किसी ने सही कहा है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती. इन्सान जब चाहे तब सीख सकता है. क्योंकि इस समय बहुत से ऐसे उदहारण हमारे सामने है, जो हमें प्रेरित करते हैं. खासकर खेती में ऐसे उदहारण हमारे सामने आ रहे हैं की ऑफिसर अच्छी जॉब छोड़कर खेत कर रहा है तो कोई युवा अपनी नौकरी को छोड़कर खेती में हाथ आजमा रहे हैं. हमने ऐसे ही एक सफल किसान और बिज़नेसमैन से मुलाकात कि, जिनका नाम है एम.वी. पटेल. अहमदाबाद के न्यू वावोल गाँव में रहने वाले एम.वी. पटेल.गुजरात में आजादी के समय जन्मे एम.वी. पटेल ने जब अपनी पढाई की शुरुआत की उस समय उनके घर में काफी परेशानिया थी. सबसे बड़ी परेशानी उस समय उनके घर में पैसो की थी. एम.वी. पटेल बताते है कि उस समय उनको पढने के लिए पैसो की जरुरत थी लेकिन घर की वित्तीय स्थिति सही नहीं थी. हालाँकि खेती किसानी एम.वी. पटेल को विरासत में मिली है. उनके पुरखे खेती करते है आए है. इसलिए एम.वी. पटेल को भी बचपन से ही खेती से लगाव रहा है. वो बताते हैं कि उनको पेड़-पौधों, खेती और बागवानी से ख़ासा लगाव था. वो बताते हैं जब मै पढने जाता था उस समय मेरे घर में खेती से ३०० से ५०० रूपये तक आ जाते थे. जिससे उनकी पढाई में भी खर्चा किया जाता था और घर का भी खर्चा शामिल था. हालांकि उस समय ३०० रूपये काफी अहमियत रखते थे.
एम.वि पटेल एक अधिकारी बनना चाहते थे. अपनी कड़ी मेहनत से उन्होंने अपने सपने को साकार भी किया. पटेल अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद एक टीचर के पद पर कार्यरत हो गए. लेकिन उनके सपने बड़े थे तो उसी के हिसाब से उन्होंने मेहनत करना शुरू कर दिया. पटेल बताते हैं कि उस गोवा में टीचर्स की मांग थी तो वो गुजरात से गोवा चले गए और वहा बतौर अध्यापक काम करने लगे. लेकिन उनमे तो उड़ान भरने का हौसला था. इसलिए उन्होंने गोवा में ही एक स्कूल की शुरुआत की जिसके वो प्रिंसिपल भी बने. इसके बाद एम.वी.पटेल जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत हो गए, लेकिन उन्होंने खेती करना नहीं छोड़ा. अपने 30 एकड़ भूमि में वो लगातार खेती करते रहे. एम.वी. पटेल बताते हैं कि उन्हें बागवानी काफी लगाव था जिस कारण उन्होंने उनके अधीन काम करने करने वाले सभी अध्यापको को आदेश दे दिया की वो कम से कम दो वृक्ष अवश्य लगाए. साथ ही उनको यह भी चेताया यदि उन्होंने वृक्ष नहीं लगाए तो उनको वेतन नहीं दिया जाएगा. इसलिए सभी सभी अध्यापको ने वृक्ष लगाए. इस दौरान उन्होंने अपने खेत में दाडम और नीलगिरी की खेती करना जारी रखा. इस दौरान एम.वी. पटेल गुजरात के न्यू ववोल गाँव में शिफ्ट हो गए जहाँ उन्होंने खेती के साथ अपना व्यवसाय भी शुरू किया. इस दौरान एम.वी. पटेल को पता लगा कि इस गाँव में किसान आम के वृक्ष उगाने की कोशिश करते है परन्तु आम के वृक्ष वह नहीं होते क्योंकि वहां की मिटटी चिकनी है. जब पटेल को इस बात का पता चला तो उन्होंने स्वयं इसकी शुरुआत की और ५० आम के वृक्ष अपने खेत में लगाए. इन वृक्ष ने फल देना भी शुरू कर दिया. इसके बाद और गावों वालों ने आम की खेती शुरू कर दी.
लेकिन एम.वी. पटेल कुछ अलग तरीके से खेती करना चाहते थे इसलिए उन्होंने गायें पालन की शुरुआत की इसी के कसाथ उन्होंने मिश्रित खेती को अपनाया. उन्होंने अपने खेत में दाडम, अमरुद, निम्बू,आम और सब्जियों की खेती शुरू की. जिससे उनके खेत में अच्छा उत्पादन होने लगा हालाँकि अब उनको अपने उत्पादों को कही बाहर बेचने की जरुरत नहीं पड़ती. क्योंकि जितना भी उत्पादन होता है वो पूरा उनके होटल में खप जाता है. सब्जियों और फलों का यह उत्पादन पूरी तरह से जैविक होता है. क्योंकि एम.वी. पटेल जैविक खेती में विश्वास करते हैं और दुसरे लोगो को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित करते हैं. अब वो एक किसान होने के साथ-साथ एक होटल के भी मालिक है. एम.वी. पटेल बताते है कि उनका एक व्यवसायी और किसान होने का सफ़र बड़ा ही पेचीदा रहा. जिस उम्र में इंसान आराम करने की सोचता है उस उम्र में आज भी एम.वी. पटेल पूरी तरह से सक्रीय है. वो सुबह उठकर अपने खेतों में जाते हैं और वह स्वयं काम करना पसंद करते हैं वो आज एक सफल किसान और उद्यमी बन चुके हैं. पटेल उन किसानों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत है जो कृषि से दूर भागने की कोशिश करते हैं.
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