सुमिन्तर इंडिया ऑरगैनिक द्वारा चलाये जा रहे जैविक खेती जागरूकता अभियान के अंतर्गत राजस्थान के जिला बंसवाड़ा के ग्राम गणेशपुरा एवं ओडवाल मे दिनांक 5 एवं 6 जून को आयोजित जैविक खेती प्रशिक्षण कार्यक्रम मे 75 पुरुष एवं 45 महिला कृषको ने भाग लिया । जिसमे रसायनों से होने वाले पर्यावरण एवं स्वास्थ्य को नुकसान एवं जैविक खेती से होने वाले लाभ पर विशेष ध्यान दिया गया । कार्यक्रम के प्रशिक्षक की भूमिका सुमिन्तर इंडिया ऑरगैनिक्स के वरिष्ठ प्रबन्ध शोध एवं विकाश संजय श्रीवास्तव ने निभाया। इन्होने किसानों को जैविक खेती से होने वाले लाभ, कम खर्च एवं गाँव के आस -पास स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनो, जैविक खेती कैसे करे, तथ्यो एवं उदाहरण के साथ ठीक से समझाया । प्रशिक्षण के दौरान किसानों द्वारा पूछे जा रहे प्रश्नो का भी संतोषजनक उत्तर दिया। प्रशिक्षण जैविक खेती क्या है, क्यो करे, कैसे करे,क्या लाभ है, भविष्य क्या है आदि प्रश्नवाचक वाक्यो से शुरू हुआ।
जैविक खेती का मुख्य आधार जैविक खाद है । जो पशुओं के मल- मूत्र एवं फसल अवशेष एवं वनस्पत्तियों से तैयार होती है । वर्तमान मे किसान खाद या कम्पोस्ट को एक ढेर मे .....खाद ठीक से स़ड़ती नही है और तेज गर्मी/धूप से उपलब्ध पोशक तत्व नष्ट हो जाते है । साथ ही यद्यपि खाद के उपयोग से खेतो मे दीमक का प्रकोप बढ़ता है। इससे बचाव हेतु एवं अच्छी एवं अच्छी खाद मात्र 2 माह मे कैसे तैयार हो इसके लिए राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र (NCOF) द्वारा विकसित वेस्ट डी- कम्पोस्ट के बहुलीकरण एवं उपयोग की विधि बताया गया।
खाद तैयार करने की अन्य विधियाँ जैसे- घन जीवमृत, जीवमृत, पंचगव्य, अमृतपानी, संजीवक आदि बनाने का प्रशिक्षण संजय श्रीवास्तव द्वारा बनाकर दिखाया गया।
बीज खेती मे अति महत्वपूर्ण होता है । इसको ध्यान मे रख कर अच्छे बीज की गुणवता, जमाव परीक्षण, बीज उपचार, को विस्तार से बताया गया एवं उपचरित कर दिखाया गया । यह भी बताया गाया की अपने खेत मे किसान खड़ी फसल मे अच्छे पौधो को चुनाव कर कैसे अच्छा बीज प्राप्त करे बताया गया।
फसल जमाव के पश्चात फसल पर कीट एवं रोग नियंत्रण हेतु किसान रसायनिक कीटनाशक का प्रयोग करते है।जिससे धन अपव्यय के साथ -साथ पर्यावरण एवं स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। कीटो के नियंत्रण हेतु स्थानीय रूप से उपलब्ध पेड़ पौधो के पत्तियों का उपयोग कर विभिन्न प्रकार के हर्बल सत तैयार कर उनका उपयोग कैसे करे बताया गया । जिसमे दशपर्णी अर्क, पंचपत्ती अर्क एवं सत गौ मूत्र पुरानी, छाछ, नीम बीज सत, लहसुन मिर्च सत आदि को बनाकर दिखाया गया । इसका फसल पर उपयोग कर किसान विषमुक्त उत्पादन बिना खर्च के प्राप्त कर सकते है।
कीटो के नियंत्रण हेतु वर्तमान समय मे रंगीन चिपचिपे ट्रेप एवं फेरोमन ट्रेप का प्रयोग कैसे करे बताया गया । यह कीट नियंत्रण की पूर्णता विषमुक्त विधि है ।
कंपनी के वरिष्ठ प्रबन्धक शोध एवं विकाश संजय श्रीवास्तव ने इस बात पर विशेष ज़ोर दिया की किसान अपने पास उपलब्ध संसाधनों का ठीक से प्रयोग कर जैविक खेती कर कम खर्च मे अधिक उत्पादन प्राप्त कर लाभ प्राप्त कर सकते है।
कार्यक्रम मे स्थानीय व्यवस्था का काम सुमिन्तर इंडिया के स्थानीय कर्मचारी जगन्नाथ कुमार एवं इनकी टीम ने उचित प्रबंधन किया।
प्रशिक्षण मे आयी हुयी कुछ महिलांए जो स्वयं सहायता समूह से संबन्धित है इन्हों ने कहा की हम यंहा पर सिखाये गए खेती के घरेलू नुस्खों से आस-पास के पेड़ – पौधो की पत्ती से कीड़ो की दावा बनाकर खुद के खेत मे डालने के साथ-साथ गाँव के दूसरे लोगो को बेचकर अपनी एवं समूह की आमदनी बढ़ाएँगे। इस बात को सुन कर उपस्थित सभी लोगो की तालियों की गड़गड़ाहट से पंडाल गूंज उठा। अंत मे संजय श्रीवास्तव ने आये हुए सभी किसानो का धन्यवाद दिया। आये हुये सभी किसानो को कृषि जागरण पत्रिका के ऑरगैनिक खेती विशेषांक का मुफ्त वितरण किया गया । जिसे पढ़ कर किसानो ने बताया की यह जैविक खेती का एक उत्तम ग्रंथ है।
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