भारत की अर्थव्यवस्था हमेशा से कृषि प्रधान रही है. आजादी के बाद से ही भारत कृषिगत अर्थव्यवस्था रहा है और यहां किसानों और खेती को खूब बढ़ावा मिला है. आज की दुनिया में भी, खेती सबसे लाभदायक पेशों में से एक है. लेकिन पैदावार में सुधार के लिये सही साधनों का उपयोग करना सबसे महत्वपूर्ण है. पैदावार को लेकर कई आयाम, पहलू और कारक होते हैं, लेकिन अच्छी पैदावार के लिये हमेशा दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए. यहां कुछ त्वरित और छोटे सुझाव दिये जा रहे हैं, ताकि संसाधनों का सर्वश्रेष्ठ उपयोग हो और उत्पादन बढ़े-
नगदी का प्रबंधन करना
आय और व्यय समेत लागत के हर पहलू पर पकड़ होना जरूरी है. आय और व्यय से सम्बंधित सभी रसीदें, इनवॉइस और अन्य दस्तावेज खेत पर रखें और संसाधनों पर होने वाला खर्च दर्ज करें. अपनी वित्तीय प्रगति पर नजर रखना और विभिन्न खर्चों के बारे में समझना अच्छी पैदावार के लिये बहुत महत्वपूर्ण है. इसके अलावा, इससे यह भी पता चलता है कि किस महीने सबसे ज्यादा आय हुई और इस प्रकार नगदी के प्रवाह को उसके अनुसार व्यवस्थित किया जा सकता है.
योजना और शोध
खेती एक संतोषजनक पेशा है, लेकिन इसमें शोध के साथ-साथ योजना और निष्पादन चाहिए. नये प्रचलनों, वैज्ञानिक विधियों और उन बूस्टर्स पर शोध करना महत्वपूर्ण है, जो आपके खेत को उछाल दे सकते हैं. मृदा के मापन से लेकर उर्वरकों या खाद की सही मात्रा सर्वश्रेष्ठ परिणाम सुनिश्चित कर सकती है. खेती में सफल होने की कुंजी यह समझना है कि यह एक परिचालन वाला व्यवसाय है, जिसमें कई प्रक्रियाएं होती हैं, यह केवल आर्थिक अवसर नहीं है.
पैदावार के लिये स्थितियों का इष्टतम उपयोग
फसलों की स्वस्थ वृद्धि का सीधा सम्बंध स्वस्थ वातावरण से है. प्राकृतिक संसाधनों, जैसे हवा, पानी, मृदा, पोषक तत्वों के सही उपयोग से गुणवत्तापूर्ण फसल उगाने में सहायता मिलती है. अधिकांश किसान पारिस्थितिक तंत्र पर विश्वास करते हैं, जो स्वस्थ फसल उगाने के लिये बेहतर पद्धति है.
उपयुक्त जल निकासी सुनिश्चित करना
जल का प्रबंधन उन सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है, जो फसल की गुणवत्ता सुनिश्चित करते हैं और उसमें योगदान देते हैं. पैदावार बढ़ाने में इसकी भूमिका अभिन्न है. खेत में पर्याप्त जल पहुँचना चाहिए , लेकिन अधिक जल जाने से रोकना भी चाहिए. खेत में जल निकासी की व्यवस्था से जल का जमाव नहीं होगा और मृदा भी टिकी रहेगी. इससे भूमि बंजर या खेती के लिये अनुपयुक्त होने से बचती है.
कृषि क्षेत्र के अन्य साझीदारों के साथ लंबी अवधि के सम्बंधों वाला मजबूत नेटवर्क बनाएं
किसी अन्य कार्यक्षेत्र की तरह कृषि क्षेत्र में भी संबद्ध क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों के साथ मजबूत सम्बंध बनाये रखना हमेशा महत्वपूर्ण होता है. यह लोग वेंडर, कृषि शोधकर्ता, अन्य किसान और बीज, उर्वरक जैसे कच्चे माल और कृषि उपकरणों के आपूर्तिकर्ता हो सकते हैं, जिनके साथ सम्बंधों को नेटवर्क बनाना एक स्वस्थ अभ्यास है. अपने कार्यक्षेत्र में होने वाली नई चीजों की जानकारी लेना भी जरूरी है, जिससे आपकी विशेषज्ञता बढ़ती है. इससे अपने काम पर आपकी पकड़ मजबूत होती है और आपकी पहुँच बढ़ती है. विभिन्न साझीदारों के बीच पारस्परिक विश्वास से खेती के प्रयास को बढ़ावा मिलता है. रिश्ते बनाने में समय और मेहनत लगती है, लेकिन लंबी अवधि में वे हमेशा फलदायी होते हैं.
खरपतवार का शीघ्र और अक्सर निपटान करें
खरपतवार कई कृषि भूमियों के लिये बड़ा संकट और बाधा हैं और यदि इनका शीघ्र निपटान न हो, तो आपकी फसल और खेत चौपट हो सकता है. खरतपवार घुसपैठिये की तरह होती हैं और आपकी फसल के पोषक तत्व खा जाती हैं. खरपतवार का यथासंभव शीघ्र और अक्सर निपटन होना चाहिए. इसके लिये खेतों पर हमेशा सक्रिय रूप से नजर रखनी चाहिए और देखना चाहिए कि कहीं खरपतवार उग तो नहीं रही है. इससे समस्या बड़ी या बेरोक होने से पहले सुलझ जाएगी.
मृदा बचाने और अधिक आय के लिये इंटरक्रॉपिंग करें
मृदा का अपरदन (इरोजन) एक अन्य बड़ी समस्या है, जिससे पैदावार कम हो सकती है. इससे बचने का प्रभावी और पूर्वसक्रिय तरीका है मोनो-क्रॉपिंग को छोड़कर आधुनिक और पारंपरिक इंटर-क्रॉपिंग, पर्माकल्चर और एग्रो-फोरेस्ट्री को अपनाना. इंटरक्रॉपिंग करने पर आप एक मौसम, एक फसल पर निर्भर नहीं रहते हैं. इससे किसान बेमौसम की आय भी अर्जित कर सकते हैं.
उपरोक्त छोटे सुझाव हर तरह की मृदा और फसल में काम आ सकते हैं. दुनिया भोजन के लिये किसान पर निर्भर करती है और किसान खेतों की पैदावार पर. इसलिये, इसे सुनिश्चित करने के लिये पूर्वसक्रिय कार्यों द्वारा अपना सर्वश्रेष्ठ देना एक अच्छा विचार है, ताकि अच्छी खेती से लाभ मिले.
लेखक:- राजीव कुमार, प्रमुख- एग्री सेल्स (डोमेस्टिक बिजनेस), बालकृष्ण इंडस्ट्रीज लि. (बीकेटी)
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