जब भी आप इडली (Idli) का नाम सुनते होंगे, तो मुंह में पानी जरूर आता होगा. वैसे तो सेहत और स्वाद से भरपूर इडली दक्षिण भारत (South India) का मुख्य व्यंजन है, लेकिन आज के वक्त में ये व्यंजन ना सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गया है. यही वजह है कि आज का दिन यानि 30 मार्च का दिन पूरे विश्व में वर्ल्ड इडली डे (World Idli Day) के रूप में मनाया जाता है.
मगर क्या आप जानते हैं कि इस दिवस की शुरुआत कब,क्यों और कैसे हुई? तो बता दें कि विश्व इडली दिवस Idli Man ‘Aniavan’ के जन्मदिन के मौके पर मनाया जाता हैं. ‘एनियावन’ ने अपना ये सफर चाय बेचने से लेकर ऑटो चालक का काम कर पूरा किया हैं. ऐसे में कृषि जागरण खास आपके लिए Idli Man ‘एनियावन’ का Exclusive Interview लेकर आया है. तो चलिए पढ़ते हैं ‘एनियावन’ का रोचक और प्रेरक सफर..
एनियावन कैसे बनें इडली मैन?( How to become Idli Man?)
तमिलनाडु राज्य के कोयम्बटूर में जन्मे एनियावन ने अपने करियर की शुरुआत एक ऑटो चालक के रूप में की थी, लेकिन उनका व्यवहार ऐसा था कि सभी उन्हें बहुत पंसद करते थे. यात्रियों के प्रति उनके व्यवहार और उचित मूल्य के कारण भी उनकी ओर लोग आकर्षित होते थे. इस दौरान उनकी मुलाकात चंद्रा नाम की एक महिला से हुई,जो इडली बेचने का काम करती थी, जिसके बाद एनियावन ने भी उस महिला के साथ मिलकर इडली बनाने का काम शुरू कर दिया. यही से एनियावन के इडली मैन बनने की कहानी शुरु होती है.
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मल्लीपू इडली’ रेस्त्रां बनने की कहानी(Story of 'Mallypu Idli' restaurant)
साल 1997 में एनियावन मात्र 2 इडली मेकिंग बॉक्स के साथ चेन्नई पहुंचे. यहां उन्होंने अलग-अलग होटल में इडली सप्लाई करना शुरू कर दिया. इस दौरान उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. हालात ये तक हो गए कि उन्हें 20 दिनों तक प्लेटफॉर्म और रोड पर सोना पड़ा, लेकिन वो हार मानने वालों में से नहीं थे, उन्होंने अपना काम फिर से शुरू किया और व्यवसाय सफलतापूर्वक चलता रहा. धीरे-धीरे उनका व्यवसाय इतना बढ़ गया कि आज वो चेन्नई के मशहूर रेस्त्रां चेन ‘मल्लीपू इडली’ के मालिक हैं. ‘मल्लीपू इडली’ रेस्त्रां ना सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में मशहूर हैं. आज इस रेस्त्रां में 2 हजार 547 तरीके की इडली बनाई जाती है. इडली के इन तरीकों की खोज एनिवायन की ही देन है.
कृषि जागरण से एनिवायन ने की खास बातचीत(Anivaan had a special conversation with Krishi Jagran)
कृषि जागरण से बात करते हुए एनियावन कहते हैं कि इडली बनाने के शुरुआत में ही मैंने सोचा की इडली गोल आकार में ही क्यों होनी चाहिए, हम इसका आकार क्यों नही बदल सकते हैं.फिर मैं इडली की कई किस्में बनाने लगा. इसे अलग-अलग आकार के साथ ही अलग-अलग व्यंजनों को मिला कर बनाना शुरु कर दिया.
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विश्व इडली दिवस की शुरुआत कैसे हुई?( How did World Idli Day start?)
साल 2015 की बात है जब इन्हें वो मुकाम हासिल हो गया, जिसकी उन्होंने भी कभी कल्पना नहीं की थी. साल 2015 के 30 मार्च को एनियावन ने करीब 1,328 वेरायटी की इडली बनाई और 44 किलो का इडली केक तैयार किया. जिसके बाद एक अधिकारी ने इस दिन को विश्व इडली दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा कर दी. तब से हर साल इस दिन को विश्व इडली दिवस के रूप में पूरी दुनिया में मनाया जाता है.
एनियावन को 250 से भी अधिक अवॉर्ड के हकदार(Eniavan deserves more than 250 awards)
बता दें कि अब तक एनियावन को 250 से भी अधिक पुरस्कार मिल चुका है. उन्हें अपने इनोवेशन के लिए अवल विक्कटन यम्मी अवार्ड और लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड भी मिले हैं. यही नहीं इसके लिए उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ इंडिया अवार्ड भी मिल चुका है. हर साल 30 मार्च को एनियावन कई तरह के इडली बनाते हैं.
युवाओं के लिए एक सच्ची प्रेरणा है एनियावन(Aniavan is a true inspiration for the youth)
वह हमारे युवाओं के लिए एक सच्ची प्रेरणा हैं. उन्होंने अपने जीवन में कई समस्याओं का सामना किया, लेकिन उन्होंने अपने कदम कभी पीछे नहीं किए. यही वजह है कि आज वो विश्व प्रसिद्ध बन कर ना सिर्फ अपना बल्कि अपने देश भारत का नाम भी रौशन कर रहे हैं.
आपको इडली मैन एनियावन की कहानी कैसी लगी हमे कमेंट कर अपनी राय जरूर दीजिए.
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