तरबूज की खेती से किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं... तरबूज की खेती को अपना कर कई किसानों ने लाभ कमाया है... किसी भी चीज की खेती में किसान लागत कम करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं... उदाहरण के तौर पर तमिलनाडु के थिरुवोणम जिले की अगर बात करें तो यहां के किसानों ने प्रेसिजन खेती, ड्रिप सिंचाई और कई अन्य सर्वाधिक किस्में से खेती करके अधिक मुनाफा कमाया है... किसानों ने इन तकनिकों का प्रयोग करके तरबूज की खेती में सात गुणा तक मुनाफा कमाया है... इस विधि से किसानों ने अपने 2.2 हेक्टेयर की खेत में पुकीजा किस्म और 1.2 हेक्टेयर में अपूर्वा किस्म की खेती की...
किसानों ने कैसे किया तरबूज की लाभकारी खेती:
किसानों ने खेत को चार जुताई करके तैयार किया... फिर चौथी जुताई से पहले उन्होंने 25 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की सड़ी हुई खाद खेत में डाला... आगे 300 किलोग्राम डी.ए.पी. तथा 150 किलोग्राम पोटास का प्रयोग खेत तैयार करने के लिए किया... वहीं पौधे की रोपाई के लिए 1.5 मीटर चौड़ाई और 60 सेंटीमीटर की दूरी पर क्यारियां बनाई... बुवाई के पहले कुछ मिनटों के लिए सिंचाई करना आवश्यक है... वहीं कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति कि.ग्रा. की दर से बीच को उपतारित कर एक हेक्टेयर में 3.5 कि.ग्रा. की दर से इस्तेमाल किया जाता है... किसानों ने नवंबर में बीज रोपाई की तथा प्रत्येक ड्रिपर की जगह बीज बोया... इसके साथ ही ड्रिप सिस्टम के माध्यम से एक घंटे प्रति दिन खेत की सिंचाई की...
किसानों ने सहकारी सोसाईटी से 49000 रुपए का ऋण एक हेक्टेयर खेत के लिए लिया और इस ऋण का कुछ हिस्सा अपने खेत में ड्रिप सिंचाई सिस्टम स्थापित करने में लगाया... सरकार पहली बार किसानों द्वारा प्रेसिजन फार्मिंग अपनाए जाने पर 450 प्रतिशत उर्वरकर सब्सिडी देती है.... और यह सब्सिडी बागवानी विभाग की तरफ से दी जाती है... वहीं किसानों के द्वारा 5 कि.ग्रा. पोटेशियम नाइट्रेट तथा 5 कि.ग्रा. यूरिया तीन दिनों के अंतराल पर फर्टिगेशन विधि के माध्यम से फसल की पूरी अवधि तक दिया गया... पौध रोपाई के 15 दिन के बाद पहली बार हाथ से निराई की गई... इसके बाद लेटरल पाईप को इस प्रकार से व्यवस्थित किया की गड्ढ़ों के ऊपर सिंचाई हो सके... पौध रोपाई के 35 दिन बाद 150 कि.ग्रा. कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट का प्रयोग कर खेत की सिंचाई ड्रिपर के माध्यम से की गई...
किसानों के द्वारा पहली फसल 70 दिनों बाद ली गई जिसमें नुमहेम्स पुकीजा तरबूज किस्म से 55 टन और सेमिनिस अपूर्वा किस्म के 61 टन उत्पादन प्रप्त किया... वहीं तरबूज की दूसरी तुड़ाई एक सप्ताह के बाद किया गया और इस बार उन्हें पुकीजा किस्म से 6 टन और अपूर्वा किस्म से 4 टन उत्पादन प्रप्त हुआ...
मुनाफा:
किसान ने पहली तुड़ाई को 3100 रुपए प्रति टन और दूसरी तुड़ाई को 1000 रुपए प्रति टन की दर से बेचा... किसान के द्वारा खेत में खर्च की गई कुल लागत 45,575 रुपए थी... और उन्हें एक हेक्टेयर के खेत में पुकीजा किस्म से 1,70,500 रुपए की आय अर्जित की... इसके साथ ही 1.2 हेक्टेयर में अपूर्वा किसम कि खेती से 1,89,100 रुपए कमाए... इस प्रकार किसानों ने प्रेसिजन फार्मिंग तथा ड्रिप सिंचाई को अपनाकर उपरोक्त दो किस्मों की खेती से कुल 3,24,025 रुपए की आय अर्जित की...
सुजीत
कृषि जागरण, दिल्ली
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