हर फसल की अच्छी वृद्धि करने के लिए मिट्टी में पोषक तत्व (Minerals) का होना आवश्यकता होता है. इसके साथ ही पौधों की वृद्धि के लिए नाइट्रोजन (Nitrogen) की अधिक जरूरत होती है. इसके लिए किसान यूरिया (Urea) का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि यूरिया (Urea) में 46% नाइट्रोजन (nitrogen) पाया जाता हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश के किसानों को बढ़ती महंगाई के बीच यूरिया की कमी हो रही है. अब किसानों ने यूरिया की जगह अन्य विकल्पों को अपनाना शुरू कर दिया है.
इसी कड़ी में यूपी से एक खबर सामने आई है. यहां एक किसान ने अपने खेत में खाद के लिए यूरिया की जगह गौ मूत्र से गेहूं की फसल (wheat crop) में छिड़काव कर फसल का उत्पादन अच्छा पाया है.
सफल किसान विज्ञान शुक्ला (Successful Farmer Vigyan Shukla)
यूपी के बांदा में रहने वाले किसान विज्ञान शुक्ला ने यूरिया की किल्लत से परेशान होकर फसलों में गौ मूत्र को जैविक खाद के रूप में इस्तेमाल कर एक नई तकनीक अपनायी है. उनका कहना है कि इससे फसल को भरपूर नाइट्रोजन मिलेगी. इससे फसल की अच्छी पैदावार प्राप्त होगी. इसके साथ ही उन्होंने किसानों को गोमूत्र और जैविक खाद का इस्तेमाल कर जीरो बजट पर खेती करने का सुझाव दिया है.
खेतों में इस्तेमाल करते हैं जैविक खाद (Use Organic Fertilizers In The Fields)
बता दें कि विज्ञान शुक्ल अपने खेतों में सिर्फ जैविक खाद का ही इस्तेमाल करते हैं. उनकी फसलें पूरी तरह जैविक होती हैं. इसके साथ ही वह अपने खेतों में वर्मी कंपोस्ट, जैविक कीटनाशक जैसी दवाएं को भी तैयार करते हैं.
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किसानों को दे रहे प्रशिक्षण (Giving Training To Farmers)
इसके अलावा विज्ञान शुक्ला अपनी इस तकनीक का प्रशिक्षण अन्य किसानों को दे रहे हैं. खास बात यह है कि उन्हें अपने इस कार्य के लिए कई राष्ट्रीय पुरस्कार जगजीवनराम व बुंदेलखंड स्तर के पुरस्कार भी मिल चुके हैं.
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