रसोई में सबसे ज्यादा प्याज का उपयोग किया जाता है, अधिकतर लोगों को बिना प्याज वाला खाना पसंद ही नहीं आता है. ऐसे में प्याज के बढ़ते दामों ने एक बार फिर रसोई का जायका बिगड़ दिया है. प्याज की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी का ये आलम है कि गरीबों के लिए प्याज के सपने देखना तो दूर मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए भी इसे खरीदना मुश्किल हो गया है. इसी दौरान प्याज एक फिर लोगों के आंखों से आंसू निकालने के लिए महंगा हो गया है. दरअसल प्याज की कीमत एक बार फिर 100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है. देश की राजधानी में प्याज की कीमत आसमान छूती जा रही है. अगर लोकल सब्जी मंडियों की बात करें, तो प्याज 100 रुपये बेचा जा रहा है.
आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों में प्याज की कीमत में 20 से 30 रुपये की बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में प्याज व्यापारियों का माना है कि शायद 15 दिसंबर से पहले प्याज की कीमतों में कमी नहीं आएगी. दुकानदारों का कहना है कि पहले वे एक दिन में 30-50 किलो प्याज बेच देते थे, लेकिन अब हालात ये है कि उन्हें 10 किलो प्याज भी बेचना मुश्किल हो जाता है. एक बार फिर प्याज की कीमतों में उछाल आने से लोग परेशान हैं. जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में रोज 1500-2000 टन प्याज की आवक हो रही है. अफगानिस्तान से आने वाले प्याज की क्वालिटी खराब होने के कारण व्यापारी इसे खरीदने से परहेज कर रहे हैं. कारोबारियों के अनुसार 15 दिसंबर तक कीमतों में राहत के आसार नहीं है
अगर प्याज के कीमतों को लेकर बात की जाए, तो मौसम के बदले मिजाज का सबसे ज्यादा असर प्याज की कीमतों पर पड़ा है. मंडियों में प्याज का थोक भाव 35-60 रुपये प्रति किलो है, जबकि खुदरा बाजार में 90 से 100 रुपये प्रति किलो मिल रहा है. कारोबारियों को उम्मीद थी कि अफगानिस्तान से प्याज की खेप आने से राहत मिल जाएगी, लेकिन वहां से आने वाले प्याज की क्वालिटी बेहद खराब है. जिससे व्यापारी भी इससे दूरी बना रहे है. अफगानिस्तान से 140 टन प्याज आया है, जो 35 रुपये प्रति किलो है, लेकिन इसकी क्वालिटी बेहद खराब है. बताया जा रहा है कि सिर्फ राजस्थान के अलवर से ही प्याज दिल्ली पहुंच रहा है. अमूमन प्रतिदिन 4-5 हजार टन दिल्ली में प्याज आता है, लेकिन इन दिनों 1500-2000 टन ही प्याज आ रहा है.
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