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सुमिन्तर इंडिया ने बांसवाड़ा, राजस्थान के किसानों को दिया फसल (रबी) पूर्व प्रशिक्षण

सुमिन्तर इंडिया ऑर्गेनिक के द्वारा चलाये जा रहे जैविक खेती जागरूकता अभियान की श्रृंख्ला में राजस्थान के किसानों को फसल पूर्व प्रशिक्षण दिया गया. यह फसल पूर्व प्रशिक्षण बंसवाड़ा जिले के दशहरा गामड़ी एवं वाजखरा गाँव के लगभग 60 किसानों को दिया गया. यह फसल पूर्व प्रशिक्षण आगामी रबी फसल को ध्यान में रखकर किया गया. रबी मौसम में इस क्षेत्र की मुख्य फसल मक्का एवं गेहूं हैं जिसमें खेत की तैयारी बीज का चुनाव, जमाव परिक्षण, बीज उपचार, जिवाणु खाद का प्रयोग कर बीज उपचार कैसे करें बताया गया.

सुमिन्तर इंडिया ऑर्गेनिक के द्वारा चलाये जा रहे जैविक खेती जागरूकता अभियान की श्रृंख्ला में राजस्थान के किसानों को फसल पूर्व प्रशिक्षण दिया गया. यह फसल पूर्व प्रशिक्षण बंसवाड़ा जिले के दशहरा गामड़ी एवं वाजखरा गाँव के लगभग 60 किसानों को दिया गया. यह फसल पूर्व प्रशिक्षण आगामी रबी फसल को ध्यान में रखकर किया गया. रबी मौसम में इस क्षेत्र की मुख्य फसल मक्का एवं गेहूं हैं जिसमें खेत की तैयारी बीज का चुनाव, जमाव परिक्षण, बीज उपचार, जिवाणु खाद का प्रयोग कर बीज उपचार कैसे करें बताया गया.

“फसल पूर्व प्रशिक्षण” में प्रशिक्षक की भूमिका कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधक (शोध एवं विकास) संजय श्रीवास्तव ने निभया और उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया की जैविक खेती का मुख्य आधार जैविक खाद है, जो पशुओं के मल- मूत्र एवं फसल अवशेष एवं वनस्पत्तियों से तैयार होती हैं. वर्तमान मे किसान खाद या कम्पोस्ट को एक ढ़ेर के रुप में एकत्र कर वर्ष में एक बार गर्मी में खाली खेत में डालते हैं.

ढ़ेर में खाद ठीक से स़ड़ती नहीं है और तेज गर्मी/धूप से उपलब्ध पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं. साथ ही अधपकी खाद के उपयोग से खेतों मे दीमक का प्रकोप बढ़ जाता है. इससे बचाव हेतु एवं अच्छी खाद मात्र 2 माह में कैसे तैयार हो इसके लिए राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र (NCOF) द्वारा विकसित वेस्ट डी- कम्पोस्ट के बहुलीकरण एवं उपयोग की विधि बताया गया.

प्रशिक्षण में आए हुए किसानों को बहुलीकृत वेस्ट डी-कंपोजर की एक लीटर की बोतल प्रत्येत किसानों को दिया गया तथा इसे पुन: कैसे बहुलीकृत कर उपयोग करें बताया गया. फसल बोने के बाद खड़ी मक्का एवं गेहू की फसल में जीवामृत व वेस्ट डी-कंपोजर घोल का प्रयोग कैसे करें इसकी जानकारी किसानों को दी गई. जीवामृत तथा वेस्टडी-कंपोजर का घोल कैसे बनाएं यह बताया गया और बनाकर दिखाया गया. मक्का फसल की बढ़वार के बाद प्रमुख कीट तनाछेदक से बचाव हेतु विषरहित फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग कब कैसे करें तथा इसके क्या फायदे हैं बताया गया.

कीटों के नियंत्रण हेतु स्थानीय रूप से उपलब्ध पेड़ पौधों के पत्तियों का उपयोग कर विभिन्न प्रकार के हर्बल सत् तैयार कर उनका उपयोग कैसे करें बताया गया. जिसमें दशपर्णी अर्क, पंचपत्ती अर्क एवं सत गौ-मूत्र पुरानीछाछ, नीम बीज सत्, लहसुन मिर्च सत् आदि को बनाकर दिखाया गया. इसका फसल पर उपयोग कर किसान विषमुक्त उत्पादन बिना खर्च के प्राप्त कर सकते हैं.

कंपनी के वरिष्ठ परियोजना एग्ज़क्यूटीव जगन्नाथ कुमार ने बताया कि “कंपनी के द्वारा समय-समय पर इस प्रकार के प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है.  इसी कड़ी में कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधक शोध एवं विकास संजय श्रीवास्तव के द्वारा कंपनी के सभी कर्मचारी जो कि किसान के संपर्क में हैं उन्हें भी सफल पूर्ण प्रशिक्षण दिया जाता है. यह वर्ष में दो बार खरीफ एवं रबी मौसम की फसल हेतु होता है.  दोनों मौसम की फैसले भिन्न है एवं उनके उगाने की प्रकृति भी भिन्न है.  इस बात को विशेष रूप से ध्यान में रखकर हम सबको प्रशिक्षण मिलता है. और यही तकनीक ज्ञान हम सब किसानों से साझा करते हैं”.

जिम्मी, कृषि जागरण

English Summary: Pre- season (Rabi) Training on organic farming to farmers by Suminter India Organics. Published on: 02 November 2018, 07:24 PM IST

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