Mandi Bhav: तिलहन फसलों की कीमत में लगातार तेजी के बाद अब गिरावट का दौर शुरू हो गया है. ज्यादातर तिलहन फसलों की कीमतें स्थिर बनी हुई है. जबकि, कुछ एक फसलों में गिरावट दर्ज की जा रही है. तिलहन फसलों में सबसे ज्यादा सरसों के दाम प्रभावित हो रहे हैं. पिछले साल के अंत में सरसों की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली थी. एक समय तो दाम 9000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे. लेकिन, अब कीमतों में एक दम से गिरावट आई है. आलम यह है की सरसों का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे लुढ़क गया है. जिस वजह से किसान भी खासे परेशान नजर आ रहे हैं. आइए आपको बताते हैं की देश की अलग-अलग मंडियों में सरसों किस भाव पर बिक रही है.
देशभर की मंडियों में सरसों के दाम
केंद्र सरकार ने सरसों पर 5650 रुपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया हुआ है. लेकिन, देश की ज्यादातर मंडियों में किसानों को MSP तक का भाव नहीं मिल रहा है. सरसों की फसल को औसतन 5500 रुपये/क्विंटल का भाव मिल रहा है. केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के एगमार्कनेट पोर्टल के अनुसार, शनिवार (6 जनवरी) को देश की एक आद मंडी को छोड़ दें तो लगभग सभी मंडियों में दाम MSP से नीचे ही रहा. शनिवार को सरसों को सबसे अच्छा दाम कर्नाटक की शिमोगा मंडी में मिला. जहां, सरसों 8800 रुपये/क्विंटल के भाव में बिकी.
इसी तरह, गुजरात की अमरेली मंडी में दाम 6075 रुपये/क्विंटल रहा. इन दो मंडियों को छोड़ दें, तो अन्य सभी मंडियो में सरसों 5500 रुपये/क्विंटल के नीचे ही बिक रही है, जो MSP से कम है. वहीं, देश की कुछ मंडियों में तो दाम 4500 रुपये/क्विंटल तक पहुंच गए. जानकारों का कहना है की कम डिमांड के चलते कीमतों में गिरावट आई है. अगर डिमांड नहीं बढ़ी, तो कीमते और कम हो सकती है, जो किसानों के लिए चिंता का विषय है.
सही समय पर बुवाई करने से होगा फायदा
बता दें कि सरसों का रबी की तिलहनी फसली में एक प्रमुख स्थान है. सरसों की खेती सीमित सिंचाई की दशा में भी अधिक लाभदायक फसल है. सरसों की फसल के लिए उन्नत विधियां अपनाने से उत्पादन एवं उत्पादकता में बहुत ही वृद्धि होती है. कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर सही समय पर सरसों की बुवाई की जाए, तो फसल काफी अच्छी रहती है और उत्पादन भी बढ़ता है. सरसों की बुवाई का उपयुक्त समय सितंबर से नवंबर तक होता है. फिलहाल, देश में सरसों की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है. अब मार्च से अप्रैल के महीने में इसकी कटाई होगी. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार में डिमांड न होने के चलते कीमतों में गिरावट का दौर शुरु हो गया है. किसान उम्मीद लगाए बैठे हैं की बाजार में नई फसल आने तक, कीमतों में तेजी देखने को मिलेगी.
यहां देखें अन्य फसलों की लिस्ट
बता दें कि किसी भी फसल का दाम उसकी क्वालिटी पर भी निर्भर करता है. ऐसे में व्यापारी क्वालिटी के हिसाब से ही दाम तय करते हैं. फसल जितनी अच्छी क्वालिटी की होगी, उसके उतने ही अच्छे दाम मिलेंगे. अगर आप भी अपने राज्य की मंडियों में अलग-अलग फसलों का दाम देखना चाहते हैं, तो आधिकारिक वेबसाइट https://agmarknet.gov.in/ पर जाकर पूरी लिस्ट चेक कर सकते हैं.
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