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लाल बहादुर शास्त्री पुण्यतिथि विशेषः बस एक आह्वान पर जब पूरे राष्ट्र ने त्यागा था भोजन, देखता रह गया था अमेरिका

11 जनवरी को भला कौन भूल सकता है, आज ही के दिन देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि है. वैसे तो भारत में कई प्रधानमंत्री हो चुके हैं, लेकिन शास्त्री जी जैसी लोकप्रियता हर किसी को न मिली. उनकी सादगी और सूझबूझ के आगे तो विपक्ष भी नतमस्तक हो जाते थे. आज भी उनका ‘जय किसान, जय जवान’ का नारा किसानों और हर जवानों के लिए प्रेरणा का श्रोत है.

सिप्पू कुमार
सिप्पू कुमार
प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की आज पुण्यतिथि  है
प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की आज पुण्यतिथि है

11 जनवरी को भला कौन भूल सकता है, आज ही के दिन देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि है. वैसे तो भारत में कई प्रधानमंत्री हो चुके हैं, लेकिन शास्त्री जी जैसी लोकप्रियता हर किसी को न मिली. उनकी सादगी और सूझबूझ के आगे तो विपक्ष भी नतमस्तक हो जाते थे. आज भी उनका ‘जय किसान, जय जवान’ का नारा किसानों और हर जवानों के लिए प्रेरणा का श्रोत है.

भूखमरी का शिकार था भारत

इस बात में कोई दो राय नहीं कि शास्त्री जी जिस समय प्रधानमंत्री बने, उस समय देश सबसे मुश्किल समय से गुजर रहा था. सबसे बड़ी चुनौती तो अनाज की ही थी. भयंकर अकाल से जुझते हुए खाने की चीजे देश अमेरिका से खरीद रहा था. अभी उन्होंने कहा ही था कि खाद्यान्न मूल्यों पर ध्यान दिया जाएगा कि उसी बीच 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया.

पाकिस्तान को सिखाया सबक

पूरी दुनिया इस बात को मान चुकी थी कि भूखमरी से जुझता हुआ भारत किसी युद्ध को न तो लड़ सकता है और न जीत सकता है. लेकिन वो शास्त्री जी की नीतियां ही थी कि पाकिस्तान से युद्ध के दौरान अनाज की भारी कमी के बाद भी हम विजयी रहे. उस समय शास्त्री जी द्वारा दिया गया नारा 'जय जवान, जय किसान' मानो जनता के नसों में दौड़ने लगा. जवान सीमाओं पर डटे रहे, तो किसानों ने खेतों में मोर्चा संभाल लिया. अन्न की कमी को दूर करने के लिए खुद उन्होंने सप्ताह में एक दिन भूखे रहने की बात कही.

हरित क्रांति का उदय

दुनिया के इतिहास में ऐसा दुलर्भ ही है कि किसी नेता के कहने पर पूरा राष्ट्र एक दिन का भोजन त्याग दे. कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक अनाज बचाने का संकल्प गूंजने लगा. शास्त्री जी ने सब्जियों की खेती पर विशेष ध्यान देने की बात कही, वहीं अनाज की खपत को करने के विकल्प खोजें.

अपने एक भाषण में उन्होंने कहा कि कि हम इज्जत के साथ जीना पसंद करेंगें, भूखे पेट मर जाएंगें, लेकिन भीख में मांगा हुआ अनाज नहीं खाएंगें. मुझे यकिन है कि इस देश का अन्नदाता सभी का भरण-पोषण करने में सक्षम है. बस फिर क्या था पूरे राष्ट्र में हरित क्रांति की लहर दौड़ गई और देखते ही देखते अनाज के मामले में भारत आत्मनिर्भर हो गया.

रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत

राष्ट्र को आगे ले जाने के लिए शास्त्री जी बहुत सी बाते सोच रहे थे, उनकी योजनाओं की सूची लंबी थी. लेकिन अफसोस कि ऐसे महान नायक प्रधानमंत्री की मौत रहस्यमय परिस्थितियों में अचानक हो गई.

English Summary: Lal Bahadur Shastri Death Anniversary know more about green revolution and intresting facts about About Him Published on: 11 January 2021, 02:47 IST

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