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जैविक खेती के प्रति किसानों को करते है जागरूक...

फसलों में अंधाधुंध रसायनों और दवाइयों के प्रयोग से फसलें जहरीली हो रही हैं। इसका बुरा असर हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ भूमि के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। वहीं इस जहरीली कृषि पद्धति को बदलने की चाह मन में लिए करनाल जिले के एक छोटे से गांव महनमती का दसवीं पास किसान 60 वर्षीय प्रेम सिंह आर्य किसानों को आॅर्गेनिक खेती के प्रति प्रेरित कर रहा है।

फसलों में अंधाधुंध रसायनों और दवाइयों के प्रयोग से फसलें जहरीली हो रही हैं। इसका बुरा असर हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ भूमि के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। वहीं इस जहरीली कृषि पद्धति को बदलने की चाह मन में लिए करनाल जिले के एक छोटे से गांव महनमती का दसवीं पास किसान 60 वर्षीय प्रेम सिंह आर्य किसानों को आॅर्गेनिक खेती के प्रति प्रेरित कर रहा है। 

इसकी शुरुआत किसान प्रेम सिंह ने 5 साल पहले की थी जब उसने गौमूत्र व गाय के गोबर की खाद का प्रयोग कर आर्गेनिक खेती करना शुरू किया था। अभी वह देसी गुलाब, गेहूं, धान की खेती जैविक पद्धति से कर रहा है। इसकी प्रेरणा किसान प्रेम सिंह को डाक्टर सुभाष पालेकर महाराष्ट्र के हरिद्धार में आयोजित एक सेमीनार में भाग लेने के बाद मिली। प्रेम सिंह ने बताया कि उसने साहिवाल गिर भारतीय नस्ल की देसी गाये पाल रखी हैं। जिनसे स्वास्थयवर्धक दूध मिलता है।

इनके गोबर और मूत्र को जैविक खेती में इस्तेमाल करता है। गौमूत्र से गौमूत्र स्प्रे और गाय के गोबर से खाद तैयार करता है। खेती के इस कार्य में प्रेम सिंह का सहयोग विरेंद्र भी करता है। एमफिल कर चुका विरेंद्र अपने पिता के लिए आगेर्निक खेती से संबधित समय-समय पर अहम जानकारियां जुटाता रहता है। 

गेहूं का उत्पादन भी बढ़ेगा: किसान प्रेम सिंह गेहूं के बीज पर वह पिछले 5 साल से रिसर्च भी कर रहा है। अगर उसका यह रिसर्च सफल हुआ तो खेत में उस बीज से जो गेहूं की फसल पैदा होगी उसके पौधे रोगमुक्त और स्वस्थ रहेंगे। और पौधे गिरेंगे भी नही। पौधों पर आने वाली बालियां 9 इंच तक लंबी होंगी। गेहूं की यह वैरायटी किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी। जिससे उत्पादन बढ़ेगा। 

गौमूत्र स्प्रे व देसी खाद बनाने की विधि: किसान प्रेम सिंह ने बताया कि गौमूत्र स्प्रे तैयार करने के लिए 200 लीटर के ड्रम में 100 लीटर गौमूत्र, 5 किलो गाय का गोबर, 2 किलो गुड़, 1 किलो बेसन, 200 ग्राम फिटकरी, 2 दर्जन केले कैल्शियम के लिए सभी चीजो को ड्रम के अंदर डालकर अच्छे से मिश्रण कर 1 महीने तक छाया में ऐसे ही रखते हैं। इस बीच ड्रम में हवा न अंदर जाए न बाहर जाए इसके लिए ड्रम के ढक्कन को एयरटाइट कर दिया जाता है। तैयार होने के बाद 1 लीटर गौमूत्र स्प्रे 14 लीटर पानी में मिलाकर खेत में स्प्रे करते हैं। एक एकड़ में 15 बार इसी प्रक्रिया को दोहराया जाता है। इस तरह से इस प्रक्रिया में 10 लीटर प्रति एकड़ के हिसाब से गौमूत्र स्प्रे का इस्तेमाल हो जाता है। एक बार स्प्रे करने के बाद दोबारा 15 दिन के बाद फिर से इसी तरह स्प्रे किया जाता है। 

गौमूत्र से जीवामृत भी करते हैं तैयार  गौमूत्र से जीवामृत बनाने के लिए 200 लीटर ड्रम में 15 किलो गाय का गोबर, 15 लीटर गोमूत्र, 2 किलो उड़द का आटा, 2 किलो गुड़, 1 किलो मिट्टी वो भी सड़क किनारे किसी पूराने पेड़ के नीचे से क्योंकि वो जहरीली नही होती। इन सबको डालकर इनका मिश्रण तैयार कर लेते हैं। इसे भी 15 दिन के लिए छाया में स्टोर में रख देते हैं। और इस बीच सुबह शाम ड़डे के साथ इस मिश्रण को प्रतिदिन घुमाते हैं। 15 दिन के बाद मिश्रण जीवामृत तैयार हो जाता है। 

English Summary: Organic farming makes farmers aware ... Published on: 13 March 2018, 04:16 AM IST

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