धरती पर जब भी कोई तूफ़ान आता है तो बड़ा नुकसान करके जाता है. हर साल यह किसी न किसी देश में अवश्य आता है. यह भी दो तरीके का तूफ़ान होता है एक तो सामान्य तूफ़ान दूसरा समुंद्री तूफ़ान. जब समुंद्री तूफ़ान उठता है तो यह भारी तबाही का कारण बनता है. भारत में भी यह कई बार आ चुका है. इससे जान-माल नुक्सान हुआ है. लेकिन इस बार धरती पर उससे भी बड़े समुंद्री तूफ़ान के आने का खतरा है. इसकी शुरुआत फिलीपींस से हो चुकी है. दो हफ्ते पहले सी यह सुपर टाईफून फिलीपिंस में आया था. अब इसके और भी देशों आने की सम्भावना बताई गई है. यह अब तक का सबसे बड़ा तूफ़ान हो सकता है. यह जापान से आने वाले दिनों में सुपर टाईफून ट्रामी टकरा सकता है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) में यूरोपियन एस्ट्रोनॉट अलेक्जेंडर गर्स्ट ने ट्रामी की तस्वीरें जारी की हैं। उन्होंने अपने ट्विटर पर इन तस्वीरों को जारी कर कहा है कि यह ट्रामी कैटेगरी 5 का तूफान होगा। दो हफ्ते पहले ही में फिलीपींस में आये मांखुत सुपर टाईफून से चीन और ताइवान भी प्रभावित हुए थे।
गर्स्ट ने अपने ट्विटर में कहा कि - धरती पर एक और भयंकर तूफान आ सकता है। कैटेगरी 5 का यह सुपर टाईफून ट्रामी रुकने वाला नहीं है। यह जापान और ताइवान की तरफ बढ़ रहा है। सुरक्षित रहें। ऐसा लगता है कि किसी ने धरती का विशाल प्लग निकाल दिया है। जापान में इसी महीने जेबी टाईफून आया था। इसमें 13 लोगों की मौत हो गई थी। एक ऑयल टैंकर के टकराने से एक पुल टूट गया था। जेबी तूफान के चलते जापान को 4.5 बिलियन डॉलर (32 हजार करोड़ रुपए) से ज्यादा का नुकसान हुआ था।
इन क्षेत्रों में तूफ़ान कर सकता है प्रभावित
तूफान से नॉर्दर्न और सेंट्रल ताइवान और जापान के रयुकु द्वीप समूह प्रभावित होंगे। सीएनएन के मौसम विज्ञानी टॉम सेटर के मुताबिक- तूफान की गति फिलहाल रुकी हुई है। सिस्टम किस तरफ जा सकता है, मौसम विज्ञानी इस पर नजर रखे हुए हैं।
सेटर ने यह भी बताया- सुपर टाईफून के चलते 140 किमी/घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं। अगर यह अपनी दिशा कायम रखता है तो दक्षिण जापान से अगले चार दिन में टकरा सकता है। अगर यह कमजोर भी पड़ता है तो भी कैटेगरी-4 का रहेगा। सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्री-टाईफून बारिश के चलते भूस्खलन का खतरा हो सकता है। सिस्टम के मजबूत होने पर काफी बारिश हो सकती है। दो हफ्ते में पहले फिलीपींस से मांखुत सुपर टाईफून टकराया था। भारी बारिश और भूस्खलन के चलते वहां 100 से ज्यादा लोग मारे गए थे। जबकि चीन में इसी तूफान के चलते 30 लाख लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया था।
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