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हमारा प्रयास किसान भाईयों को खुश रखना हैं

हमारे देश में किसानों की इस समय जो हालत है उस से हर कोई वाकिफ है। हर साल न जाने कितने किसान आत्महत्या करते हैं।कारण होता है सही फसल उत्पादन का न होना, कर्ज़ और फसलों का सही मूल्य न मिलना, इन्हीं कारणों के नीचे दबकर किसान अपना दम तोड़ देता है। किसानों के लिए आत्महत्या करना इन समस्याओं का समाधान नहीं है, बल्कि किसान दृढ़ता के साथ इन समस्याओं से निपट सकते हैं।किसानों को इन समस्याओं से सहुलियत प्रदान करने में निजी क्षेत्र का अहम योगदान है।

हमारे देश में किसानों की इस समय जो हालत है उस से हर कोई वाकिफ है। हर साल न जाने कितने किसान आत्महत्या करते हैं।कारण होता है सही फसल उत्पादन का न होना, कर्ज़ और फसलों का सही मूल्य न मिलना, इन्हीं कारणों के नीचे दबकर किसान अपना दम तोड़ देता है। किसानों के लिए आत्महत्या करना इन समस्याओं का समाधान नहीं है, बल्कि किसान दृढ़ता के साथ इन समस्याओं से निपट सकते हैं।किसानों को इन समस्याओं से सहुलियत प्रदान करने में निजी क्षेत्र का अहम योगदान है।

कृषि का बीज उद्योग कृषि की रीढ़ है, क्योंकि एक बीज से किसी फसल से पैदावार ली जा सकती है।भारत में बीज उद्योग बड़े पैमाने पर काम कर रहा है।बीज व्यवसाय औरकिसानों की स्थिति को अधिक समृद्ध बनाने के लिए फेडरेशन ऑफ़ सीड इंडस्ट्री ऑफ़ इंडिया का गठन किया गया था। यह फेडरेशन किस तरीके से किसानों के लिए  काम कर रही है इसकी जानकारी फेडरेशन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अश्विनी कुमार यादव ने कृषि जागरण के साथ साझा की।पेश है बातचीत के कुछ अंश उन्ही की जुबानी-

फेडरेशन ऑफ़ सीड इंडस्ट्री ऑफ़ इंडिया की शुरुआत लगभग दो साल पहले हुई थी। इस का गठन तब किया गया जब इस फेडरेशन के संस्थापक सदस्यों को लगा कि कही न कही एक नई फेडरेशन का गठन किया जाना अनिवार्य है क्योंकि पुरानी सीड फेडरेशन में इन कंपनियों को नेशनल सेफ गार्ड नहीं मिल पार हा था।तभी इसका गठन 2016 में किया गया।

इस में राष्ट्रीय एवं बहुराष्ट्रीय सभी मिलाकर 34 कंपनियां सदस्य हैं। ये सभी कंपनियां मिलकर देश में लगभग 50 प्रतिशत सीड बिज़नेस को नियंत्रित करती हैं।इसकी शुरुआत में ही कई मुख्य बिन्दुओं को रखा गया जो बीज उद्योग की मुख्य समस्याथी। हमने इसमें मेम्बरशिप के लिए अलग प्रावधान रखा है। यदि कोई नई कंपनी फेडरेशन ऑफ़ सीड इंडस्ट्री ऑफ़ इंडिया का सदस्य बनना चाहते है तो उनके लिए एक अलग प्रावधान रखा गया है। आपको बताना चाहूँगा जिस कंपनी के पास अपनाअनुसन्धान केंद्र है।जिसमें सभी सुविधाए हैं कंपनी के पास अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट है और पूरा सेल्स और मार्केटिंग स्टाफ है वही कंपनियां इस फेडरेशन की सदस्य हो सकती हैं।इसके लिए हमने अलग से एक स्क्रीनिंग कमिटी गठित करके रखी है।

मेँ  आपको बताना चाहूँगा सबसे हमने अपने ऑब्जेक्टिव में अनुसन्धान एवं विकास को बेहतर बनाने पर ध्यान केन्द्रित किया हुआ है क्योंकि यदि आप देंखे तो देश में गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने की बड़ी समस्या है। इसलिए इस क्षेत्र में हम काफी काम करेंगे। जैसा की आप जानते हैं किसी डइंडस्ट्री बहुत बड़ी है इसलिए इसमें अधिक काम करने की आवश्यकता है। सीड इंडस्ट्री की एक प्रतिनिधि संस्था होने के नाते हम इसके मुद्दों को लेकर काम कर रहे हैं।

