Water Chestnut Cultivation: आधुनिकता के इस युग में खेती में भी बदलाव आता जा रहा हैं. विज्ञान ने कृषि के क्षेत्र एक क्रांति लाकर रख दी है, जिस कारण किसानों की समृद्धि का दायरा बढ़ गया है. कई किसान परंपरागत खेती छोड़ नकदी फसल की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसे में पटना के रहने वाले एक किसान ने अपनी अरहर की खेती छोड़ सिंघाड़े की खेती शुरु की. आज वह अपने गांव के लोगों के लिए आदर्श बन गए हैं.
सिंघाड़ा की खेती (Water Chestnut Cultivation)
बिहार के रहने वाले हीरा कुमार के पास खुद की 10 बीघे की जमीन थी. वह अपने परिवार के साथ मिलकर खेत में अरहर की खेती कर उसे विभिन्न राज्यों में भेजा करते थे. हीरा बताते हैं कि अरहर के व्यवसाय से उन्हें अच्छा लाभ नहीं हो पा रहा था. ऐसे में उन्हें अपने दोस्त से, जो झारखंड में रहता था, सिंघाड़े की खेती के बारे में पता चला. उसकी सलाह पर हीरा ने अपने परिवार के साथ मिलकर सिंघाड़े की खेती शुरु की उन्हें इससे काफी लाभ भी होने लगा.
सिंघाड़ा से बढ़ा मुनाफा
हीरा जी की वर्तमान आयु 55 साल है. उन्होंने बारहवीं तक अपनी पढ़ाई की हैं. उन्होंने अपनी उम्र और साक्षरता को इस नये व्यवसाय में बाधा नहीं आने दी. वह कहते हैं कि शुरु में सिंघाड़े की खेती को लेकर वह काफी असमंजस में थे लेकिन उनके दोस्त की सलाह के कारण उन्हें इसकी खेती करने में आसानी हुई.
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कमाई
सिंघाड़ा की खेती मॉनसून के समय में की जाती है और यह जून-जुलाई के मध्य तक चलती है. इसकी अच्छी उपज के लिए न्यूनतम दो फिट पानी की जरुरत होती है. खेत में पौधा लगाने के तीन से चार महीने में सिंघाड़ा तैयार हो जाता है. हीरा लाल इसको बाजार में बेच हर साल 12 से 13 लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं, जो उनके अरहर की कमाई से तीन गुना ज्यादा है.
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