिक्षा अभियान के लिए आवंटित इस धनराशि में से 2,741करोड़रु. वेतन के रूप में भुगतान किए जाने थे, लेकिन सिर्फ 947करोड़ रु. ही वेतन के रूप में दिए गए। इस मद के 1,794करोड़ रु. खर्च नहीं किए गए। कर्मचारियों के पुनरीक्षित वेतन के लिए 151करोड़ रु. का प्रावधान था, जिसमें खर्च शून्य है।(संदर्भ सरकार के बजट कोड 2202017890101 में आवंटित बजट एवं खर्च)
सर्व शिक्षा योजना में अनुसूचित जाति के लिए जिस तरह से धनराशि खर्च की जा रही है उसका मोटे तौर पर निष्कर्ष क्या है? वेतन ना मिलने से न तो कर्मचारी या शिक्षक विद्यालयों में जाएंगें और न ही छात्र वहां जाएंगे।अंत में सरकार कहेगी कि वह शिक्षा जिम्मेदारी का निर्वाह सरकार नहीं कर सकती। लिहाजा विद्यालय निजी क्षेत्र को दे दिए जाएं।
आवास योजना
क. सबके लिए आवास (शहरी) मिशन (के.60/रा.40-के.): के लिए 600 करोड़ रु. का आवंटन था, जिसमें 169.66 करोड़ रु. यानी आवंटन का28% हिस्साही खर्च हुआ। रु०430.34करोड़ रु. यानी आवंटन का 72 फीसदी हिस्सा खर्च नहीं हुआ । (संदर्भ: सरकार के बजट हेड 2217057890122 में आवंटित बजट और खर्च)
ख. प्रधानमंत्रीआवास योजना (ग्रामीण) (के.60/रा.40-के.) के लिए 2829.6करोड़ रु.आवंटित थे, जिसमें से 1743.28करोड़ रु. यानी उसका62% हिस्सा हीखर्च हुआ। (संदर्भ: सरकार के बजट हेड4216037890102में आवंटित बजट और खर्च)
इसका सरकार यह सोचती है कि अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इससे ज्यादा आवास की जरूरत नहीं है?क्या इस तर्क पर अगले वर्ष आवास के लिए आवंटित बजट कम कर दिया जाएगा?
अनुसूचित जातिके युवकों के लाभार्थ विविध प्रशिक्षण योजनाओं (के.100/रा.0)के लिए केंद्र सरकार ने 62.8 करोड़ रु. दिए। उसमें से राज्य सरकार ने सिर्फ 3.3 करोड़ रुपए यानी मात्र 5% हिस्सा खर्च किया गया।59.5 करोड़ रु. यानीआवंटन का 95% हिस्सा खर्च नहीं किया गया। (सन्दर्भ: सरकार के बजट हेड2225017890105में आवंटन और खर्च)
इसका तात्पर्य यह हुआ कि अब अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को रोजगार और प्रशिक्षण की जरूरत नहीं है। जाहिर है, अगले वर्ष में इनका बजट कम किया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के माध्यम से संचालित स्व-रोजगार योजनाओं मेंअनुदान (100% भारत सरकार):
यह केंद्र सरकार की योजना है जिसके लिए 90 करोड़ रु. का आवंटन हुआ, जिसमें से 42 करोड़ रु. यानी47% हिस्साखर्च हुआ।यानी 53% हिस्सा खर्च नहीं हुआ। (संदर्भ: सरकार के बजट हेड2225017890106में आबंटन और खर्च)
इस तात्पर्य यह हुआ कि केंद्र सरकार द्वारा दिए गए बजटमें से (जो कि अनुसूचित जातियों के लोगों के स्वरोजगार के लिए है)आधा बजट भी राज्य सरकार ने खर्च नहीं किया। इसका मतलब यही माना जाएगा कि सरकार की राय में ये धनराशि आवश्यकता से ज्यादा थी।इसका भी यही मतलब है कि आने वाले वर्षों में ये बजट कम किया जा सकता है।
दिल्ली स्थितसंस्थानों में आईएएस/पीसीएसप्रारंभिक परीक्षा हेतु पूर्व प्रशिक्षण:इस योजना के लिए एक करोड़ रु. का बजट आवंटित था, जिसमें शून्य खर्च हुआ। (सन्दर्भ सरकार के बजट हेड2225017890119में आबंटन और खर्च)
त्वरित ग्रामीण विद्युतीकरण कार्यक्रम (राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण कार्यक्रम) हेतु उत्तर प्रदेश विद्युत निगम में अंश-पूंजी विनियोजन (के.100/रा.0-90%अनुदान+10%ऋण -के.) के लिए ऋण देने लिए और अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए आवंटित बजट में से 580.16रुपये करोड़ देने का प्रावधान था।दीन दयाल उपाध्यायग्राम ज्योति योजना के तहत विद्युत वितरण कार्यों हेतु अंश-पूंजी के लिए 650.24करोड़ रुपये देने का प्रावधान था।इन दोनों मदों में आवंटित रकम पूरी तरह से खर्च हुई। (संदर्भ सरकार के बजट हेड4801067890101और4801067890700में आवंटन और खर्च)
इसका तात्पर्य है कि ये कार्यक्रम ठेकेदारों या कंपनियों के माध्यम से संचालित होने थे। इसे ऋण के रूप में देना था, जो अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए आवंटित धनराशि से दिया जाना था।जब यह धनराशि पूरी तरह से खर्च हो चुकी है, तो आगामी वर्षों में इस तरह के आवंटन को प्रोत्साहन मिलेगा।इन सभी आवंटनों और खर्च की जांच पड़ताल इसी स्तर तक सीमित है।अगर हम यह मान लें कि जो भी खर्च हुआ, वह सीधे अनुसूचित जाति तक पहुंचा है तो यह अतिश्योक्ति होगी।यह स्थिति अनुसूचित जाति वर्ग की है। अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के लिए आवंटित बजट और खर्च की सच्चाई भी कमोबेश ऐसी ही है।
- उमेश बाबू
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