बदलती संभावनाएं, जल और ज़मीन के अभाव ने कृषि और किसानों को चुनौतियों में जकड़ लिया है. भारत जैसे देशों में जहां जनसंख्या दिन-दुगुनी, रात-चौगुनी बढ़ रही है, वहां जरुरी है की हम खेती-बाड़ी के क्षेत्रों में आधुनिकीकरण और विज्ञान की मदद से इस क्षेत्र में कुछ हट कर इस पर काम करें. बढ़ती जनसँख्या भारत और भारत के लोगों के लिए अनेकों चुनौतियां सामने खड़ी कर दी है.
जगह की कमी होने के वजह से इसका असर फसलों की उपज और उसकी गुणवत्ता पर दिखने लगा है. ऐसे में जरुरी है की हम प्रोग्रेसिव फार्मिंग और इंटीग्रेटेड फार्मिंग जैसी आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल कर इस समस्या से खुद को और समाज को बचाकर रख रखें. नहीं तो आने वाले दिनों में ये कहना गलत नहीं होगा की पानी के तरह ही खाने का भी अकाल हमें झेलना पड़ेगा. आपको बता दें आज के समय में भारत में कई ऐसे किसान हैं जो कम जगहों में अधिक से अधिक फसल के साथ अन्य तरह की खेती और पशुपालन कर ना हीं सिर्फ अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, बल्कि जगह का सही सदुपयोग भी कर रहे हैं.
बढ़ती जनसंख्या अपने जीवन यापन के लिए जंगलों और खेतों की ओर अपना रुख कर रही है. ऐसे में खेती-बाड़ी की जमीने सिमटती जा रही है. इस समस्या का समाधान खोजते-खोजते कृषि जागरण की टीम और कंटेंट राइटर सुंगंध भटनागर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में पहुंची. आपको बता दें कि कृषि जागरण आज के समय में इकलौता ऐसा मीडिया संस्थान है जो कृषि से सम्बंधित हर ख़बरों पर अपनी नजर बनाए रखता है और इसका भी ध्यान रखता है की कैसे वह आम जनता और सरकार तक पहुँच सके.
बढ़ती जनसंख्या के वजह से जो चुनौतियाँ हम सब के सामने आई है उस पर चर्चा करने के लिए सुगंध ने सहारनपुर के सफल किसान सुधीर राठौर से बात की. सुधीर राठौर पेशे से एक प्रोग्रेसिव फार्मर हैं. जो अपने बगीचे में ना सिर्फ फसलों की खेती कर रहे हैं, बल्कि मछली पालन कर जगह का सही इस्तेमाल कर रहे हैं.
आपको बता दें खेती बारी के अलावा मछली पालन भी कर रहे हैं. उनका कहना है कि हर किसान को एक तालाब जरूर बनाना चाहिए. इससे ना सिर्फ किसान मछली पालन का रोजगार कर मुनाफा कमा सकते हैं, बल्कि इससे उन्हें खेतों में सिंचाई करने में भी मदद मिलता है. तालाब के पानी में मछली का मालवा मिला रहता है जो फसलों के लिए खाद का काम भी करता है. आमतौर पर छोटे किसान खेतों में सिंचाई के लिए वर्षा पर आश्रित रहते हैं. उनके पास इतना पैसा नही होता की वो पंप सेट लगा कर खेतों की सिंचाई कर सकें.
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वहीं दूसरी तरफ पेट्रोल की बढ़ती कीमत ने भी किसानों के लिए परेशानियां बढ़ा दी है. ऐसे में सुधीर राठौर के सुझाव को अपना कर किसान इस तरह की खेती बाड़ी से भी मुनाफा कमा सकते हैं.
इस तरह की समस्या का समाधान सभी किसानों तक पहुंच सके इसके लिए कृषि जागरण लगातार ऐसे किसानों से बात कर उनकी सफल कहानियों को सभी तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं.
आपको बता दें निकट भविष्य में इन सभी परेशानियों का बोझ हमारे आने वाले पीढ़ियों को झेलना पड़ेगा. इसलिए हमे इस बात का भी ख्याल होना चाहिए की ये ज़मीन सिर्फ हमारी नहीं है. हम इसे आगे भी सौंपना है.
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