दार्जिलिंग चाय की वैश्विक बाजार में आपूर्ति कम होती जा रही है। दरअसल पिछले साल गोरखा जनमुक्ति मोर्चा द्वारा गोरखालैंड की मांग के मद्देनज़र हड़ताल व प्रदर्शन के फलस्वरूप चाय बागान मालिकों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। 100 दिन तक चली इस हड़ताल ने दार्जिलिंग की चाय उत्पादन पर बुरा असर डाला था जिससे उत्पादकों ने आने वाले समय के बीच वैश्विक बाजार में इस चाय की उपलब्धता पर संदेह जताते हुए कहा कि इससे व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
जाहिर है कि इस चाय की विश्व स्तरीय बाजार में काफी मांग है और अपनी अलग पहचान होने के कारण एक ब्रैंड बन चुकी है साथ ही जीआई टैग के साथ-साथ मान्यता प्राप्त है। इसलिए पश्चिम बंगाल सरकार भी इसके व्यापार को दोबारा सुचारु रूप से चलने के लिए प्रयास कर रही है। इस बीच सरकार वैश्विक बाजार में अच्छी क्वालिटी की चाय उपलब्ध कराने वाले उत्पादकों को चिन्हित कर उन्हें एक अलग तौर पर मदद कर सकती है। तो वहीं दूसरी ओर चाय उद्दोग का मानना है कि सरकार को पिछले साल हड़ताल के फलस्वरूप परेशान हुए उत्पादकों की आर्थिक रूप से मदद करनी चाहिए। बागान के मालिकों का मानना है कि सरकार उन्हें बोनस आदि के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से अलग स्तर पर मदद की आशा है।
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