प्राचीन काल से ही रुद्राक्ष भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का अभिन्न हिस्सा रहा है. अधिकतर लोग इसे भगवान शंकर के प्रतीक के रूप में देखते हैं, तो कई इसे औषधीय गुणों से भरपूर बताते हैं. लेकिन हैरान कर देने वाली बात यह है कि मांग होने के बाद भी हमारे यहां इसकी खेती नाम मात्र ही होती है. शायद भारतीय किसानों ने मुख्य फसलों को छोड़कर इस तरफ कभी ध्यान ही नहीं दिया.
उत्तराखंड के रहने वाले किसान संतोष ज्येष्ठा रूद्राक्ष की खेती कर अच्छा पैसा कमा रहे हैं. इस काम के लिए उन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है. चलिए समझते हैं कि इसकी खेती में कितना मुनाफा है.
एयर लेयरिंग विधि से तैयार हो रहे हैं रुद्राक्ष
संतोष बताते हैं कि आज के समय में वो एयर लेयरिंग विधि के सहारे इसकी खेती कर रहे हैं, इस विधि को क्लोनल भी कहा जाता है. इसके तहत पौधे जब चार साल तक के हो जाते हैं, तो उनकी शाखाओं पर पेपपिन से रिंग काटने के बाद मौस लगा दी जाती है. इसके बाद उन्हें लगभग 250 माइक्रोन की पॉलीथिन से ढक दिया जाता है. इस तरह करीब 45 दिन में पौधों की जड़ें निकल जाती हैं, जिसे काटकर नए बैग में लगा सकते हैं. 20 दिन में ही इन पौधों को रोपा जा सकता है.
भारत में मांग है, लेकिन उत्पादन नहीं
संतोष बताते हैं कि रूद्राक्ष की खेती की जैसी लोकप्रियता पनेपाल, इंडोनेशिया, मलेशिया आदि देशों में है, वैसी भारत में नहीं है. हालांकि हमारे यहां भी कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां इसकी खेती आसानी से हो सकती है. हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि भारत रूद्राक्ष का सबसे बडा़ ख़रीदार है और इसमें अच्छा मुनाफा भी है.
200 फीट तक होता है रुद्राक्ष वृक्ष
रुद्राक्ष का वृक्ष भारत पहाड़ी क्षेत्रों में आसानी से उग सकता है, हालांकि मैदानी इलाकों में भी इसे उगाया जा सकता है. 200 फीट तक होने वाले इस वृक्ष में कई बाते विशेष हैं. सफेद रंग के फूलों के अंदर ही गोल आकार का रुद्राक्ष होता है. संतोष के मुताबिक इसकी खेती के लिए संयम की जरूरत है, बाकि मांग तो है ही. आपको बस मार्केट तक अपनी पहुंच बनानी है.
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