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क्या किसानों की कर्ज माफ़ी के वायदे ने कांग्रेस को जिताया ?

देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम कल घोषित कर दिए गए. यह चुनाव परिणाम कई मायनों में अलग रहे. सिर्फ तेलांगना को छोड़कर बाकी चारों राज्यों में सत्ता परिवर्तन देखने को मिला. सबसे अहम बदलाव देश के हिंदी भाषी राज्यों में हुआ

देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम कल घोषित कर दिए गए. यह चुनाव परिणाम कई मायनों में अलग रहे. सिर्फ तेलांगना को छोड़कर बाकी चारों राज्यों में सत्ता परिवर्तन देखने को मिला. सबसे अहम बदलाव देश के हिंदी भाषी राज्यों में हुआ यहाँ के तीनों प्रमुख राज्य- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को हार का मुहं देखना पड़ा. इन तीनों ही प्रदेशों में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनावी रैलियों के दौरान कांग्रेस ने किसानों के कर्ज माफ़ करने का वायदा किया था. चुनावी नतीजों को देखकर कहा जा सकता है कि किसानों को यह काफी पसंद आया है और कांग्रेस की जीत में इसने अहम योगदान दिया है.

बीजेपी ने किसानों के मुद्दे पर उतनी संजीदगी नहीं दिखाई. हालाँकि बीजेपी ने उत्तर प्रदेश और राजस्थान में सीमित छूट के साथ किसानों की कर्ज माफ़ी की दिशा में कदम उठाया था. महाराष्ट्र में भी लंबी खींचतान और किसानों की लगातार मांग के दबाब में बीजेपी सरकार ने कर्ज माफी की थी. इसके उलट, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में पंद्रह सालों से सत्ता पर काबिज बीजेपी ने राज्य के किसानों की तरफ ध्यान नहीं दिया. बल्कि मध्यप्रदेश में किसानों का बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिला सा थ ही मंदसौर में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस की गोलीबारी में कई जानें भी गयी थी. कुल मिलाकर किसान वर्ग में राज्य सरकार के प्रति गुस्सा था. 

बीजेपी, किसानों की दशा सुधारने की दिशा में कर्ज माफ़ी को नीतिगत रूप से अव्यवहारिक मानती रही है. सिर्फ उत्तर प्रदेश में पार्टी ने इसके अपवाद में कर्ज माफ़ी को अपने घोषणापत्र में शामिल किया था क्योंकि पार्टी के सर्वे में इस बात का अनुमान जताया गया था कि कर्ज माफी सरकार बनाने की दिशा में बड़ा रोल अदा कर सकता है.

पांच राज्यों के विधानसभा परिणाम अपने पक्ष में न आने पर पार्टी के कुछ नेताओं ने जरुर कर्ज माफ़ी के मुद्दे पर झुकाव दिखाया था लेकिन अंदरूनी तौर पर पार्टी अभी भी पुरानी स्थिति पर कायम है. पार्टी का स्पष्ट रूप से मानना है कि कर्ज माफ़ी किसानों की दशा सुधारने के लिए स्थायी समाधान नहीं है. यह महज चुनावी मुद्दा हो सकता है, इससे ज्यादा कुछ नहीं.

भारतीय जनता पार्टी के आर्थिक सेल के प्रमुख गोपाल कृष्ण अग्रवाल का कहना है कि कर्ज माफ़ी की बजाय किसानों की आय बढ़ाने पर जोर देने की जरुरत है. साथ ही समर्थन मूल्य में वृद्धि करने से ज्यादा जरुरत इस बात की है कि फसल खरीद प्रक्रिया को व्यवस्थित, बेहतर और सुगम बनाया जाए. इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी और सरकार पर कर्ज माफ़ी जैसे तात्कालिक समाधानों से बचने में भी मदद मिलेगी.

बीजेपी के अंदरखाने यह माना जा रहा है कि पार्टी को जनता की भलाई के लिए चलाई जा रही योजनाओं और नीतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए था जबकि पार्टी विपक्ष के फैलाये जाति और धर्म के मुद्दों में उलझ गई. ऐसे में जनता को अपने विकास कार्यों की जानकारी मिल ही नहीं पायी और यही हार की सबसे बड़ी वजह है. गुजरात विधानसभा चुनाव के परिणाम से ही यह बात स्पष्ट हो गयी थी कि सरकार को अन्य गैरजरूरी मुद्दों की अपेक्षा विकास के मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए. ताजा परिणाम भी पार्टी के लिए एक सबक हो सकते हैं क्योंकि अगले साल देश में आम चुनाव होने हैं.

रोहिताश ट्रॉट्स्की, कृषि जागरण

English Summary: Did the farmers win the Congress's debt waiver? Published on: 13 December 2018, 10:27 IST

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