“बेटियाँ सपनों के सतरंगी धागों का संसार है,
बेटियाँ है तो बारह महीने का हर दिन त्यौहार है.
बेटियाँ हर रिश्तें को जोड़ने वाली कड़ी है ,
बेटियाँ मायके और ससुराल के बीच संस्कारों की लड़ी है.”
घर के आँगन में चहक रही है फिर से सोनचिरैया , बेटियों की हंसी से महक रही है पिता के घर की बगिया, घर पर बनी बेसन चक्की और मिठाई की खुश्बू फैली है फिज़ा में, राखी की दुकानों पर है भीड़, बहनें ढूंढ़ रही है भाई की मनपसंद राखी और भाई सोच रहें है कि इस राखी पर ऐसा क्या करूं कि बहन खुश हो जाएं. ये नज़ारा है देश के लगभग हर गाँव, हर शहर और हर घर का क्योंकि आ गया है राखी का त्यौहार.
राखी पर गाँवों में आज भी जहाँ भाई, बहन को उसके ससुराल जाकर लेकर आने की परम्परा को निभाते है, वहीं शहर में आपाधापी की दिनचर्या में व्यस्त भाई भी अपनी बहनों को फ़ोन करके, व्हाट्सएप पर मैसेज करके या फेसबुक पर रक्षाबंधन के पोस्ट करके ये कहते ज़रूर है कि “राखी पर तो अपने घर आ जा बहन, बहुत दिन हुए तुझसे मिले को.”
भारतीय संस्कृति में रिश्तों को कितनी शिद्दत से निभाने की परम्परा बनायी गयी है, उसका प्रतीक है रक्षाबंधन का त्यौहार. खेतों में बंधे सावन के झूले भी तभी गुलज़ार होते है जब राखी पर आकर चहकती हुई बेटियाँ माता- पिता के गले लगकर कहती है,” मै खुश हूँ पिताजी पर मायके की बहुत याद आती है.” और पिता अपने कलेजे के टुकड़े के सिर पर रखते है आश्वासन भरा हाथ, मानों कह रहे हो तू चिंता मत करना बेटी अभी तेरा पिता ज़िंदा है.
और भाईयों का तो तरीका ही अलहदा होता है. यदि बहन छोटी है तो बहन के आते ही चोटी पकड़कर खींचते हुए कहते है, आ गयी मोटी, या चिढ़ाने वाले अन्य किसी संबोधन से जताते यही है कि मैं आज भी तेरा वही भाई हूँ जिसके साथ तूने बचपन में जाने कितनी लड़ाईय़ाँ की है. पर भाई-बहन का रिश्ता हर लड़ाई के बाद भी मज़बूत ही हुआ है. और बहन यदि उम्र में बड़ी है तो पैर छूकर आशीर्वाद लेता है और कहता है, देख लेना पापा को समझा लेना, मेरी बात मनवाने के लिए राज़ी कर लेना और बहन आश्वासन में मुस्कुरा देती है.
भाई- बहन के बीच हंसना- हँसाना, समझना-समझाना, रूठना-मनाना, लड़ाई- झगड़ा कुछ भी हो, हर स्थिति के बाद ये रिश्ता पक्का ही होता है. राखी के पर्व पर पूरा परिवार एक साथ घर के आँगन में इकट्ठा होता है और हर सदस्य एक-दूसरे से जी भरकर बातें करता है. बेटियां हाथों में मेहँदी लगाती है, जिद करके मनपसंद की ही चूड़ियां खरीदती है. और राखी के दिन पूरा घर उनकी पाजेब की छमछम से गूंजता रहता है. रक्षाबंधन के दिन शुभ मुहूर्त में बहनें भाई के माथे पर कुमकुम तिलक लगाकर उसकी विजय और प्रतिष्ठा बढ़ाने की प्रार्थना करती है ईश्वर से. और राखी बंधवाते हुए भाई मन ही मन देता है बहन को रक्षा का वचन. मिठाई खिलाती है बहन कि भाई तुम सदा खुश रहना, इस मिठाई की मिठास तुम्हारे शब्दों में, व्यवहार में घुलकर सदा रिश्तों की मिठास को बनाएं रखें. और तुम्हारे जीवन में भी खुशियों की मिठास घुल जाएं.
वर्तमान में परिस्थितियाँ बदल गयी है. व्यस्तता में से समय निकालना कठिन हो गया है और आधुनिकता ने रिश्तों को भी पैसों के तराजू पर तौलना शुरू कर दिया है. रिश्तों के संक्रमण के इस कठिन काल में हमें कोशिश करनी चाहिए कि, आधुनिकता की इस होड़ में कहीं हमारे रिश्तें पीछे ना छूट जाएं. क्योंकि ये रिश्तें ही हमें दर्द भरी इस दुनियां में अपनत्व का अहसास करवाते है, हमारे आंसू पोंछते है, हमारे दुःख को महसूस करके सहयोग करने की कोशिश करते है. समय रहते ही अनमोल रिश्तों की क़द्र करनी चाहिए. भारत के नीम, हल्दी आदि का पेटेंट करवाने की विदेशी कोशिशें जारी है. कहीं ऐसा ना हो कि हमारे पर्व- त्यौहारों का भी पेटेंट हो जाएं तो हमें अपनों के साथ बिताने के ये ख़ुशी के पल भी ना मिल पाएं जो त्यौहारों के बहाने ही सही, पर हम चुराते है अपनी व्यस्तता भरी ज़िन्दगी में से सिर्फ अपनों के लिए....
Edited on November 15, 2022
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