1. Home
  2. सम्पादकीय

संवेदनहीन होता समाज

आज इंसान जिस कालखंड़ या समय में जी रहा है शायद उसी का प्रभावकी हर बीते दिन के साथ मानवता,इंसानियत,संवेदनशीलत जैसे गुण क्षीण होते जा रहे मानवीय संबंध तित्तर-बित्तर होकर बिखर रहे है।

आज इंसान जिस कालखंड़ या समय में जी रहा है शायद उसी का प्रभावकी हर बीते दिन के साथ मानवता,इंसानियत,संवेदनशीलत जैसे गुण क्षीण होते जा रहे मानवीय संबंध  तित्तर-बित्तर होकर बिखर रहे है। मतलब यह लिखते हुए ही हाथ मेरे हाथ कांपते है। और  दुख होता है जब यह सुनने को मिलता है 5-7 साल की छोटी बच्चियों के साथ भी कीया गया दुषकर्म आज ही की खबर उन्नाव में एक महीला के साथ खुले में कुछ दरिंदो द्वारा की गई दुष्कर्म की कोशिश मतलब कोई ऐसा दिन नहीं गुजरता जब अखबारों में एसी कोई खबर ना छपे लेकिन दुख तो तब होता है जब हम सारा धीकरा सरकार पर फोडकर अपना पल्ला झाड़ लेते है मै यह नही कह रहा कीसरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती लेकिन सिर्फ सरकार या प्रसाशन को  दोषी ठहराना एसे तो इस सरकार में ही तीन तलाक जैसी कुरीती से मुस्लिम महीलाओं को न्याय मिला है कई राज्यो में 12 वर्ष की कम आयु की बच्ची के साथ दुष्कर्म करने पर सीधा फांसी की सजा का प्रवाधान हुआ है लेकिन क्या कारण सख्त कानून होने के बावजूद भी यह हैवानियत रुक नहीं रही उन कारणों को जानना होगा और उसका उपाय खोजना होगा।

मेरे विचार कानून और सरकार ज्यादा यहां बात संस्करो की आती है की मां-बाप अपनी संतानो को कैसे संस्कार देते है या कैसी उसकी पर्वरिश करते है क्योंकी कई विशेषज्ञो ने यह भी माना है की विकृत मानसिक्ता के कारण भी दुनिया में यह कुकर्म हो रहा है। और जब से पशिचिमी सभ्यता को हमने अपने जीवन उस स्तर तक उतारना शुरु कर दिया जहां पे कई पश्चिमी देशों संभोग,कामुखता कानूनी कार्य में शामिल उसे वह ब्लात्कार की सूची में नहीं रखते आजकल इंटरनेट पे जो अशलील सामग्री पड़ोसी जाती है वह भी इस स्थिति की जिम्मेदार है जो मनुषय के जह़न में अत्यधिक  उत्तेजना पैदा करते है। यहां कुछ भौतिकवाद मेरे उपर ड़डा लेकर आए उससे पहले मै यह साफ कर देना चाहता हूं की मैं संभोग या कामुखता का विरोध नहीं कर रहा परंतु महीलाओं के साथ या फिर छोटी बच्चियों के साथ जो जोर जबरदस्ती या जो घिनोना अपराध किया जाता है केवल उस मानसिक्ता के स्त्रोत जिन्में इंटरनेट भी एक है एक तय सीमा से कम उम्र के बच्चे जब एसी चीजों के संपर्क में आते है तो वह उनके अंतर्मन को प्रभावित करती है बच्चो के विकासशील आयु(ग्रोईंग ऐज़) में ऐसा कोई भी स्त्रोत जो उनके अंतर्मन को प्रभावित कर सके आगे चलके एक प्रकार से व्यक्ति के गुण के रुप में जुड़ जाती है और उसका स्वाभाव बन जाती है। तो अपने बच्चों की आर्थिक विकास पे हर मां-बाप ध्यान देता है लेकिन उसके गुणात्मक विकास उसके चरित्र का विकास करना भूल जाता है एक बाद सदैव याद रखिए यदी आपकी संतान चरित्रवान होगी तो स्वंय का आर्थिक विकास वह खुद कर सकेगी एसी संताने किसी के उपर निर्भर नहीं रहती अपितु स्वंय अपने परिश्रम से आत्मनिर्भर हो जाती है तो मां-बाप,गुरु,समाज सब की यह जिम्मेदारी बनती है वह युवा पीढ़ी के भौतिक और आर्थिक विकास से ज्याद चरित्र और मानसिक विकास पे ध्यान दे।

तो प्रशन यह उठता है की चरित्र का विकास किया कैसे जाए तो देखिए इसके कई तरीके लेकिन कौन सा तरीका किस प्रकार के व्यक्ति को रास आता है यह उस पर निर्भर करता है वैसे तो मां ही अपने संतान की सबसे पहली गुरु होती है बच्चा जितना मां से सिखता उतना पिता से नहीं उसके बाद आते शिक्षक यदी विद्यालयों में चरित्र का एक विषय के तौर पर शामिल कीया जाए जिसमें युवाओं को ऐसे लोगों या महात्माओं के बारे मे बताया जाए उनकी उपल्बधियों से ज्यादा वह किस प्रकार के इंसान थे या उन्होने अपना जीवन कैसे जीया इसके बार में वर्णन किया जाए तो युवा उनसे प्रेरणा लेके अपने जीवन में क्षीण हुए मानवीय गुणों का विकास कर सकने में सक्षम होंगे एक समय था जब विद्यालयों में रामायण गुरु ग्रंथ साहिब,गीता एक धार्मिक किताबे ना होकर महान लोगो की आत्मकथा के तौर पे पढ़ाई जाती थी लेकिन आधनिक्ता के नाम पर हमारे अति विकसित  शिक्षा प्रणाली ने केवल रोज़गार पैदा करना ही अपना मकसद समझा छात्रों के चरित्र विकास को नहीं जिसका परिणाम आज हम देख रहे है। हमने केवल इन महात्माओं की उपल्बधियों को ही बताया गया इस इन्होने क्या जीता क्या हासिल किया हासिल करना ही सबकुछ नहीं होता बल्की इसकी बजाएं हमें उनके जीवन को समझना चाहिए उन्होने कैसे अपना जीवन जीया यह बताना चाहिए था भगत सिंह,सुखदेव,स्वामी विवेकानंद, इत्यादी के जीवनी को पढ़ाना चाहिए था।

English Summary: Anesthetic society Published on: 06 July 2018, 07:49 IST

Like this article?

Hey! I am . Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News