महंगाई से हर वर्ग परेशान है.भले ही बिजनेस क्लास हो, नौकरी पेशा हो, मजदूर हो या फिर किसान...महंगाई से हर आम आदमी त्राहिमाम कर रहा है. किसान खाद और डीजल की बढ़ती कीमत को लेकर खासा परेशान है. जिस रफ्तार से खाद, बीज, कीटनाशक और डीजल का रेट बढ़ रहा है उस रफ्तार से उसकी ऊपज के दाम में वृद्धि नहीं हो पा रही है.
खाद के दाम में ऐसे हुई बढ़ोतरी
यूरिया ₹266 प्रति बोरी 45 किलो दाम में बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन ये कम उपलब्ध है. जबकि DAP खाद जो आज के समय में प्रति 50 किलो बोरी का दाम 1200 है. जिसका पहले दाम 1185 रुपया पर बोरी था, जिसमें 15 रुपये की वृद्धि कर दिया गया था. अब सुनने में आ रहा है कि DAP के दाम में 150 रुपये की बढ़ोतरी किया जा रहा है.
NPK- 12,32,16 आज 1470 रुपए प्रति बोरी 50 किलो है, पहले इसका दाम- 1185 रुपए प्रति बोरी 50 किलो था, इसमें 285 रुपए प्रति बोरी बढ़ोतरी की गई थी.
NPK- 10, 26,26 आज 1465 रुपए प्रति बोरी 50 किलो है, इसके पहले इसका दाम 1175 रुपए प्रति बोरी 50 किलो था यानी बढ़ोतरी 290 रुपए प्रति बोरी हुई.
NPK- 20,20,0,13 आज 1250 रुपए प्रति बोरी 50 किलो है, इससे पहले 1150 रुपए प्रति बोरी 50 किलो था यानी 100 रुपए प्रति बोरी बढ़ोतरी हुई.
गेहूं के दाम को लेकर लेखा- जोखा
न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि के बाद गेहूं का दाम आज की तारीख में 2015 रुपए प्रति कुंतल है, पहले गेहूं का दाम 1975 रुपए प्रति क्विंटल था यानी बढ़ोतरी 40 रुपए की हुई.
अब एक हिसाब लगाते हैं, सरकारी दस्तावेज के हिसाब से औसतन एक एकड़ जमीन पर 18 क्विंटल गेहूं होता है, वो भी तब जब हार्वेस्टर से कटाई किया जाता है. अगर मजदूरों से कटाई कराई जाए तो पैदावार कम होगा. सरकार मंडी में खरीद करते वक्त इसी पैमाने का इस्तेमाल करती है. ऐसे देंखे तो किसानों को MSP में 40 रुपए क्विंटल की वृद्धि के हिसाब से गेहूं बेचने पर 720 रुपया प्रति एकड़ की बढ़ोतरी हुई.
वही एक एकड़ खेत पर 18 कुंतल गेहूं उगाने के लिए NPK- 12, 32, 16 की औसतन 2 बोरी इस्तेमाल होती है. इस हिसाब से बेसिक लागत में ही 570 रुपया बढ़ गए, यानी अब किसान को MSP में वृद्धि से सिर्फ 150 रुपया प्रति एकड़ का फायदा होगा. यहां हमने बस खाद का दाम बताया है इसके अलावा बीज का दाम, सिंचाई में डीजल की लागत और मजदूरों की मजदूरी, ट्रैक्टर की जुताई और कटाई के काम का दाम अलग है.
डीजल का दाम आसमान छूने लगा
अब हम बात करते हैं डीजल के की पहले डीजल 81,64 रुपया प्रति लीटर था, फिर 97,99 रुपया प्रति लीटर हुआ. अब डीजल का दाम 107,88 रुपये प्रति लीटर हो गया है. यानी कि 11 महीने में डीजल के दाम में 26,24 रुपया प्रति लीटर बढ़ोतरी हुई.
हार्वेस्टर से गेहूं निकालने के लिए एक एकड़ में एक घंटे में 5 से 6 लीटर डीजल इस्तेमाल होता है. यानी पिछले 11 महीने में बेसिक लागत 156 रुपया बढ़ गई है वो भी उन किसानों के लिए जिनके पास अपना हार्वेस्टर है, भाड़े के हार्वेस्टर पर तो लागत और बढ़ गई है.
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MSP में वृद्धि बनाम लागत
सरकार ने गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP 40 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि करके किसानों के प्रति एकड़ पर 720 रुपया का फायदा दिया. जबकि सिर्फ खाद डीजल की कीमत बढ़ने से ही किसान की लागत करीब 726 रुपया बढ़ गई. मतलब साफ है कि जितना फायदा दिया उससे अधिक लागत में वृद्धि हो गई. इसमें बीज की लागत, खेत की जुताई की लागत, सिंचाई की लागत, टॉप ड्रेसिंग में यूरिया की लागत, खरपतवार दवा की लागत में वृद्धि को तो जोड़ा ही नहीं गया है.
अब किसानों का कहना है कि अगर वह हिसाब लगाने पर जाएंगे तो खेती छोड़कर मजदूरी करने लगेंगे. बिजली का बिल अप्रत्याशित रूप से बढ़कर सामने आ जाते हैं और वसूली के लिए बड़े-बड़े अफसर कुर्की की धमकी देते हैं. फिर सब छोटे-छोटे मसलों की चर्चा अगर की जाए तो शायद किसान नुकसान में ही नजर आएगा. इसलिए तो एक किसान का लड़का खेती करना नहीं चाहता है.
किसानों का कहना है कि गेहूं की 40 पैसे प्रति किलो की MSP बढ़ाने के प्रचार पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए लेकिन पिछले दरवाजे से खाद, डीजल के दाम बढ़ा दिए गए.
रबीन्द्रनाथ चौबे, कृषि मीडिया, बलिया, उत्तरप्रदेश
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