पॉली हाउस याने की एक ऐसा घर जो "पॉली" से बना हुआ हो. पॉली वह चादर या आवरण है जो की पॉलिथीन शीट जैसी शीट से बना होता है. अगर दूर गांवों की और में जाते हुए हमें सड़क के किनारे, खेतों में जो एक एकड़, बीघा में कुछ ढका हुआ नजर आता है या फिर किसी हरे रंग के जालीदार कपड़े से ढका हुआ घर सा लगता है तो यही पोली हॉउस है.
यह तीन प्रकार का होता है
1. पोली हाउस
2. ग्रीन हाउस
3. नालीदार टनल
पॉलीहाउस को हम ग्रीनहाउस बोलते हैं यह बहुत ही फायदेमंद हाउस होता है इसे जो भी किसान लगाता है दुगनी मुनाफा कमाता है तो आइए हम पाली हाउस के बारे में आज बताते हैं.
पाली हाउस को लगाने के लिए 1 एकड़ जमीन होना चाहिए अगर 1 एकड़ से कम जमीन में हम पॉलीहाउस लगाते हैं तो उसमें ज्यादा लागत लगता है अगर हम एक बीघा में पाली हाउस लगाएंगे तो छोटा हो जाएगा और लागत भी बढ़ जाएगा अगर एक बीघा में बनवाते हैं तो 10 से 11 लाख का लागत लग जाता है. अगर 1 एकड़ लगवाएंगे तो 1 स्क्वायर मीटर का सरकारी रेट 844 रुपया होता है लेकिन अगर एक बीघा में लगवाते हैं तो 1 स्क्वायर मीटर का लागत लगभग 1034 लग जाता है.
पॉली हाउस (प्लास्टिक के हरित गृह) ऐसे ढाँचे हैं जो परम्परागत काँच घरों के स्थान पर बेमौसमी फसलोत्पादन के लिए उपयोग में लाए जा रहे हैं. ये ढाँचे बाह्य वातावरण के प्रतिकूल होने के बावजूद भीतर उगाये गये पौधों का संरक्षण करते हैं और बेमौसमी नर्सरी तथा फसलोत्पादन में सहायक होते हैं. साथ ही पॉली हाउस में उत्पादित फसल अच्छी गुणवत्ता वाली होती है.
पॉली हाउस की संरचना:
ढाँचे की बनावट के आधार पर पॉली हाउस कई प्रकार के होते हैं. जैसे- गुम्बदाकार, गुफानुमा, रूपान्तरित गुफानुमा, झोपड़ीनुमा आदि। पहाड़ों पर रूपान्तरित गुफानुमा या झोपड़ीनुमा डिजायन अधिक उपयोगी होते हैं। ढाँचे के लिए आमतौर पर जीआई पाइप या एंगिल आयरन का प्रयोग करते हैं जो मजबूत एवं टिकाऊ होते हैं। अस्थाई तौर पर बाँस के ढाँचे पर भी पॉली हाउस निर्मित होते हैं जो सस्ते पड़ते हैं. आवरण के लिए 600-800 गेज की मोटी पराबैगनी प्रकाश प्रतिरोधी प्लास्टिक शीट का प्रयोग किया जाता है. इनका आकार 500-4000 वर्गमीटर रखना सुविधाजनक रहता है. निर्माण लागत तथा वातावरण पर नियन्त्रण की सुविधा के आधार पर पॉली हाउस तीन प्रकार के होते हैं.
1. लो कास्ट पॉली हाउस या साधारण पॉली हाउस : इसमें यन्त्रों द्वारा किसी प्रकार का कृत्रिम नियन्त्रण वातावरण पर नहीं किया जाता.
2. मीडियम कास्ट पॉली हाउस : इसमें कृत्रिम नियन्त्रण के लिए (ठण्डा या गर्म करने के लिए) साधारण उपकरणों का ही प्रयोग करते हैं.
3. हाई कास्ट पॉली हाउस : इसमें आवश्यकता के अनुसार तापक्रम, आर्द्रता, प्रकाश, वायु संचार आदि को घटा-बढ़ा सकते हैं और मनचाही फसल किसी भी मौसम में ले सकते हैं.
पाली हाउस की निर्माण लागत:
पांच सौ वर्ग मीटर के पॉली हाउस में करीब 1060 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से इसके लगाने का खर्च आता है. इसी तरह से 500-1008 वर्ग मीटर के पॉली हाउस निर्माण पर 935 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से खर्च आता है। इसी तरह से 1008-2080 वर्ग मीटर के पॉली हाउस पर 850 रुपये, 2080-4000 वर्ग मीटर के पॉली हाउस के निर्माण पर 844 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से खर्च आता है। अनुदान: राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन के अंतर्गत संरक्षित खेती पर अनुदान दिया जा रहा है.