इसलिए हमरे गुलेटरी अफेयर इम्पोर्ट एक्सपोर्ट और नकली बीज जैसे मुद्दों पर भी काम कर रहे हैं। पिछले दिनों बीजों की इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट को लेकर हमने सरकार से बात की। इस मुद्दे पर सरकार भी गंभीरता से काम कर रही है। इसके अलावा हमारी कोशिश देश में बेहतरीन सीड टेसिंटग लैब को स्थापित किया जाए।जैसा की आप जानते हैं कि देश में सीड टेसिंटग लैब निजी और प्राइवेट क्षेत्र दोनों ही उपलब्ध हैं लेकिन इनमे समय बहुत लगता है।हमारी कोशिश है कि एक ऐसी लैब को स्थापित किया जाए जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर आधारित हो। इसता ;पैज्।द्ध एक अन्तर्राष्ट्रीय लैब है जो कि बीजों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणित करती है।इसलिए हम चाहते हैं की देश एक ऐसी लैब हो जो इसता ;पैज्।द्ध द्वारा प्रमाणित हो और निजी क्षेत्र द्वारा उसकी देखरेख की जाए। यदि इसता ;पैज्।द्ध सर्टिफाइड लैब देश में स्थापित हो जाती है तो इस से बीज क्षेत्र में काफी सुधार होंगे।

मैं आपको बताना चाहूँगा पिछले दिनों कृषि मंत्रालय ने एक मीटिंग का आयोजन किया था। जिसमें सरकार ने किसानों को गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने के मुद्दे पर चर्चा की थी। इस मीटिंग में फेडरेशन ऑफ़ सीड इंडस्ट्री ऑफ़ इंडिया के अधिकारियों को बुलाया गया। किसानों को गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने के लिए फेडरेशन ने कुछ सुझाव दिए। यदि ऐसी बीज कंपनियां जिनकी न तो मैन्युफैक्चरिंग यूनिट है और न ही अनुसधान केंद्र है और ये कंपनियां फर्जी वाड़ा से काम कर रही है। ऐसी कंपनियों को बंद किया जाना चाहिए तभी किसानों को गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध हो पाएंगे। ऐसी चलती फिरती कंपनिया आती है किसानों को कम गुणवत्ता वाले बीज सप्लाई करती है और कुछ समय के बाद उनका पता हीन हीं चलता है। इस तरह की कंपनियों पर सरकार को सख्ती से पेश आने की आवश्यकता है।

दूसरी बात जो है किसानों में बड़े पैमाने पर किसानों में जानकारी का अभाव है। उनको नहीं पता की जिस बीज को वो खरीद रहे हैं इसलिए किसानों को इस विषय में जागरूक करने की बहुत आवश्यकता है। हमने इसी को ध्यान में रखते हुए किसानों के लिए कुछ जागरूकता कार्यक्रम और कैम्पेन लॉन्च किए है। हम इन कैम्पेन के माध्यम से किसानों को बता रहे हैं कि किस तरीके से किसान बीज के पैकेट पर लेबल की जांचकर के उसको पहचान सकता हैं। हम किसानों को कृषि रसायनों के उपयोग और तकनीकों के विषय में जागरूक कर रहे हैं। फेडरेशन की सदस्य कंपनियों का उद्देश्य है कि वो अपने गुणवत्ता वाले उत्पादों से किसानों की आय को बढ़ा सकते हैं क्योंकि जो कंपनी ईमानदारी से किसानों के साथ काम करती है वही हमेशा आगे बढ़ती है। यदि किसान खुश रहेगा तो कृषि कंपनियां भी खुश रहेगी। हमारा प्रयास है किसान भाईयों को खुश रखना है।

अश्विनीकुमार यादव के विषय में:

अश्विनी कुमार यादव एक किसान परिवार से ताल्लुक रखतेहैं।उन्होंने अपने करियर की शुरुआत इंडियन आर्मी से की।इंडियन आर्मी में 20 साल अपनी सेवाए देने के बाद उन्होंने कोलकाता के आई आई एम से मैनेजमेंट में कोर्स करके कॉर्पोरेट की और रुख किया और टाटा जैसी कंपनियों में कार्य किया लेकिन उनको फिर से कृषि इंडस्ट्री से जुड़ने का मौका मिला। उन्होंने कृषि में कार्य करने वाली अन्तरराष्ट्रीय संस्था सिमिट को ज्वाइन किया। यहाँ पर उनको कृषि से जुडी कई संस्थाओं के साथ जुड़ने का मौका मिला।फिलहाल वो फेडरेशन ऑफ़ सीड इंडस्ट्री ऑफ़ इंडिया में अपनी सेवाए दे रहे हैं।

English Summary: Our effort is to keep the farming brothers happy. Published on: 10 July 2018, 04:16 IST

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