खाद्य संस्कृति में गर्म मसालों (spice) का काफी विशेष महत्व है. भारत में प्राचीन काल से ही मसालों का प्रयोग किया जाता रहा है. कई लोग मसालों को बेचने के बजाय घर लाते हैं और उन्हें सुखाकर और फिर अपने तरीके से पीसकर जमा करते हैं.
आमतौर पर गर्मी आते ही मसाले बनाने का सिलसिला शुरू हो जाता है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में बेमौसम बारिश के कारण मसालों के उत्पादन में भारी कमी देखी जा रही है. वहीं अब मसालों के दाम भी आसमान छू रहा है.
व्यापारी के अनुसार, पिछले साल नवंबर-दिसंबर में तैयार फसल के दौरान हुई बेमौसम बारिश ने मिर्च और अन्य मसाला फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है. नतीजतन, इस साल खराब फसल के कारण मसालों के दाम 25 से 30 फीसदी तक बढ़ गए हैं.
बिन मौसम बरसात
पिछले साल नवंबर और दिसंबर में महाराष्ट्र में कई जगहों पर बेमौसम बारिश ने किसानों की मेहनत पर पूरी तरह से पानी फेर दिया है. किसान मसालों की फसल काटने की तैयारी कर ही रहे थे कि तभी बेमौसम बारिश के कारण बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था. अत्यधिक बारिश से कटी हुई मिर्च को नुकसान पहुंचा था, तो वहीं लाल मिर्च का भीतरी भाग पानी से काला हो गया था.
इसके बाद किसानों के पास खराब फसल को फेंकने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था. इसी तरह अन्य मसलों के साथ हुआ. नतीजतन, मसालों की आपूर्ति कम हो गई है और बाजार में अन्य मसालों की कमी के कारण मसालों की कीमत बढ़ गई है.
जानिये क्या है प्रमुख मसालों की कीमतें
पहले कश्मीरी मिर्च के दाम 400 रुपये से लेकर 500 रुपये थे. वहीँ अब इसमें 600 से लेकर 700रुपये तक की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. सूखी मिर्च का भाव पहले 200 रुपये थे अब 400 रुपये किलोग्राम में मिल रहा है. मालवानी मसाला 500 से 800 रुपये होगये है. वहीं धनिया का भाव 550 से 750 रुपये होगये है. इसके अलावा लौंग की कीमतों में भी भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है पहले 800 से 1000 रुपये थे. अब बढ़ कर 1600 रुपये हो गए है. राई के दाम 200 से बढ़ कर 350 रुपये हो गए है.जीरा 300 से 400 रुपये में बिक रहा है.
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बेमौसम बारिश से फसलों को हुआ भारी नुकसान
नवंबर और दिसंबर महीने में फसलों को बरसात के पानी की जरुरत नहीं होती है. ऐसे में अगर फसल पर बारिश का पानी पड़ जाए, तो वह फसल को बर्बाद कर देता है.
कुछ ऐसा ही मंजर महाराष्ट्र में देखा गया था. बेमौसम बारिश ने मसालों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है.
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