किसान भाइयों अगर पाली हाउस के अंदर पौधा लगाएंगे तो आप आप का पौधा हरा भरा रहता है और स्वस्थ्य भी रहता है खास बात तो यह है दोस्तों कि अगर पाली हाउस के अंदर लगे पौधे को उतने उर्वरक की आवश्यकता नहीं पड़ती है जितना कि खुले में पौधे को पड़ता है और पाली हाउस के अंदर जैसे की हम टमाटर, गोभी, बैंगन, आलू इत्यादी फसल लगा सकते हैं.
दोस्तों अगर हम पाली हाउस के अंदर पौधा लगाते हैं तो स्वास्थ्य हरा भरा रहता है जैसे कि टमाटर अगर हम खुले में लगाते हैं तो एक एकड़ में 6000 से 7000 पौधे लगते हैं लेकिन अगर वही पौधा हम पॉली हाउस के अंदर लगाएंगे तो 12000 से 13000 पौधा लगते हैं और जब पौधा दुगुना लगता है तो फसल भी दुगनी उत्पादन होगी.
खुले में लगे पौधे का फल 1 महीने में खत्म हो जाता है लेकिन वही पौधा पाली हाउस में लगा पौधा 6 महीने लगातार फल देता रहता है.
पाली हाउस एक बार बन जाता है तो यह 3 साल तक चलता है 3 साल के बाद इसका सीड्स बेड चेंज करवाना पड़ता है और पाइप की रिपेयरिंग करवाना पड़ता है।
उत्पादन कितना होगा और कितनी होगी इसकी कीमत
विवरण उत्पादन या आय
एक हैक्टेयर में गुलाब के कितने पौधे लगेंगे 1,20,000
हर एक पौधे से कितने गुलाब के फूल मिलेंगे 110 औसतन
एक पौधे से कितने फूल एक्सपोर्ट क्वालिटी के होंगे 60 से 80
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रति गुलाब की कीमत 6 से लेकर 10 रूपए तक
प्रति एकड़ कितने गुलाब एक्सपोर्ट किए जा सकेंगे 72 लाख
आय
यदि एक हैक्टेयर में 72 लाख गुलाब एक्सपोर्ट क्वालिटी के निकलते हैं, जिनकी कम से कम 6 रूपए प्रति नग के हिसाब से अगर बिक्री मान ली जाये तो करीब 4 करोड़ रूपए की बिक्री होगी. अब आप खुद देखिये कि कितनी लागत के अनुपात में कितनी आय हो सकती है. अब यदि इसमें हम बहुत खराब उत्पादन, लोन की ब्याज, मूल इत्यादि चुकाने के बाद की आय की बात करें, तो 1 हैक्टेयर में 1 करोड़ का शुद्ध लाभ मिल सकता है.
यदि हम पॉलीहाउस लगाएंगे तो किसी भी तरह के मौसम पर नहीं निर्भर रहने के आवश्कता नहीं पड़ेगी और साथ मौसम पड़ने वाली मर से भी बच सकते है.
पॉली हाउस लगाने के लेय हमें जरूरी सामग्री लकड़ी बांस स्टील एवम एल्यूमीनियम के फ्रेम से बनती है और यह एक पारर्दशी पर्दे से ढ़की हुई रहती है और सूर्य की रोशनी आसानी से पौधों तक पहुंच जाती है फिर हम फल, फूल, सब्जिया इत्यादी फसल ऊगा सकते है.
भारत में आज भी किसान पॉली हाउस तकनीक के बारे में जानना चाहते हैं. ताकि वे अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकें. किसान भाइयों आप इस तकनीक को अपने खेतों आकार या भूमि के हिसाब से लगा सकते हो.
जिस स्थान पॉली हाउस बनाना है उस स्थान पर उतनी जमीन में अधिक से अधिक जैविक खाद्य डालें. जिससे जमीन की अधिक गुणवत्ता हो सके। इस विधि का उपयोग करके आप अधिक से अधिक फसल ऊगा सकते और प्राकृतिक आपदा से बच सकते हो.
जमीन के नमी को बनाये रखने के लिए आप को लगातार दो तीन दिन सींचना पड़ेगा तब आप आसानी से इसें पौधों को लगा सकते हो.
किसान भाइयों एक बार लगाने से हमें अधिक मेहनत करने के आवश्कता नहीं पड़ती हैं. इस प्लान से आप अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकते हो.
अब सोचते होंगे पॉली हाउस को लगाने की लगात कितनी है और सरकार कितनी मदद करती है.आपको बता दें कि पॉली हाउस लगाने के लिए सरकार आपको सब्सिडी देती है इसके अलाव गैरसरकारी संगठन भी आपकी मदद करते हैं.
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