सफलता की कहानी: पंजाब राज्य अपनी गेहूं की पैदावार के लिए जाना जाता है. इस राज्य की धरती पर मेहनती और उद्यमशील किसानों की कमी नहीं है. यहां के किसान अपनी खेती की पैदावार को लोहा पूरी दूनिया को दिखा चुके हैं. ऐसे में आज हम आपको राज्य के एक ऐसे किसान से मिलवाने जा रहे हैं, जिन्होने गेहूं के विभिन्न किस्मों के बीज को उपजा कर खेती के क्षेत्र में एक अलग ही क्रांति ला दी है और अपने राज्य के किसानों के दिल में एक अलग ही जगह बना ली है.
पंजाब के संगरूर जिले के कमालपुर गांव में रहने वाले किसान हरप्रीत सिंह का परिवार हमेशा से ही खेती के क्षेत्र में जुड़ा रहा है. वह अपने कुल 40 एकड़ के खेत मे खेती का कार्य किया करते थे, लेकिन खेती में कुछ हटकर कार्य करन का मन उनका करने लगा तो उन्होंने भूमि पर खेती के साथ-साथ सहायक व्यवसाय और बीज उत्पादन का भी कार्य करने लगे
हरप्रीत सिंह एक सफल बीज उत्पादक बन गए हैं, वह गेहूं की 826 किस्मों का उत्पादन करते हैं. वह पिछले कई वर्षों से अपने खेतों में मुख्य फसल चक्र गेहूं-धान के अलावा गोभी सरसों, मूंग और बासमती चावल भी उगा रहे हैं. हरप्रीत सिंह के मुताबिक, फलल चक्रण से खेती की उर्वरता भी बढ़ती है और नाइट्रोजन (यूरिया) की भी बचत होती है. इसके अलावा उनकी फसल पर लागत भी कम होती है.
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किसान हरप्रीत सिंह अपने खेत की खाद का उपयोग न करके जमीन पर वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करते हैं और इसको खुद ही अपने खेतों में तैयार करते हैं. इसके अलावा वह खेतों मे बच रही पराली को जलाने के बजाय जैवित तरीको से उसका विघटन कर देते हैं. इससे पर्यावरण में प्रदूषण तो कम होता ही है और साथ ही मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी बढ़ती है. हरप्रीत सिंह अपनी खेती को बेहतर करने और वैज्ञानिक तौर तरीकों को अपनाने के लिए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों सलाह लेते रहते हैं.
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