किसान खेती तो कर रहे हैं मगर अच्छा उत्पादन पाने के लिए वह कैमिकल खाद का इस्तेमाल करते हैं. जिससे उपज अच्छी मिलती है मगर उसके बाद उपभोगकर्ताओं और जमीन को काफी नुकसान पहुंचता है. इसी बीच आज हम किसान सत्यवान की सफल कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने राजधानी दिल्ली में रहकर गौपालन के साथ जैविक खेती की और अब लाखों की कमाई कर रहे हैं.
राजधानी दिल्ली के रहने वाले सत्यवान पूरी तरह से प्राकृतिक खेती करते हैं जिसके लिए वह देसी गाय को पाल रहे हैं. क्योंकि प्राकृतिक खेती में देसी गाय का अहम योगदान होता है. इसके साथ ही वह अंतर फसलें भी उगा रहे हैं, जिसके चलते वह किसानों के लिए एक उदाहरण भी बन रहे हैं.
किसान सत्यवान का मानना है कि गन्ने के साथ अंतर फसल लगाकर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है, इस प्रकार से खेत के हर एक हिस्से का सही इस्तेमाल होता है साथ ही पैदावार भी अच्छी मिलती है. सत्यवान ने पहले गन्ने की फसल के साथ प्याज की खेती की और जब प्याज की फसल पूरी हो गई तो अब उन्होंने खेत में मूंग की फसल लगाई है.
फसल अवशेष बन जाती है खाद
बता दें कि फसल कटाई के बाद सत्यवान अवशेषों को मिट्टी में ही मिला देते हैं, जिससे गन्ने की फसल को खाद भी मिलती रहती है. साथ ही सत्यवान अपनी फसलों में जीवामृत, गोबर की खाद और गौमूत्र का कीटनाशक के तौर पर उपयोग करते हैं. इस प्रकार से उनकी फसल सामान्य फसल की तुलना में अधिक तेजी से विकास करती है.
प्रकृति ही प्रकृति को नियंत्रित करती है
सत्यवान ने डीडी किसान से बात करते हुए कहा कि वह खाद गौमूत्र, गोबर, जीवामृत और डिकंपोजर से तैयार करते हैं. उनकी जमीन में केंचुए भारी संख्या में हैं. वह बताते है कि जो केंचुए केमिकल खाद के उपयोग से 10 फिट तक नीचे छिप जाता है. वहीं केंचुआ जीवामृत और जैविक खाद के उपयोग से जमीन में ऊपर आ गया है. उनका कहना है कि जिस खेत में केंचुए की मात्रा अधिक होती है उस खेत में पानी की भी ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है, क्योंकि वह खेत में नीचे से छेद करते हुए खेत में वाष्पीकरण के जरिए पौधों में नमी प्रदान करता रहता है. यही एक प्रमुख कारण है कि उनकी फसल में किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं है. यदि खेत में कोई कीड़ा आ भी जाता है तो उसे पक्षी खा जाते हैं. इस प्रकार से प्रकृति ही प्रकृति को नियंत्रित करती है.
सत्यवान अपनी गन्ने की फसल को मिल में नहीं बेचते हैं, बजाय इसके वह गन्ने को अन्य तरीकों से बेचकर अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. उनका कहना है कि किसान अपना बाजार खुद तैयार करता है. ये सब खुद किसान पर ही निर्भर करता है कि वह अपनी फसल को किस रूप में बाजार में बेच रहा है.
चारे कि लिए मक्का उगाया
सत्यवान अपने गाय के चारे का भी विशेष ध्यान रखते हैं, इसके लिए उन्होंने अपने खेत में मक्के की खेती की. मक्के को वह बाजार में बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं और बाकी को वह चारे के लिए इस्तेमाल में लाते हैं. उनका कहना है कि गाय को यह चारा खिलाने के बाद गाय के दूध उत्पादन में 1-2 लीटर दूध की वृद्धि हो गई है. साथ ही वह बताते हैं कि नील गाय भी दूर से आकर कैमिकल खाद से उगाया गया गन्ना नहीं खाती है बजाय इसकी वह जैविक रूप से उगाया गया गन्ना ही खाती है. इसलिए उनका घी और दूध महंगा होता है. इसके अलावा वह गाय को श्री अन्न (मोटा अनाज) चारे के रूप में खिलाते हैं.
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